कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६
इंटरनेशनल डेस्क – इस साल शांति का नोबेल प्राइज संयुक्त रूप से दो लोगों को दिया गया है, जिसमें एक नाम पाकिस्तान की 17 वर्षीय मलाला युसुफजई का है। 1901-2014 के दौरान मलाला सबसे युवा नोबेल विजेता भी हैं। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात जिले स्थित मंगोरा शहर की मलाला ऐसी लड़की हैं, जो छोटी-सी उम्र में भी तालिबानियों से लोहा लेने में पीछे नहीं हटीं। यही वजह है कि उनके दृढ़ कदमों को रोकने के लिए तालिबानी आतंकियों ने 2011 में उन पर हमला किया था। लेकिन वे बच गईं।
बता दें कि तालिबानी कट्टरपंथी सोच में महिलाएं व लड़कियां हमेशा निशाने पर रहती हैं। पाकिस्तान में तालिबान लड़कियों व महिलाओं पर जुल्म की कहानियां हमेशा लिखता आया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान महिला के चेहरे को भ्रष्टाचार का प्रतीक मानता है। उसका कहना है कि भ्रष्टाचार की शुरुआत यहीं से होती है।
तालिबान की यही कट्टरपंथी सोच, महिलाओं की आजादी का सबसे बड़ी दुश्मन बन गया है। तालिबान का सख्त निर्देश है कि लड़की के आठ साल के होने पर, उसे पुरुषों के सीधे संपर्क से दूर रखा जाए। महिलाओं को लेकर तालिबानियों के कुछ ऐसे ही कड़े प्रतिबंध के बारे में जानते हैं।
तालिबान के निर्देश
- महिलाएं सड़क पर बिना बुर्का पहने हुए और सगे संबंधियों के बिना सड़क पर नहीं आ सकती।
- महिलाएं अपने घरों या अपार्टमेंट्स की बालकनी पर नहीं आ सकती है।
- तालिबानियों के अनुसार घर की पहली मंजिल की खिड़कियां ट्रांसपैरेंट नहीं होनी चाहिए। इनके कांच रंगे होने चाहिए ताकि महिलाओं को रास्ते से निकलते हुए लोग देख नहीं सकें।
- महिलाएं हाई हील्स की चप्पल नहीं पहन सकती और उसके कदम चलने में छोटे होने चाहिए।
- महिलाओं के नाम पर संस्थाएं और स्थान नहीं होने चाहिए।
- कोई भी पुरुष डॉक्टर महिला के शरीर को छूकर इलाज नहीं कर सकता। भले ही उसकी मौत हो जाए।
- लड़कियां सिर्फ कुरान ही पढ़ सकती हैं। उन्हें स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया नहीं जाना चाहिए। लड़कियां सिर्फ आठ साल तक ही पढ़ सकती हैं।
- महिलाएं आम जगह पर तेजी से बात नहीं कर सकती और न ही किसी अन्य अपरिचित व्यक्ति की बात सुनाई देनी चाहिए।
- महिलाएं रेडियो, टीवी और किसी भी तरह की पब्लिक गेदरिंग में नहीं आ सकती।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर