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कराची में रचा जाता है भारत के विरुध्द आतंकी षड्यंत्र – इंटरनैशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) की रिपोर्ट

नर्इ देहली : पाकिस्तान में भारत विरोधी जिहादी संगठनों की भरमार है। ये संगठन हर समय भारत विरोधी गतिविधियों को अंदाज देने की फिराक में लगे रहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कराची शहर में भारत विरोधी जिहादी संगठनों की संख्या सबसे ज्यादा है आैर इन संगठनों को पाकिस्तानी सेना का समर्थन भी प्राप्त है।

ब्रसल्स के थिंक टैंक, ‘इंटरनैशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) की रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, कराची आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जमात उद दावा और जैश-ए-मोहम्मद का गढ है और यहां जिहादी बनाने के लिए मदरसों का उपयोग किया जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के खतरनाक आतंकी संगठन कराची शहर के संसाधनों का उपयोग करते हैं। ये संगठन यहां मदरसे और चैरिटी चलाते हैं, जिस पर पाकिस्तान सरकार किसी तरह की रोक नहीं लगाती है। आईसीजी की रिपोर्ट के अनुसार, ‘पाकिस्तान : स्टोकिंग द फायर इन कराची’ में बताया गया है कि, कैसे सांप्रदायिक, राजनीतिक और जिहादी संगठन पाकिस्तान के शहर कराची को प्रेशर कुकर बना रहे हैं। इसमें कहा गया है कि, पाकिस्तान रेंजर्स इन जिहादी और आतंकी संगठनों को नेक (अच्छे) जिहादी मानते हैं और इन संगठनों पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं।

रिपोर्ट में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से बताया गया है कि, यहां सुपर हाइवे के समानांतर ‘अच्छे तालिबान’ की बस्तियां हैं। वरिष्ठ अधिकारियों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के हवाले से इस रिपोर्ट में बताया गया है कि, कई जिहादी मास्टरमाइंड जो कराची छोड़कर चले गए थे, अब वे शहर को सुरक्षित महसूस करते हैं और वापस लौट चुके हैं।

आईसीजी की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि, जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर किसी तरह के तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है तो इन संगठनों के सदस्य कराची में जमा हो जाते हैं। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि, कराची में जिहादी मदरसे स्वतंत्र रूप से चलते हैं। यहां रोजगार की कमी की वजह से युवा मदरसों में चले जाते हैं, जहां इन्हें पैसे भी दिए जाते हैं। यहां के बेरोजगार लोग जिहाद को व्यवसाय की तरह अपनाते हैं।

कराची के एक पुलिस अधिकारी ने बाताया कि, हमें कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते हैं। हमें विदेश नीतियों का भी ध्यान रखना पड़ता है।

स्त्रोत : लाइव्ह हिंदुस्तान

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