कार्तिक कृष्ण पक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११६
दिल्ली – जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में महिषासुर दिवस मनाए जाने से पूर्व मां दुर्गा व महिषासुर की आपत्तिजनक अंश वाली किताब बांटे जाने को लेकर बवाल कटा।
इसकी जानकारी छात्र अंबाशंकर व अन्य ने पुलिस को दी और इस बाबत लिखित शिकायत भी दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने इस किताब को जब्त कर लिया। यह किताब दो दिन पहले से ही जेएनयू में बांटी जा रही थी।
पुलिस ने न सिर्फ जेएनयू से किताबें जब्त की, बल्कि किताब के प्रकाशक फॉर्वड प्रेस के नेहरू प्लेस स्थित कार्यालय से भी दो हजार प्रतियां जब्त की। इसके साथ ही चार कर्मचारियों को हिरासत मे लेकर ऑफिस को सील कर दिया गया। पुलिस ने जेएनयू प्रशासन से ऐसे कार्यक्रम न करने की अपील की है। बता दें कि जेएनयू में बृहस्पतिवार को महिषासुर शहादत दिवस के आयोजन से पूर्व यह घटना हुई। इसके बाद यहां पुलिस तैनात कर दी गई है।
इस बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि कार्यक्रम को लेकर शांति बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। कार्यक्रम के आयोजक जितेन्द्र यादव ने बताया कि कावेरी हॉस्टल में होने वाले इस कार्यक्रम पर रोक नहीं लगाई गई है।
जेएनयू में ऑल इंडिया बैकर्वड स्टूडेंट्स फोरम के तत्वावधान में महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और बैकर्वड स्टूडेंट्स फोरम समेत अन्य वामपंथी संगठन आमने सामने आ गए हैं।
गौरतलब है कि महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन चौथा वर्ष पूरा करने जा रहा है। जितेंद्र यादव का कहना कि बृहस्पतिवार सुबह से ही दिल्ली पुलिस जेएनयू के मुख्य द्वार पर कार्रवाई के लिए तैनात रही। जेएनयू प्रशासन द्वारा आयोजन के विरोध में हम पर दबाव बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यादव के अनुसार महिषासुर शहादत दिवस आयोजन का लक्ष्य किसी को नीचा दिखाने का नहीं है।
महिषासुर शहादत के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। जेएनयूएसयू इस मुद्दे पर हमारे साथ है। जेएनयू छात्रसंघ के उपाध्यक्ष अनंत ने कहा कि देश में भाजपा की सरकार बनने से उन्हें इस प्रगतिशील कैंपस में कोई विशेषाधिकार नहीं दिया जाएगा। महिषासुर हाशिए पर खड़े लोगों के संघर्ष का प्रतीक है।
फॉर्वड प्रेस ने की पुलिस कार्रवाई की निंदा
फार्वड प्रेस के सलाहकार संपादक प्रमोद रंजन ने बृहस्पतिवार को जारी बयान में कहा कि वे फार्वड प्रेस के दिल्ली कार्यालय में वसंतकुंज थाना, दिल्ली पुलिस के स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों द्वारा की गई तोड़-फोड़ व हमारे चार कर्मचारियों की अवैध गिरफ्तारी की निंदा करते हैं।
फार्वड प्रेस का अक्टूबर-2014 का अंक ‘बहुजन-श्रमण परंपरा’ विशेषांक के रूप में प्रकाशित है। इसमें विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यलयों के प्राध्यापकों व नामचीन लेखकों के शोधपूर्ण लेख प्रकाशित हैं। विशेषांक में ‘महिषासुर और दुर्गा की कथा का बहुजन पाठ चित्रों व लेखों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। लेकिन अंक में कोई भी ऐसी सामग्री नहीं है, जिसे भारतीय संविधान के अनुसार आपत्तिजनक ठहराया जा सके।
स्त्रोत : समय लाइव्ह