न्यायालयों के चक्कर काट-काटकर परेशान हुए लोग भगवान के मंदिरों में जल्द न्याय होने की मन्नतें करते हैं।
दरअसल, बारां जिले में आदिवासी अंचल शाहबाद के केलवाड़ा में प्रसिद्ध सीताबाड़ी मंदिर है। कभी महर्षि वाल्मिकी की तपोभूमि रहे इस स्थान की दूर-दूर तक बड़ी मान्यता है। इस पावन स्थान पर लगने वाले मेले को आदिवासियों का कुम्भ कहा जाता है।
यहां भगवान लक्ष्मण का मंदिर है। इस मंदिर से चमत्कार की घटनाएं भी जुड़ी हुई हैं। भगवान के नाम सालों पहले १६ बीघा देवस्थान माफी मंदिर की जमीन थी। यह जमीन किसी व्यक्ति के नाम हस्तांतरित नहीं हो सकती, किंतु यहां पर पूजा कर रहे पुजारियों ने ही भगवान लक्ष्मण की इस जमीन को गलत तरीके से इंतकाल खुलवा अपने नाम चढवा ली और इस जमीन को रसूखदार लोगों को कागजों में बेच भी दिया।
आज इस जमीन पर कई बड़ी-बड़ी अवैध इमारतें खड़ी हैं। भगवान लक्ष्मण के नाम दर्ज १६.२ बीघा जमीन आज मंदिर निर्मित मात्र ११ बिस्वा तक ही सिमट गई है। लोग बताते हैं कि, नामी डकैत अमृत सिंह को इस मंदिर से काफी लगाव था। उसने इस मंदिर का विकास कराया था, किंतु डाकू के द्वारा संरक्षित मंदिर की जमीन को यहां के पुजारियों ने ही उजाड दिया।
मंदिर के लिए ही बने सीताबाड़ी विकास समिति के सदस्य जसविंदर सिंह साबी को भगवान की जमीन को गबन करने की बात जब पता चली तो, उन्होंने इस जमीन को भगवान लक्ष्मण के नाम वापस चढवाने के लिए ढेरों प्रयास किए। उनके द्वारा खंगाले गए रिकॉर्डों के आधार पर कोटा संभाग के वर्तमान आयुक्त रघुवीर सिंह मीना ने २६ अगस्त २०१६ को बारां जिला कलेक्टर को आदेश दिए कि वह मंदिर श्री लक्ष्मण जी की माफी जमीन को फर्जी तरीके से अपने नाम करवाने के कागज को निरस्त करें और उस जमीन को कब्जा मुक्त करें।
इस आदेश के ६ महीने बाद भी जब जिला कलेक्टर ने संभागीय आयुक्त के इस आदेश पर कार्रवाई नहीं की तो जसविंदर ने न्यायालय से गुहार लगार्इ । मामले में प्रस्तु प्रमाणों के आधार पर न्यायालय ने केलवाड़ा थाने को इस सम्बन्ध में मंदिर के पुजारी राजेंद्र, जीतेन्द्र और सुमन के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए।
पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 467, 168, 471, 120-B के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
स्त्रोत : जनसत्ता