Menu Close

सनातन संस्था को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए कोई ठोस आधार नहीं : केन्द्र सरकार

मुंबई : केन्द्र सरकार ने आज मुंबर्इ उच्च न्यायालय को बताया कि, आज की तिथि तक उसे ऐसी कोई संतोषजनक चीज नहीं मिली जिसके आधार पर वह सनातन संस्था को गैर कानूनी गतिविधि निरोधक कानून के तहत आतंकी संगठन घोषित कर सके और इस पर प्रतिबंध लगा सके।

न्यायमूर्ति वी.एम. कनाडे और न्यायमूर्ति पी.आर. बोरा की खंडपीठ विजय रोकड़े द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है और आरोप लगाया गया है कि, इस संगठन के सदस्यों ने पनवेल और ठाणे में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया है।

पीठ को सूचित किया गया कि, महाराष्ट्र सरकार ने आतंक रोधी दस्ता एटीएस द्वारा सौंपे गई एक रिपोर्ट और सामग्री के आधार पर केन्द्र सरकार को २०१२ में एक प्रस्ताव भेजकर इस समूह पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी।

केन्द्र सरकार ने आज इस न्यायालय को बताया कि, राज्य सरकार द्वारा भेजे गए साक्ष्य और अन्य सामग्री निर्णयात्मक नहीं थी और इसलिए इस संगठन को आतंकी संगठन के तौर पर घोषित नहीं किया जा सकता। केन्द्र ने पिछले वर्ष अक्तूबर में भी यही दलील दी थी।

पीठ ने मामले की अंतिम सुनवाई की तारीख ७ मार्च तय की हैं।

न्यायालय में सत्य का पक्ष लेने के लिए केंद्र सरकार का आभार ! – श्री. अभय वर्तक, प्रवक्ता, सनातन संस्था

सनातन संस्था एक आध्यात्मिक संस्था है और यह निर्दोष है, यह बात हम पहले दिन से कहते आ रहे हैं । यही बात आज केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय में कही । केंद्र सरकार ने न्यायालय में सत्य का पक्ष लिया, इसके लिए हम उसके आभारी हैं ।

सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग के लिए मुंबई उच्च न्यायालय में वर्ष २०१० में प्रविष्ट याचिका की आज सुनवाई हुई । उस समय केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय को बताया कि ‘सनातन संस्था के विरुद्ध प्रमाण न होने से राज्यशासन के प्रेषित प्रतिबंध-प्रस्ताव पर कार्यवाही नहीं हो सकती ।’

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *