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मस्जिदोंपर लगाए अवैध भोंपूओं पर प्रशासनद्वारा कार्रवाई न किए जाने से उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट !

• मस्जिदों पर लगाए गए अवैध भोंपूओं पर शासन एवं पुलिस प्रशासन ने आगे आ कर कार्रवाई करना अपेक्षित होते हुए, नागरिकों को न्यायालयीन लडाइ करनी पडती है, यह शासन के लिए लज्जास्पद ! जनता को समय पर ही न्याय मिलने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही चाहिए !

• हिन्दुओंद्वारा उनके धार्मिक उत्सवों के समय लगाए जानेवाले ध्वनिक्षेपकों पर ‘ध्वनिप्रदूषण’ के नामपर तत्परता से कार्रवाई करनेवाली पुलिस एवं प्रशासन व्यवस्था, न्यायालयद्वारा आदेश दिए जानेपर भी और नागरिकोंद्वारा बार-बार परिवाद किए जाने के पश्‍चात भी मस्जिदोंपर लगाए गए भोंपूओं पर कार्रवाई करने का साहस नहीं दिखाती ! ऐसी पुलिस जनता की रक्षा क्या, ख़ाक करेगी ? अब ऐसी पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों पर न्यायालय ही कार्रवाई करें, ऐसी जनता की मांग है !

ठाणे : यहां के एम.एच. विद्यालय की बाजू में स्थित मस्जिदों पर लगाए गए भोंपूं यहां पढनेवाले छात्रों की पढाई में बाधा बन रहे हैं, अतः उनको बंद किया जाए, ऐसी मांग सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. महेश बेडेकरद्वारा किये जाने पर भी पुलिस ने उसपर कोई कार्रवाई नहीं की ! अतः डॉ. बेडेकर ने ठाणे पुलिस एवं महाराष्ट्र शासन के विरोध में उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका प्रविष्ट की है। संभवतः १७ मार्च को इसपर सुनवाई हो सकती है।

१. डॉ. महेश बेडेकर विगत ८ से १० वर्षों से ध्वनिप्रदूषण के विरोध में लडाई लड रहे हैं। उन्हीं के द्वारा प्रविष्ट की गई याचिका के कारण मुंबई उच्च न्यायालयद्वारा शासन, पुलिस एवं जिलाधिकारी को ध्वनिप्रदूषण पर अंकुश रखने के आदेश दिए गए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. महेश बेडेकर

२. ठाणे के एम.एच. हायस्कूल की बाजू में स्थित एक मस्जिद पर लगाए गए भोंपूओं से सुबह, दोपहर और सायंकाल के समय भी अजान दी जाती है। उससे इस विद्यालय में हो रहे अध्ययन में बाधा आने का परिवाद कुछ जागृत नागरिकों ने डॉ. बेडेकर के पास किया था।

३. एम. एच. विद्यालय का परिसर शांतिक्षेत्र में आता है और वहां पर किसी भी प्रकार के ध्वनिप्रदूषण पर प्रतिबंध है; किंतु उसके पश्‍चात भी इन भोंपुओं को पुलिसद्वारा अनुमति दी गई है क्या, ऐसा डॉ. बेडेकर ने पूछा था।

४. उसपर पुलिसद्वारा इसके लिए किसी भी प्रकार की अनुमति न दिए जाने का उत्तर डॉ. बेडेकर को मिला था। तो यदि ये भोंपू अवैध हैं तथा वे ध्वनिप्रदूषण करतें हैं, तो कृपया उनको बंद करें, ऐसा अनुरोध भी श्री. बेडेकर द्वारा पुलिस प्रशासन को किया गया था; किंतु पुलिस प्रशासनद्वारा इसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई और आज भी ये भोंपू उतने ही ऊंचे स्वर में बज रहें हैं !

५. लिखित रूप से परिवाद प्रविष्ट करनेपर भी पुलिस प्रशासनद्वारा ध्वनिप्रदूषण को रोकने हेतु कानून के अनुसार कोई भी प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, यह ध्यान में आनेपर अंततः डॉ. बेडेकर ने मुंबई उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका प्रविष्ट की है।

६. ठाणे पुलिसद्वारा न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है, इसका याचिका में उल्लेख कर उनके विरोध में उचित कार्रवाई की जाए, यह मांग भी याचिका में की गई है। ठाणे के पुलिस आयुक्त श्री. परमबीर सिंह, नौपाडा पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक श्री. पोफळे और राज्य शासन को इसमें प्रतिवादी बनाया गया है। (मस्जिदोंपर लगाए गए अवैध भोंपूओंपर कार्रवाई हो; इसके लिए एक सामान्य नागरिक को इतनी बडी लडाई करनी पडती है, यह शासन एवं पुलिस प्रशासन के लिए लज्जास्पद है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

७. उल्हासनगर में ध्वनिप्रदूषण के विरोध में कार्रवाई करने में विलंब करने से १४ मार्च को उल्हासनगर महापालिका आयुक्त श्री. परमबीर सिंह एवं ठाणे के जिलाधिकारी श्री. महेंद्र कल्याणकर सहित ९ अधिकारियों के विरोध में न्यायालय ने ‘न्यायालय का अवमान’ (Contempt Of The Court) किये जाने का नोटिस दिया है।

८. न्यायालय में प्रविष्ट इस अवमानना याचिका के पश्‍चात ठाणे पुलिसद्वारा जिन मस्जिदोंपर लगाए गए भोंपू ध्वनिप्रदूषण कर रहे हैं, उनके संदर्भ में ब्यौरों को संकलित करना प्रारंभ कर दिया गया है तथा उनपर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। पुलिस बल के विश्‍वसनीय सूत्रोंद्वारा यह जानकारी दी गई है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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