पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के घोटाले का प्रकरण
मुंबई : पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के सदस्यों की नियुक्ति यदि राज्य शासनद्वारा की जाती हो, तो भी इस समितिपर शासन सहित किसी का भी नियंत्रण न होने से देवस्थानों के कामकाज में अनेक अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार की घटनाएं हो रही हैं। इस प्रकरण के अंतर्गत जनवरी २०१५ से हिन्दू जनजागृति समिति सहित अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनोंद्वारा चलाए जा रहे आंदोलन अभी भी चल रहे हैं। इन आंदोलनों के फलस्वरूप शासनद्वारा इस समिति के कामकाज की राज्य आपराधिक अन्वेषण विभागद्वारा (सीआयडी) जांच आरंभ की गई; परंतु अभी भी इस समिति का कार्यवहन पुराने न्यासियों के हाथों में ही है। यह स्थिती बहुत गंभीर होने से कोल्हापुर के हिन्दू जनजागृति समिति के प्रतिनिधि श्री. मधुकर नाजरे, श्री. शिवानंद स्वामी एवं श्री. बाबासाहेब भोपळे ने सह-धर्मादाय आयुक्त, कोल्हापुर के सामने मुंबई सार्वजनिक न्यास अधिनियम (Bombay Public Trust Act) के अंतर्गत वर्तमान सदस्यों को इस समिति से हटाया जाए, इस के लिए आवेदन प्रविष्ट किया था।
इस आवेदनपर सुनवाई होकर सह-धर्मादाय आयुक्त ने जिलाधिकारीसहित सभी न्यासियों को नोटिस भेजा है। गत पूरे वर्ष से कोल्हापुर के जिलाधिकारी डॉ. अमित सैनी पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य देख रहे हैं। इसीलिए डॉ. सैनी को भी इस प्रकरण के अंतर्गत नोटिस भेजा गया है !
इस संदर्भ में श्री. मधुकर नाजरे ने कहा कि, ‘जिन्हों ने देवस्थान की हानि की है, उनके विरोध में पुलिस जांच चल रही है और ऐसे में उनकेद्वारा ही न्यासी के रूप में कार्य किया जाना, अयोग्य है। इसलिए हमने यह याचिका प्रविष्ट की है !’
श्री. शिवानंद स्वामी ने कहा कि, ‘इसके पहले मैने इस्लामिक रिसर्च फाऊंडेशन के डॉ. जाकिर नाईक के विरोध में अपराध प्रविष्ट किया था। अब उनपर कार्रवाई की जा रही है। अब मैं देवस्थान में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में लडूंगा !’
श्री. बाबासाहेब भोपळे ने कहा कि, ‘मंदिरों में किए जा रहे घोटालों के संदर्भ में, साथ ही ऐसे अनेक विषयों के संदर्भ में हमने समय-समयपर शासन को संज्ञान दिलाया है।
हिन्दुओं के देवालयों में भ्रष्टाचार करनेवालों को हम कभी नहीं छोडेंगे ! – अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर
हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने इस संदर्भ में कहा कि, कोई भी आए और भ्रष्टाचार कर चला जाए, ऐसी स्थिति शासन के नियंत्रण में स्थित मंदिरों की हुई हैं। इसके पहले मुंबई के सिद्धीविनायक मंदिर में भक्तोंद्वारा किया हुआ दान राजनेताओं ने उनके राजनीतिक स्वार्थ हेतु अयोग्य कारणों के लिए मोड दिया। शिर्डी के श्री साई संस्थानद्वारा किया गया भ्रष्टाचार भी अनेक बार उजागर हुआ है। हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने श्री विठ्ठल-रुक्मिणि मंदिर में व्याप्त घोटाले उजागर कर इस प्रकरण में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट की, तुळजापुर के श्री भवानी मंदिर में व्याप्त घोटाले की सीबीआय जांच हो; इसलिए हिन्दू विधिज्ञ परिषद उच्च न्यायालय में लड रही है।
हिन्दुओं के मंदिरों में भ्रष्टाचार करनेवालों को हम कभी नहीं छोडेंगे, इसके लिए हिन्दू विधिज्ञ परिषद निःशुल्क अभियोग लडेगी !
पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के घोटालों के संदर्भ में कुछ प्रमुख सूत्र
• पश्चिम महाराष्ट्र देयवस्थान समिति को रॉयल्टी के माध्यम से आय न होने से समिति की बडी मात्रा में आर्थिक हानि हो रही है !
• लेखापरिक्षक के अनुमान के अनुसार वर्ष २००७ के अंत में यह धनराशि २ से ३ कोटि रूपए तक थी !
• देवी को समर्पित किए गए साडियों में अपहार किए जाने की संभावना है !
• अर्पण कलश में आए हुए सोने-चांदी के अलंकारों की प्रविष्टि ही प्रविष्टि-पुस्तिका में नहीं की जाती !
• श्री महालक्ष्मी देवी हेतु बनाए गए चांदी के रथ में घोटाला, मंदिर परिसर में बिठाई गई फर्श में घोटाला, प्रसाद बनाने के टेंडर में घोटाला, सहस्रों एकड भूमि का घोटाला जैसे अनेक घोटालों के आरोप हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनोंद्वारा लगाए गए हैं !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात