देहली के जंतरमंतर पर ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’
नई देहली : हाल ही में यहां के जंतरमंतर पर, ‘म्यानमार से विस्थापित हुए रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में आश्रय न दें’, ‘उत्तराखंड सरकारद्वारा मुसलमान कर्मचारियों को नमाजपठन करने हेतु कार्यालयीन समय में ९० मिनटों का समय देने का निर्णय निरस्त करें’ साथ ही ‘एनसीईआरटी के १२ वीं के राज्यशास्त्र के पुस्तक में दी गई गुजरात दंगों के संदर्भ में मुसलमान समर्थक जानकारी निरस्त करें’ इन मांगों को लेकर ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ किया गया। इसमें हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ताओं के साथ अन्य धर्माभिमानी हिन्दू भी उपस्थित थे।
रोहिंग्या मुसलमानों को आश्रय देना सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर बात है – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
भारत एक सार्वभौम राष्ट्र होते हुए एवं हमारी सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित होते हुए ये मुसलमान किसी भी ‘व्हिसा’ एवं ‘पासपोर्ट’ के बिना इस देश में कैसे आए इस बात का शोधन करना चाहिए। रोहिंग्या मुसलमानों ने ३ वर्ष पूर्व मुंबई के आजाद मैदान पर दंगा किया था। ऐसे लोगों को इस देश में आश्रय देना सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर बात है। यदि एनसीईआरटी के पाठ्यपुस्तकों में गुजरात दंगों का ‘इतिहास’ सिखाया जा सकता है, तो बंगाल के मालडा एवं धुलागढ में हिन्दुओं के विरोध में हुए दंगों का इतिहास भी क्यों, नहीं सिखाया जाता ?
हिन्दुओं पर होनेवाले अन्याय के विरोध में सडक पर उतर कर विरोध करना चाहिए ! – धर्माभिमानी श्री.राजीव डोग्रा
भारत में म्यानमार के रोहिंग्या मुसलमानों को समा लिया जाता है; परंतु पाकिस्तानी एवं बांग्लादेशी शरणार्थी हिन्दुओं को कहीं पर भी स्थान नहीं दिया जाता ! केवल ‘फेसबुक’ एवं ‘व्हॉट्स अॅप’ पर आए ऐसे मेसेजेस को ‘लाइक’ करने से कुछ नहीं होगा, अपितु हिन्दुओं पर होनेवाले अन्यायों के विरोध में हमें सड़क पर उतर कर विरोध करना चाहिए !
क्षणिका
प.पू.भक्तराज महाराजद्वारा उपयोग में लाई गई ‘डफली’ (भजन में उपयोग किया जानेवाला एक वाद्द्य) का वादन करने से वातावरण में चैतन्य फैलने का अनुभव सभी को होना
इस आंदोलन में घोषणाएं करने हेतु सनातन संस्था के प्रेरणास्थान तथा संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के सद्गुरू प.पू. भक्तराज महाराजद्वारा उपयोग में लाई जानेवाली ‘डफली’ का उपयोग किया गया। इसकी आवाज से सभी को वातावरण में चैतन्य फैलने का अनुभव हो रहा था !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात