मराठी समाचार वाहिनी ‘साम’ पर ‘हिन्दुओं का लोकतंत्र’ इस विषय पर चर्चासत्र
हिन्दू जनजागृति समिति का सहभाग
मुंबई : भारत में हिन्दुओं की जनसंख्या घट रही है। जनसंख्या के प्रतिशत को देखते हुए प्रतिदिन हिन्दुओं की जनसंख्या न्यून हो रही है। विभाजन के समय भारत में ९० प्रतिशत हिन्दू थे; परंतु आज भारत में ७६ प्रतिशत हिन्दू बचे हैं। पाकिस्तान में पहले २२ प्रतिशत हिन्दू थे; परंतु अब वहां केवल १ प्रतिशत हिन्दू बचे हैं। हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन किया जा रहा है; परंतु हिन्दुओं ने कभी किसी का धर्मपरिवर्तन नहीं किया। हिन्दुबहुसंख्यक अरुणाचल प्रदेश आज ईसाई बहुसंख्यक हो गया है। इस देश में धर्मपरिवर्तन हेतु करोडों रुपएं विदेशों से आ रहे, यह खुला राज है ! इस वास्तविकता को हम नकार नहीं सकते। अतः जो सत्य है, उसे सभी के सामने रखने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। सत्य का समर्थन करने में हमें कुछ अयोग्य नहीं लगता ! हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. सतीश कोचरेकर ने ऐसा प्रतिपादित किया।
‘अरुणाचल प्रदेश को हिन्दू राज्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है’, ऐसा एक वक्तव्य काँग्रेस कमिटीद्वारा दिया गया था। उसपर केंद्रीय गृहराज्यमंत्री श्री. किरन रिजीजूद्वारा अरुणाचल प्रदेश में हिन्दुओं की जनसंख्या घट रही है, ऐसी प्रतिक्रिया दी गई थी। इसी पार्श्वभूमिपर मराठी समाचार वाहिनी ‘साम’ पर ‘हिन्दुओं का लोकतंत्र’ इस विषय पर चर्चासत्र का आयोजन किया गया था। इस चर्चासत्र में वे, ऐसा बोल रहे थे। इस चर्चासत्र में श्री. सतीश कोचरेकर सहित कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. राजु वाघमारे, भाजपा प्रवक्ता श्री. विश्वास पाठक, एमआयएम प्रवक्ता आर.एफ. हुसैनी, महिमा ईसाई प्रतिष्ठान के अध्यक्ष बबन कांबळे एवं मराठी ईसाई समुदाय की ओर से पास्टर विशाल मोरेश्वर उपस्थित थे। श्री. संजय आवटे ने इस चर्चासत्र का सूत्रसंचालन किया।
विगत ६० वर्षों के सत्ताकाल में अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण करनेवाले कांग्रेसी नेताओं का हास्यास्पद वक्तव्य !
‘सभी को समानाधिकार देना और सभी को साथ लेकर चलना यही लोकतंत्र का सार है’ ! – डॉ. राजु वाघमारे, प्रवक्ता, कांग्रेस
सभी को समानाधिकार देना तथा सभी को साथ लेकर चलना लोकतंत्र का सार है। अतः डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामीद्वारा दिया गया, ‘देश में केवल हिन्दुओं के कारण ही लोकतंत्र टिका हुआ है’, यह वक्तव्य हास्यास्पद है ! हिन्दुओं में ‘जातिभेद’ है, ‘वर्णव्यवस्था’ भी है ! (अभ्यासहीन वक्तव्य देनेवाले राजु वाघमारे ! क्या, अभीतक जाति एवं आरक्षण के आधारपर राजनीति करनेवाली कांग्रेस को इस विषय पर बोलने का नैतिक अधिकार है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) धर्म के नामपर लोगों को भ्रमित करना, लोगों को वास्तविकता से दूर ले जाना, विकास की ओर ध्यान केंद्रित न कर उनका ध्यान धर्मपर केंद्रित कराना, इस प्रकार का खेल भाजपाद्वारा सत्ता में आने के पूर्व से ही चल रहा है। ‘धर्मपरिवर्तन’ यह एक निजी बात है और शासन को इसकी ओर ध्यान नहीं देना चाहिए। वर्ष २००१ से वर्ष २०११ की अवधि में जनसंख्यावृद्धि की दर देखी जाए, तो वह हिन्दुओं की १.५ प्रतिशत और मुसलमानों की २.२ प्रतिशत थी। यदि आनेवाले ५० वर्षों में इसी दर से यदि जनसंख्या मे वृद्धि होती रही, तो मुसलमानों की जनसंख्या २९.५ कोटि तथा हिन्दुओं की संख्या १८० कोटि होगी। जनसंख्यावृद्धि की यह दर इसी प्रकार से रही, तो २०० वर्ष उपरांत मुसलमान एवं हिन्दुओं की जनसंख्या समान होगी। उस समय भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या के पांच गुना अधिक होगी। अतः इन आंकडों को देखा जाए, तो गृहराज्यमंत्रीद्वारा दिया गया वक्तव्य एक ‘बचपना’ है ! (हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन किया जा रहा है, ऐसी वास्तविकता होते हुए भी इस प्रकार से आकडों का खेल सामने रख कर राजु वाघमारे स्वयं को ही हास्यास्पद बना रहे है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इन्होंने वर्ष १९९९ से २०१६ तक ‘राम’जी के नामपर राजनीति की और अब वो धर्म के नामपर मतों का ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रहे हैं। (अब तक कांग्रेस ने मुसलमानों का तुष्टिकरण करने का एक भी अवसर नहीं गंवाया। अतः कांग्रेसियों के लिए दूसरों की आलोचना न कर स्वयं का आत्मपरिक्षण करना आवश्यक है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
नरेंद्र मोदी जब से सत्ता में आए हैं, तब से उन्होंने केवल विकास की ही राजनीति की है ! – श्री. विश्वास पाठक, प्रवक्ता, भाजपा
वर्ष २००१ से वर्ष २०११ की अवधि में अरुणाचल प्रदेश में ईसाईयों की संख्या १८ प्रतिशत से ३३ प्रतिशत, अपितु हिन्दुओं की जनसंख्या ३८ प्रतिशत से २९ प्रतिशत पर आ गई है। केंद्रीय गृहराज्यमंत्री ने केवल इस वास्तविकता को सभी के सामने रखा; परंतु कांग्रेस कमिटीद्वारा अरुणाचल प्रदेश का भगवेकरण किया जाने का आधारहीन वक्तव्य दिया गया। कांग्रेस के कार्यकाल में हो रहा अरुणाचल प्रदेश का ईसाईकरण अब नहीं हो सकेगा, इस भय के कारण ही कांग्रेसद्वारा यह विवाद उत्पन्न किया गया है। नरेंद्र मोदीद्वारा तो सत्ता में आते ही केवल और केवल विकास की ही राजनीति की गई है !
‘ईसाई धर्मपरिवर्तन करते हैं, यह आरोप पूर्णरूप से अयोग्य’ ! – बबन कांबळे, अध्यक्ष, महिमा ईसाई प्रतिष्ठान
‘ईसाई लालच देकर धर्मपरिवर्तन करते हैं और उसके लिए विदेशों से करोडों रुपएं आता है’, ये आरोप ही पूर्णरूप से अयोग्य हैं। ईसाई धर्म के कुछ पास्टर लोग सामाजिक कार्य करते हैं, साथ ही प्रार्थनालय चलाते हैं। वहांपर कुछ लोग केवल प्रार्थना हेतु आते हैं। (चर्च में प्रार्थना की आड में प्रार्थना करनेवालों को ‘ईसामसी आपको सभी समस्याओं से मुक्त कराएगा’, ऐसा बताकर, साथ ही विविध प्रकार के लालच देकर हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन किया जाता है। इस धर्मपरिवर्तन हेतु विदेशों से पैसा आता है, यह एक खुला राज है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) यदि किसी स्थानपर बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन किया जा रहा हो, तो शासन को उसपर रोक लगा देनी चाहिए। ऐसा कुछ न करते हुए इस प्रकार का वक्तव्य देना अयोग्य है !
‘हिन्दू राष्ट्र’ की संकल्पना रखनेवाले संविधान के विरोध में जा रहे हैं ! – आर.एफ. हुसैनी, प्रवक्ता, एमआयएम
किरन रिजीजूद्वारा दिया गया वक्तव्य संविधान के विरोध में तथा देश को तोडनेवाला वक्तव्य है। वे हिन्दू धर्म के ठेकेदार नहीं हैं। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरद्वारा संविधान में धारा १८ के अंतर्गत सभी को अपने-अपने धर्म का प्रसार करने का अधिकार प्रदान किया गया है। ‘हिन्दू राष्ट्र’ की संकल्पना रखनेवाले संविधान के विरोध में जा रहे हैं। (‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग संविधान की मर्यादा का पालन करते हुए ही की जा रही है। फिर भी बार-बार ‘हिन्दू राष्ट्र’ की संकल्पना का आलोचना करना केवल ‘हिन्दुद्वेष’ ही है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
‘ईसाई समाज ‘प्रेम एवं क्षमा’ का धर्म है’ ! – पास्टर विशाल मोरेश्वर, मराठी ईसाई समाज
ईसाई समाज ‘प्रेम एवं क्षमा’ का धर्म है। ईसाई समाज सदैव ही भारतीय शासन एवं संविधान की मर्यादा के अधीन रहा है। अतः हमारी तुलना किसी अन्य समाज के साथ न करें, हमारा समाज राष्ट्रप्रेमी ही है ! (अनेक चर्च में पादरियोंद्वारा नन्स के साथ बलात्कार, साथ ही छोटे बच्चों के साथ भी यौन अत्याचार किए जाने के समाचार आए दिन उजागर हो रहे है। ‘प्रेम एवं क्षमा’ का संदेश देनेवाले ईसाई धर्म के ‘ऐसे’ अनुयायियोंद्वारा होनेवाले इन दुष्कृत्यों के संदर्भ में ईसाईयों का क्या, कहना है ? ईसाई बहुसंख्यक हुए ईशान्य के राज्य भारत से अलग होने की सिद्धता में है ! क्या, यही ईसाईयों की देशभक्ति है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
श्री. सतीश कोचरेकर ने चर्चासत्र में वास्तविकता के प्रमाण देकर तथाकथित ‘सर्वधर्मसमभाव’ का पर्दाफाश किया !
इस चर्चासत्र में उपस्थित डॉ. राजु वाघमारे एवं आर.एफ. हुसैनी बार-बार ‘सर्वधर्मसमभाव’ इस पर ही बोल रहे थे और हिन्दुओं के मूलतत्त्ववादी होने की आलोचना कर रहे थे। इसका मुंहतोड उत्तर देते हुए श्री. सतीश कोचरेकर ने कहा कि, किरन रिजीजू के बौद्ध होने से उनकेद्वारा दी गई प्रतिक्रिया केवल राजनीतिक थी, ऐसा कहना अयोग्य है। पूर्व कांग्रेसी प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंहद्वारा ‘इस देश की संपत्तिपर पहला अधिकार मुसलमानों का है’, ऐसा वक्तव्य दिया गया था, तब इसपर चर्चा करने कोई आगे नहीं आया था ! हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन किस प्रकार से हो रहा है, इस संदर्भ में कांग्रेस के कार्यकाल में ही भारतीय शासनद्वारा नियुक्त ‘नियोगी आयोग’द्वारा अपना अहवाल प्रस्तुत किया गया है। पूर्व की राज्यों में बोडा आतंकी एवं नक्सली हैं। कश्मीर से हिन्दुओं को बाहर निकाला गया। कैराना जैसे प्रदेश से हिन्दुओं को विस्थापित होना पड रहा है। हिन्दुओं की इस दुःस्थितिपर बोलने के लिए कोई नहीं आगे आता !
चर्चासत्र को मूल विषय से भटकानेवाले और अपना ही कहा आगे आगे करनेवाले ‘सूत्रसंचालक’ !
इस समय सूत्रसंचालक श्री. संजय आवटेद्वारा ‘इस देश में रहनेवाले सभी नागरिक देशभक्त हैं’, ऐसा वक्तव्य किया गया। उसपर श्री. सतीश कोचरेकर ने भारत से इसिस में भर्ती होनेवाले, याकूब मेमन की अंतेष्टि में सम्मिलित होनेवाले धर्मांध देशभक्त न होने के विषय में कहा, तब सूत्रसंचालकद्वारा चर्चासत्र को दूसरी ओर मुड़ते हुए पूछा गया कि क्या, ‘नथुराम गोडसे देशद्रोही थे ?’ उसपर श्री. सतीश कोचरेकर ने कहा कि, संविधानद्वारा जिन्हें देशद्रोही ठहराया गया है, वो देशद्रोही हैं ! नथुरामजी को संविधानद्वारा कहीं भी ‘देशद्रोही’ नहीं कहा गया था। वे तो देशभक्त ही थे। आतंकियों का समर्थन करनेवालों को ही संविधानद्वारा देशद्रोही ठहराया गया है; परंतु उसके पश्चात भी सूत्रसंचालक श्री. संजय आवटे, अपनी ही बात को आगे बढा रहे थे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात