कार्तिक कृष्ण पक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११६
नई देहली : युवाओं को बढ़ावा देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि युवा पीढ़ी शिक्षा के साथ-साथ योग तथा मैडिटेशन पर भी ध्यान केंद्रित करें, इसलिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) मोदी की इस इच्छा की पूर्ति करेगा। मोदी ने योग पर यह विचार संयुक्त राष्ट्र में गत माह १९३ सदस्यों वाली वैश्विक संस्था के समक्ष अपने पहले संबोधन में रखा था।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को अपनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि बस कुछ ही दिनों के बाद, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत यू.जी.सी., परिसर में योग और ध्यान की पेशकश शुरू करेगा जिस के तहत छात्रों के लिए यह अनिवार्य होगा। मोदी की इसी पहल के तहत विश्वविद्यालय इस उद्देश्य के लिए योग्य योग प्रशिक्षकों को इस काम पर लगाएगा तथा यह आजादी भी देगा कि प्रतिभागियों से इसके लिए कम फीस ले।
योग सत्र, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सकारात्मक स्वास्थ्य कार्यक्रम का हिस्सा होगा। यह स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत योजना के तहत विश्वविद्यालयों में सफाई के साथ-साथ स्वस्थ रहने को बढ़ावा देने के लिए होगा। यूजीसी इस योजना को लागू करने के लिए विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। वहीं संयुक्त राष्ट्र की वैबसाइट पर दी जानकारी के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस नामक प्रस्ताव के मसौदे पर दो घंटे तक चलने वाले अनौपचारिक विचार-विमर्श का आयोजन १४ अक्तूबर को भारत के स्थायी मिशन की ओर से किया जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र में योग पर चर्चा के इस कार्यक्रम की योजना मोदी के संबोधन के लगभग दो सप्ताह के बाद आई है। २७ सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए इस संबोधन में मोदी ने कहा था कि वे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस अपनाएं। उन्होंने कहा था कि जीवनशैली में सुधार लाने और जानकारी लाने से हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिल सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आइए एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस अपनाने के लिए काम करें। योग दिमाग और शरीर की एकता, विचार और कार्रवाई, संयम और निर्वाह, व्यक्ति और प्रकृति के बीच सद्भाव, स्वास्थ्य एवं कल्याण के प्रति समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है।
स्त्रोत : पंजाब केसरी