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इजरायल ! एक देश जो है मुस्लिम देशों का कट्टर शत्रू, इसके ऐसे हथियारों से खौफ खाती है दुनिया !

ईरान के मध्यम स्तर की बैलिस्टिक मिसाइल के टेस्ट पर इजरायल फिर से भड़क उठा है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस मिसाइल टेस्ट पर ईरान के खिलाफ प्रतिबंध कड़े करने का विचार कर रहे हैं। हालांकि, इजरायल की दुश्मनी का मामला सिर्फ ईरान तक ही सीमित नहीं है। दरअसल, इजरायल ईरान की तरह कई मुस्लिम देशों के कट्टर दुश्मनों में से एक है। इजरायल अब तक फलीस्तिीन, इजिप्ट (मिस्र), जॉर्डन, सीरिया, ईराक, लेबनान और ईरान जैसे देशों से कई बार जंग लड़ चुका है। इसी के चलते इजरायल ने १९५० के बाद से ही अपनी सैन्य ताकत को लगातार बढ़ाने का काम किया। आज इजरायल की गिनती उन ताकतवर देशों में होती है, जिसके पास एक से एक खतरनाक हथियारों का जखीरा भरा पड़ा है !

इसी सिलसिले में आज हम आपको इजरायल के उन खतरनाक हथियारों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे दुनिया खौफ खाती है …

इजरायल का यह ड्रोन दुनिया का सबसे खतरनाक ड्रोन है। इसे सबसे पहले १९६२ में डिजाइन किया गया था, लेकिन इजरायली सैन्य ने अब इसे इतना आधुनिक बना लिया है कि यह ड्रोन न होकर फाइटर प्लेन की तरह काम करता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि, अमेरिका जैसे देश ने भी इजरायल से ये ड्रोन खरीदे हैं। इस ड्रोन का उपयोग मिसाइल लॉन्चर के रूप में भी किया जाता है। इसे इस तरह बनाया किया गया है कि ये रडार की पकड़ में नहीं आता। इजरायल का दावा है कि, यह इजरायल से उड़ान भरकर ईरान में आक्रमण कर वापस आ सकता है। इसका सबसे पहले उपयोग १९६९ में इजिप्त के खिलाफ और १९८२ में लेबनान के खिलाफ किया गया था। यह ड्रोन इन दोनों देशों की मिलिट्री लोकेशन ट्रैक पर सकुशल वापस भी लौट आया था। इससे मिली जानकारी के बाद ही इजरायली वायुदल ने इजिप्त और लेबनान में तबाही मचा दी थी।

भले ही आज दुनियाभर में रोबोट टैंक और रोबोट सैन्य की फौज तैयार करने की होड़ मची हुई है, किंतु इजरायल ने इस दिशा में सबसे पहले ही कदम बढ़ा दिए थे। इसमें इजरायल का ‘यूजीवीएस रोबोट टैंक’ का नाम सबसे ऊपर आता है। इजरायल की एयरोस्पेस कंपनी ने इसका जुलाई २०१४ में सफल परीक्षण किया। इसके बाद इसे सैन्य को सौंप दिया गया। हालांकि, इनकी तादाद का खुलासा अभी तक नहीं किया गया है और न ही इस बात का कि इनकी तैनाती कहां की गई है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इनकी तैनानी गाजा, इजिप्त, जॉर्डन, सीरिया और लेबनान की सीमा पर की गई है। आकार में ये इतने छोटे हैं कि ऊंचाई से दिखाई नहीं देते। लेंस और खतरनाक मशीनगन से लेकर यह छोटी-छोटी मिसाइलों से लैस है, जिससे दुश्मनों के टैंक भी उड़ाए जा सकते हैं। इजरायल ने इसकी क्षमता का खुलासा कभी नहीं किया।

छोटी-सी दिखनेवाली यह बोट किसी आम बोट की तरह ही नजर आती है, जबकि यह आर्मी की सबसे खतरनाक बोट है। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह आर्मी बोट नजर नहीं आती। इससे इजरायली नौदल समुद्र में पैट्रोलिंग करती है। इसके अंदर ११ क्रू मेंबर्स होते हैं, जो अलग-अलग दिशाओं में लेंस से दुश्मनों पर नजर रखते हैं। यह मशीनगन के अलावा मिसाइल व रॉकेट लॉन्चर से भी लैस है। जरूरत पड़ने पर इससे दुश्मनों के वॉरशिप को भी निशाना बनाया जा सकता है। इसकी स्पीड ५० नॉटस (तकरीबन ९२ किमी) है। स्पीड के अलावा तेजी से टर्न लेने के चलते इस पर आसानी से निशाना नहीं साधा जा सकता। यह सेंसर और रडार से भी लैस है।

इजिप्ट और सीरिया के साथ १९६० और १९७० में युद्ध लड़ने के बाद इजरायल की सेना ने यह आधुनिक टैंक बनाया था। इन १९८० में इसे आर्मी को सौंप दिया गया था। इजरायल ने इन टैंक की तादाद का खुलासा नहीं किया है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनकी संख्या हजारों में है। इजरायल अब भी इसमें लगातार बदलाव कर रहा है। हर तरह के रास्तों पर ८० किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकनेवाले यह टैंक इजरायल का प्रमुख हथियार है। मेरकावा रेगिस्तानी और मैदानी इलाकों के अलावा ऊबड़-खाबड़वाले इलाकों में भी आसानी से दौड़ सकता है। यह टैंक चारों दिशाओं में आक्रमण कर सकता है। लगभग ६५ टन वजनी इस टैंक की खास ताकत १२० एमएम की तोप है, जो किसी भी लक्ष्य को भेद सकती है। इस टैंक पर एक साथ ६ लोग लड़ाई के मैदान में जा सकते हैं। टैंक में १५०० हॉर्सपावर का टर्बो जेट डीजल इंजन हैं, जो टैंक को स्पीड देता है। इंजन इसके अगले हिस्से में लगा है, जो क्रू मेंबर्स को अतिरिक्त सुरक्षा देता है। इन टैंकों में बाद में लगाए गया एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम विरोधी की मिसाइलों को खत्म करने में सक्षम है। मेरकावा-१ से लेकर इजरायल अब तक इसके चार वर्जन यानी की ‘मेरकावा-४’ बना चुका है।

इजरायल ने अमेरिकी की मदद से एरो-३ सिस्टम बनाया है। इसकी मदद से देश की तरफ आनेवाली दुश्मनों की मिसाइलों और रॉकेटों को स्पेस से ही निशाना बनाकर नष्ट किया सकता है। एरो-३ बैलिस्टिक मिसाइल शील्ड का अपग्रेडेड वर्जन है। इजरायल का ये डिफेंस सिस्टम पूरी दुनिया में सबसे ताकतवार माना जाता है। इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज और अमेरिकी फर्म बोइंग को-ऑपरेशनद्वारा बनाए गए इस डिफेंस सिस्टम इजरायली एयरफोर्स को २००४ को सौंपा गया था। इससे निकलनेवाली मिसाइल की रफ्तार प्रति एक मिनट में ढाई किमी है। इससे निकलनेवाली मिसाइलें हवा में ५० किमी की दूरी तक किसी भी उड़ती चीज को गिरा सकती हैं। इजरायल के रक्षा मंत्रालय के के मुताबिक ‘एरो-३’ दरअसल ‘एरो-२’ का अपग्रेडेड वर्जन है। एरो-२ साल २००० से ऑपरेशन में है। एरो-३ के जरिए इजरायल पर मिसाइल हमले की आशंका को कम हो गई है।

अपनी हवाई क्षमता को मजबूत करने के लिए इजरायल ने सबसे आधुनिक फाइटर जेट ‘एफ-१५ए/सी फॉल्कन’ १९७६ में एयरफोर्स को सौंपा था। साल १९८२ के लेबनान वॉर में इजरायल ने इसी जेट की मदद से लेबनान के ७८ फाइटर प्लेंस आसमान में उड़ा दिए थे, जबकि इसमें एक भी इजरायली जेट को नुकसान नहीं पहुंचा था। तकरीबन डेढ़ हजार किमी की स्पीड से उड़ान भरनेवाले इस जेट की रेंज ३४५० किमी तक थी। अब इसके कई नए वर्जन लॉन्च किए जा चुके हैं।

बराक-८ मिसाइल जमीन से हवा में मार करनेवाली अचूक मिसाइल है। इसका पहला टेस्ट १९९६ में किया गया और १९९८ में इसे एयरफोर्स में शामिल कर लिया गया। करीब ४ हजार किमी की रेंजवाली इस मिसाइल की दुनिया भर में डिमांड है। इजरायल ने इसे अपने कुछ ही भरोसेमंद देशों के बेचा है। इसमें भारत का नाम भी शामिल है। २०१४ में इजरायल और भारत के बीच इस मिसाइल को लेकर १००० करोड़ रुपए का सौदा हुआ था।

ईएलएम-२२३८ स्टार को दुनिया का सबसे आधुनिक रडार माना जाता है। इसकी खासियत है यह आसमान और जमीन पर दुश्मनों के हथियार को २५० किमी दूर से पकड़ सकता है। इसकी पकड़ में तुरंत आ जाते हैं। दुनिया में सबसे तेज रडारों में से एक माना जाता है। इजरायल अपने कई भरोसेमंद देशों को ये रडार बेच चुका है।

इस मिसाइल का पहला टेस्ट १९८० में किया गया। कई सफल टेस्ट के बाद १९८५ में इसे एयरफोर्स को सौंपा गया। यह देखने में पतली लगती है, लेकिन इसका निशाना अचूक है। इसी के चलते इजरायल में लड़ाकू विमानों में इस मिसाइल का इस्तेमाल बहुत किया जाता है। हवा में विरोधियों को मुश्किल में डालने का काम डर्बी मिसाइल ही करती है। हवा से हवा में तकरीबन १०० किमी तक मार करनेवाली यह दुनिया की सबसे बेहतरीन मिसाइलों में से एक है।

स्त्रोत : दैनिक भास्कर

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