उत्तर प्रदेश : एक युवती के जेल में बंद होने के बावजूद गर्भवती होने से उत्तर प्रदेश पुलिस व्यवस्था सवालों के घेरे में घिर गई है। घटना उत्तर प्रदेश के जौनपुर की है, जहां युवती के पिता ने यह आरोप लगाया है। पिता ने न्यायालय में धारा १५६ (३) के तहत प्रार्थना पत्र देकर कहा कि, तत्कालीन एसओ की शह पर पुलिस हिरासत में उनकी पुत्री के साथ छह लोगों ने सामुहिक बलात्कार किया था।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) प्रथम ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश मीरगंज पुलिस को दिया है परंतु पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की है। मीरगंज थाना क्षेत्र में ३० अक्तूबर, २०१५ को एक अधिवक्ता की हत्या के मामले में मृतक की पुत्री ने एक ही परिवार की तीन महिलाओं समेत सात लोगों के विरुध्द प्राथमिकी दर्ज कराई थी। तत्कालीन एसओ ने १ नवंबर, २०१५ को मामले में एक युवती, उसकी बड़ी बहन और मां को हिरासत में लिया था।
पिता का आरोप है कि, हिरासत में लेने के बाद हथियार बरामदगी के बहाने एसओ उसकी बेटी को रात १० बजे के बाद उसके घर ले गए, जहां छह लोगों ने युवती के साथ सामुहिक बलात्कार किया। बाद में पूरे परिवार को जेल भेज दिया गया।
अभी तक पुलिस ने कोई केस दर्ज नहीं किया
युवती ने बयान देने से इनकार करने के कारण जांच का नतीजा नहीं निकला। ११ जुलाई को जिला अस्पताल में युवती का ऑपरेशन कराकर बच्चे को जन्म दिया गया। उस समय युवती की मां और बहन भी जेल में थीं। बाद में २८ अक्तूबर को युवती के पिता ने न्यायालय में अधिवक्ता उपेंद्र विक्रम सिंह के जरिए धारा १५६ (३) के तहत प्रार्थना पत्र दिया।
सीजेएम अभिनय कुमार मिश्र ने प्रार्थनापत्र के आधार पर २८ जनवरी को एसओ मीरगंज को केस दर्ज करने के लिए आदेश दिया। बावजूद इसके अब तक पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया। युवती के पिता को मीरगंज पुलिस धमका रही है। पुलिस का कहना है कि, घटना पवारा थाना क्षेत्र की है तो उसने यहां के लिए आदेश क्यों कराया ?
स्रोत : अमर उजाला