कार्तिक कृष्ण पक्ष प्रतिपदा, कलियुग वर्ष ५११६
नई दिल्ली : गंगा नदी के किनारे स्थापित औद्योगिक ईकाइयों का कचरा अब सीधे गंगा नदी में नहीं गिर पाएगा। इसके लिए सभी औद्योगिक ईकाईयां विशेष तरह का सेंसर स्थापित करेंगी।
यह काम उन्हें ३१ मार्च २०१५ तक कर लेना है। इस बावत भारत सरकार ने सभी को नोटिस जारी कर दिया है। गंगा नदी के सफाई को लेकर केंद्र सरकार सख्त होती जा रही है।
इसको लेकर गंगा किनारे की करीब 700 औद्योगिक इकाईयों को चिंन्हित किया गया है, जो खतरनाक एवं जहरीला प्रदूषण नदी में फैलाती हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की माने तो सरकार ने पर्यावरण नियमों का पालन करने के लिए बेहद प्रदूषण करने वाले सात सौ से अधिक उद्योगों को अगले वर्ष मार्च तक का समय दिया है।
इसके बाद इन उद्योगों में प्रदूषण स्तर की जांच के लिए सेंसर लगा दिये जायेंगे। उनका मंत्रालय सरकार के स्वच्छ गंगा मिशन को कामयाब बनाने के लिए जल संसाधान, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के साथ तालमेल से काम कर रहा है।
आज के विचार-विमर्श में गंगा नदी के साथ पाँच राज्यों में स्थित अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के साथ परामर्श किया गया। इस दौरान केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नियामक ढांचे पर प्रस्तुतीकरण दिया। इसके अलावा प्रमुख औद्योगिक संघों ने औद्योगिक प्रक्रिया में होने वाले प्रदूषण पर काबू पाने की चुनौतियों पर की गई कार्रवाई की जानकारी दी। विचार-विमर्श में औद्योगिक संघों के सदस्य, गंगा संरक्षण में जुटे विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने गंगा नदी में औद्योगिक प्रदूषण पर विचार-विमर्श के दौरान स्वच्छ गंगा मिशन में उद्योगों से सहयोग का आग्रह किया। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने स्वच्छ गंगा मिशन में विभिन्न उद्योगों से सहयोग का आग्रह किया है।
गंगा नदी में औद्योगिक प्रदूषण पर आज आयोजित राष्ट्रीय विचार-विमर्श को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा नदी के साथ स्थित उद्योग, स्व-नियामक प्रावधानों से स्वच्छ गंगा मिशन में काफी सहयोग दे सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि गंगा संरक्षण कार्यक्रम देश में अन्य नदियों के लिए भी मानदंड तय कर सकेगा।
स्त्रोत : पंजाब केसरी