हिन्दुआें के शौर्य के इतिहास का विकृतीकरण सहन नहीं करेंगे, यह जनता ने दिखा दिया है !
पद्मावती को हुआ विरोध ध्यान में रखकर ‘टॉयलेट – एक प्रेमकथा’ के निर्देशक सबक सीखें और सेन्सर बोर्ड भी इस ओर ध्यान दे ! – श्री. रमेश शिंदे
मुंबर्इ : आगामी हिंदुद्वेषी फिल्म ‘पद्मावती’ तथा फिल्म निर्देशक संजय लीला भन्साली, साथ ही सेन्सॉर बोर्ड को हिन्दू जनजागृती समिती के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने निवेदन प्रस्तुत किया।
राजपूत वंश की आदर्श रानी पद्मावती के चरित्र पर आधारित पद्मावती नामक फिल्म शीघ्र ही आ रही है । इस फिल्म में रानी पद्मावती और अल्लाउद्दीन खिलजी पर आधारित कुछ प्रसंगों का जयपुर के किले में चित्रीकरण (शूटिंग) करते समय करणी सेना नामक राजपूत संगठन ने संजय लीला भन्साली को सबक सिखाया । इस घटना से बॉलीवुड के निर्देशकों और अभिनेताआें ने बडा विवाद आरंभ किया है । भारतीयों के पैसों पर करोडों कमाकर, घमंड में चूर, आलिशान गाडियों में घूमनेवाले इन नाटकीय बॉलीवुडवालों को जनता ने दिखा दिया है कि अब सिनेमा और कला के नाम पर हिन्दुआें के शौर्य के इतिहास का विकृतिकरण सहन नहीं किया जाएगा ।
टॉयलेट-एक प्रेमकथा इस फिल्म का भी मथुरा की परंपराआें का अपमान करने के लिए मथुरावासियों ने विरोध किया है । ‘पद्मावती’ के अनुभव से इस निर्देशक को सबक सीखना चाहिए और हिन्दू परंपराआें का अनादर नहीं करना चाहिए । इसके साथ ही सिनेमा द्वारा हो रहे इन अनुचित बातों पर और इतिहास के विकृतिकरण पर भी सेन्सर बोर्ड समय पर ही रोक लगाए, ऐसी हमारी मांग है ।
रानी पद्मावती वीर हिन्दू नारियों में से एक हैं । इस्लामी आक्रमकों की वासना का शिकार बनने और इस्लाम धर्म को स्वीकार करने पर बाध्य होने से पूर्व ही स्वाभिमान से अग्निप्रवेश कर मृत्यु को गले लगानेवाली जोहर करनेवाली नारियों में से रानी पद्मावती एक थीं । किसी भी ऐतिहासिक महापुरुष का स्थानीय क्षेत्र में और उस विशिष्ट समाज में अपना एक स्थान होता है । इसलिए उनसे संबंधित किसी भी ऐतिहासिक घटनाक्रम में परिवर्तन कर फिल्म में मसाला डालने के लिए यदि कुछ प्रसंग जोडे गए, तो ऐसी फिल्मों का विरोध होना स्वाभाविक है । इससे पूर्व भी जोधा-अकबर, बाजीराव-मस्तानी के समय भी विरोध हुआ था । इन दोनों फिल्मों में इतिहास को तोड-मरोड कर प्रस्तुत किया गया था, उनमें दिए अनेक प्रसंगों से यह स्पष्ट हुआ था ।
ऐसी ऐतिहासिक और परंपराआें संबंधी फिल्मों का विरोध न हो, इसके लिए फिल्म आने के उपरांत विरोेध होने की अपेक्षा फिल्म निर्देशक / निर्माता पहले ही संबंधित समाजघटकों के साथ विचार कर उनका विश्वास जीतें और फिल्म में कोई भी ऐतिहासिक संदर्भ छोडकर मसाला के रूप में प्रसंग नहीं दिखाएंगे, इसका लिखित स्वरूप में स्वीकृति पत्र दें । ऐसा होने पर हिन्दू समाज खुले मन से इस फिल्म का स्वागत करेगा; परंतु पुन: हिन्दुआें के साथ यदि धोखा हुआ तो हिन्दुआें के रोष का सामना करना पडेगा ।