आश्विन पौर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११६
इस्लामाबाद : पाकिस्तान में सिखों का रहना अब खतरे से खाली नहीं है। हाल ही के कुछ महीनों में ८ सिखों को बेरहमी से मौत के घाट उतारा दिया गया। वह हरदम मौत के साय में रहते हैं। यह दर्द किसी एक सिख परिवार का नहीं बल्कि पाकिस्तान में रहते इस कम संख्या समूह भाईचारे का है।
पाकिस्तान के पेशावर में रहने वाले अमरजीत सिंह ने बताया कि घर से बाहर निकलते समय वह अपने साथ बुरे से बुरा होने के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा पता नहीं किसकी गोली पर मेरा नाम हो और मौत घर के बाहर खड़ी इंतजार करती हो। घर के बाहर ही क्यों यह कम संख्या भाईचारा अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं है। आतंकवाद पाकिस्तान में इस तरह अपनी, जड़ें मजबूत कर चुका है कि घर से बाहर निकलता आम आदमी तो डरता है पर वह समाज के दुश्मन खुलेआम बेखौफ घूमते हैं।
अमरजीत सिंह फार्मेसी की दुकान चलाते हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान के बिगड़े हालातों से सिख इतने डर गए हैं कि वह अब गुरुद्वारों में अरदास करने के लिए भी नहीं जाते। पेशावर में तकरीबन ४०,००० सिख रहते हैं। पिछले महीने यहां हर्बल जड़ी-बूटियों की दुकान चलाने वाले हरजीत सिंह को गोलियों के साथ मार दिया गया था।
पुलिस के मुताबिक पिछले १८ महीनों में अब तक ८ सिखों को मौत के घाट उतारा दिया गया है। वजीरिस्तान में तालिबान के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम के कारण लगभग ५०० सिखों को अपने घर बार छोड़कर पेशावर जाकर रहना पड़ा। वहां के कट्टर मुस्लिम कम संख्या भाईचारे जैसे यहूदियों, सिखों आदि को अजनबियों की तरह देखते हैं।
स्त्रोत : पंजाब केसरी