दरवाजे का रहस्य
केरल में तिरुवनंतपुरम पद्मनाभ स्वामी मंदिर विश्व के कुछ सबसे रहस्यमय जगहों में एक है। ये रहस्य है एक दरवाजे का, जिसे आज तक कोई खोल नहीं सका।
दरवाजा खोल सके, ऐसा कोई सिद्ध पुरुष नहीं है पूरी विश्व में
माना जाता है कि, उसे केवल कोई सिद्धपुरुष ही खोल सकता है, परंतु आज की तारीख में जो इसे खोल सके ऐसा कोई सिद्ध पुरुष पूरी धरती पर नहीं है। यह भी माना जाता है कि, ये दरवाजा भगवान तक जाता है।
२ लाख करोड़ का सोना
इस मंदिर के गर्भ-गृह खजाने में २ लाख करोड़ का सोना है, पर इतिहासकारों के अनुसार वास्तविकता में इसकी ये अनुमानित राशि इससे कहीं दस गुना ज्यादा होगी। इस खजाने में सोने-चांदी के महंगे चेन, हीरा, पन्ना, रूबी, दूसरे कीमती पत्थर, सोने की मूर्तियां जैसी कई कीमती चीजें हैं जिनकी असली कीमत आंकना बेहद मुश्किल है।
कलियुग के पहले दिन मंदिर की हुई थी स्थापना
मंदिर में पद्मनाभ स्वामी की मूर्ति की स्थापना कब और किसने की, इसकी कहीं कोई ठोस जानकारी नहीं है। त्रावनकोर के इतिहासकार डॉ. एल. ए. रवि वर्मा के अनुसार, ये रहस्यमय मंदिर ५००० वर्ष पहले कलियुग के पहले दिन स्थापित हुआ था।
भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर
भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में केवल हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले ही जा सकते हैं और यहां प्रवेश के लिए एक खास वस्त्र (ड्रेस कोड) धारण करना भी आवश्यक है।
शापित दरवाजा
कुछ अन्य कहानियों के अनुसार, ६वीं सदी में त्रावनकोर के महाराज ने इस मंदिर का निर्माण कराया था और अपने बेशकीमती खजाने को मंदिर के तहखाने में और मोटी दीवारों के पीछे छुपाया था। कई सौ वर्षों तक किसी ने इसके दरवाजे खोलने की हिम्मत नहीं की। बाद में इसे शापित माना जाने लगा।
तहखाने
मंदिर में ६ तहखाने हैं, जो शापित माने जाते हैं खासकर मंदिर का ७वां द्वार। कथाओं के अनुसार एक बार खजाने की खोज करते हुए किसी ने इसे खोलने का प्रयास कीया था, परंतु उसके अंदर से जहरीले सांप निकलने लगे और सभीकी मृत्यु हो गर्इ।
सातवां दरवाजा खोलने की कोशिश ला सकता है प्रलय
माना जाता है तहखाना बी जो इस मंदिर का सातवां द्वार भी कहा जाता है, केवल कुछ मंत्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है। किसी भी आधुनिक मानव-निर्मित तकनीक या दूसरे मानव-प्रयासों से खोलने या ऐसा करने का प्रयास कीया तो दिशा में मंदिर नष्ट हो सकता है और ये प्रलयकारी भी सिद्ध हो सकता है।
माना जाता है जहरीले सांपों का बसेरा
दरवाजे के पीछे के खजाने का पता लगाना भले ही मुश्किल हो, परंतु इसके पीछे से पानी की आवाजें आती हैं। माना जाता है कि, ये आवाजें सापों के सरसराने की हैं। शायद बहते हुए पानी में यहां बेहद जहरीले सांपों का निवास हो।
बीस फुट की खुदाई में मिला बेशकीमती खजानों का राज
२०११ में न्यायालय के आदेश पर मंदिर ट्रस्टी को शामिल करते हुए इसे खोलने के लिए ७ लोगों की कमिटी बनाई गई। कागजी कार्रवाई में आसानी के लिए सभी तखखानों को ए, बी, सी, डी, ई और एफ नाम दिया गया। लोहे के दरवाजों के बाद एक और भारी लकड़ी का दरवाजा खोलते हुए जमीन के अंदर २० फुट की खुदाई कर बाकी तहखाने तो खुल गए, परंतु बी चैंबर नहीं खुल सका।
हालांकि खोले गए तहखानों से १,३२,००० करोड़ के सोने और हीरे जैसे कीमती रत्नों के जड़ाऊ गहने, हाथी की मूर्तियां, बंदूकें आदि निकलीं। चौंकाने वाली बात ये थी कि यहां २८ किलोग्राम का एक बैग ऐसा भी था जिसमें ७ अलग-अलग देशों के राष्ट्रीय सिक्के थे, जिसमें नेपोलियन के समय के और इटालियन सिक्के भी थे।
तमाम कोशिशों के बावजूद इसका चैंबर-बी दरवाजा खोला नहीं जा सका। उच्च न्यायालय की आदेश पर इसे खोलने गए इतिहासकार और न्यायाधीश के अनुसार इस पुरानी तकनीक के ताले को खोलना बेहद मुश्किल है और वो इसे तोड़ना नहीं चाहते।
चैंबर बी का ये दरवाजा स्टील का बना है जिसके द्वार पर दो बड़े कोबरा सांपों की आकृति उकेरी हुई है। इसमें कोई नट-बोल्ट या कब्जा नहीं हैं।
कौन सुलझेगा ये अबूझ पहेली ?
माना जाता है कि, इसे किसी सिद्ध पुरुष ने ‘नाग बंधम’ या ‘नाग पाशम’ मंत्रों का प्रयोग कर बंद किया है। इसलिए उतनी सिद्धियों के साथ ही इसे केवल ‘गरुड़ मंत्र’ का मंत्रोच्चार करते हुए ही खोला जा सकता है, वरना तकनीक या बल-प्रयोग से इसे खोलना विनाशकारी सिद्ध हो सकता है।
फिलहाल भारत या विश्व के किसी भी कोने में ऐसा सिद्ध पुरुष नहीं है। वैदिक साधना करने वाले कई साधुओं ने इसे खोलने का प्रयास कीया, परंतु इसे खोल नहीं सके। इसलिए अभी तक इस मंदिर के चैंबर-बी का ये दरवाजा सबके लिए एक रहस्य बना हुआ है। इसके अंदर कितना भी बड़ा खजाना हो, या ना हो, परंतु इतना जरूर कि ये दरवाजा भी स्वयं ही में किसी अबूझ पहेली से कम नहीं है।
स्त्रोत : स्पिकींग ट्री