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नेपाल : हिन्दू जनजागृति समिति के पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने श्री कान्तिभैरव गुरुकुल विद्यालय के सचिव वेदमूर्ति श्रीराम अधिकारी से की भेंट !

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी की नेपाल यात्रा

विचार-विमर्श करते हुए पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी (बाईं ओर) एवं वेदमूर्ती श्री. श्रीराम अधिकारी

काठमांडू : शहर का पितृतीर्थ उत्तरगया (भारत के गया में भगवान श्री विष्णु का एक पाँव है तो दूसरा यहां है) में गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर के प्रमुख पुजारी श्री. जगदीश करमरकर से हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने सदिच्छा भेंट की।

नेपाल एवं भारत ‘हिन्दू राष्ट्र’ हों; इसके लिए हिन्दुओं के संघटन के लिए किए जा रहे प्रामाणिक प्रयासों को देखकर श्री. करमरकर ने पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी की श्री कान्तिभैरव गुरुकुल विद्यालय के सचिव वेदमूर्ती श्री. श्रीराम अधिकारी से भेंट करवाई। श्री. श्रीराम अधिकारी केवल अर्थार्जन हेतु पौरोहित्य करनेवाले पुरोहित न बनकर धर्मरक्षा करनेवाले पुरोहित बनें; इसके लिए प्रयासरत हैं !

इस अवसर पर वेदाध्ययन एवं श्रुती परंपरा की विशेषता को विशद करते हुए श्री. अधिकारी ने कहा कि, ‘वेदों में उच्चारण का बडा महत्त्व है तथा किसी ने यदि वेद की किसी शाखा के स्वर को कहींपर भी जाकर सीख लिया, तो वो स्वर एक ही होते हैं !’

इस अवसर पर पू. डॉ. पिंगळेजी ने कहा कि, ‘वेदों ने समष्टि का विचार किया है। जो केवल स्वयं का विचार करता है, उसने वेदों को जाना ही नहीं, ऐसा होता है ! यदि हमने धर्म को जान लिया, धर्म की (ईश्‍वर की) अनुभूति ली; किंतु धर्म के लिए त्याग नहीं किया, तो हम ने धर्म को जाना ही नहीं, ऐसा होता है !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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