हजारों लोग शोभायात्रा में शामिल हुए, धर्मसभा में काली महाराज ने हिंदुत्व के लिए लोगों को किया जागरूक
धार : धार भोजशाला में एक बार फिर बासंती वातावरण में मां सरस्वती की आराधना की गई। राजा भोज की जयघोष हुई। बसंत पंचमी के चलते दिनभर भोजशाला में हवन, पूजन और महाआरती का आयोजन हुआ।
बसंत पंचमी पर हिन्दुआें को दिनभर पूजा-अर्चना की अनुमति होती है। भोज उत्सव समिति व हिंदू जागरण मंच द्वारा विशेष रूप से तैयारी की गई थी। सुबह से ही भोजशाला को विशेष रूप से सजाया गया था। इसके तहत पूरे बाहरी व भीतरी क्षेत्र को भगवामय किया गया था। यहां लालबाग से सुबह भव्य शोभायात्रा शुरू हुई। यह यात्रा प्रमुख मार्गों से होते हुए भोजशाला पंहुची। नगर में शोभायात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। वहीं शोभायात्रा में शामिल युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। युवक धार्मिक गीतों की सुमधुर धुन पर थिरकते हुए चल रहे थे। इस उत्साहित युवा और हिंदू समाज का काफिला जब भोजशाला पहुंचा तो उत्साह चरम पर पहुंच गया। भगवे ध्वजों को लहराते हुए मां वाग्देवी के चित्र के साथ सभी ने भोजशाला में प्रवेश किया। इस आयोजन में काली महाराज शामिल हुए। उन्हें शोभायात्रा के तहत रथ पर विराजित किया गया था।
भोजशाला में हुई महाआरती
भोजशाला के बाहर पुलिस बल बड़ी संख्या में तैनात था। यात्रा के पहुंचने के पहले कलेक्टर व एसपी भोजशाला चौकी पहुंचे और व्यवस्था पर निगरानी रखी। हजारों हिंदू भोजशाला पहुंचे और गर्भगृह में मां सरस्वती के तेल चित्र को स्थापित कर पूजा-अर्चना की। काली महाराज ने विधि-विधान के साथ पूजा-महाआरती की। भोजशाला में मां सरस्वती राजा भोज के नारे गुंजाएमान हुए। इधर सुबह से ही भोजशाला में पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया था। साथ ही हवन कुंड में आहुतियां दी गईं। समिति के कार्यकर्ता व्यवस्था बनाने में लगे हुए थे। इस तरह शांतिपूर्ण रुप से दिनभर आयोजन चलता रहा। सूर्य अस्त होने के बाद भोजशाला बंद हुई।
सभी ओर संघर्ष का दौर
मोतीबाग चौक पर धर्मसभा का आयोजन हुआ। इस सभा में काली महाराज ने हिन्दुआें को संबोधित करते हुए कहां कि, यह दौर संघर्ष का है इसमें एकजुट होने की आवश्यकता है। देश की सीमा पर जवान संघर्ष कर रहे है। वही मथुरा, काशी, अयोध्या व धार में भी संघर्ष चल रहा है। भोजशाला मां शारदा का मंदिर है इस बात को हर कोई जानता है। फिर भी इस मामले में संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि, हिन्दुआें को एकजूट होना पडेगा। विश्व में एक मात्र हिंदू धर्म ऐसा है जिसमें ईश्वर से साक्षात्कार होता है। वर्तमान में लोग ईश्वर से लेने के लिए और सुख प्राप्ति के लिए लगे रहते है। जबकि ईश्वर से लेने की बजाय ईश्वर से मिलना हमारा उद्देश होना चाहिए।
स्त्रोत : नर्इ दुनिया