मुंबई में ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’
महाराष्ट्र सरकार का ‘तुघलकी फ़तवा’ – ‘अंगारकी चतुर्थी के दिन सुरक्षा हेतु श्री सिद्धीविनायक मंदिर में श्रीफल अर्पण न करें’
मुंबई : ‘अंगारकी चतुर्थी के दिन सुरक्षा हेतु श्री सिद्धीविनायक मंदिर में श्रीफल अर्पण न करें’ ऐसा निर्णय सरकार ने पिछले माह में लिया था। उस के विरोध में दादर पश्चिम में कबुतरखाने के पास १४ मार्च के दिन ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ आयोजित किया गया था।
उस समय हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सुमीत सागवेकर ने प्रतिपादन किया कि, ‘देवता को श्रीफल अर्पण करना, यह हिन्दुओं का एक धार्मिक विधी है। श्रद्धालुओं की यह श्रद्धा है कि, श्रीफल के माध्यम से उस देवता के पवित्रक प्राप्त होते हैं। अतः श्री सिद्धीविनायक मंदिर में अंगारकी चतुर्थी के दिन श्रीफल पर पाबंदी लगाने का अर्थ है, हिन्दुओं को इस धार्मिक लाभ से दूर रखना ! वर्तमान में अत्याधुनिक यंत्रणाद्वारा श्रीफल में छुपाई गई स्फोटकें एवं तत्सम पदार्थ ढूंढना कोई कठीन बात नहीं है। इस यंत्र का उपयोग कर श्रद्धालुओं की सुरक्षा तथा श्रद्धालुओं को धार्मिक विधी करने की सुविधा ये दोनों बातें साध्य करना संभव होते हुए भी श्रद्धालुओं की सुरक्षा का भय उत्पन्न कर हिन्दुओं को धार्मिक विधी से वंचित रखने का अधिकार शासन को नहीं है !’
भारत में, त्वरित ही धर्मांतर विरोधी अधिनियम पारित करने की मांग भी इस आंदोलन में की गई।
इस अवसर पर श्री रायगड संवर्धन प्रतिष्ठान, विश्व हिन्दू परिषद, शिवसेना, बहुजन विकास अघाडी, हिन्दू जनजागृति समिति तथा सनातन संस्था आदि संघटनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे।
उपस्थित मान्यवरोंद्वारा व्यक्त किए गए विचार ….
श्री. राजेंद्र सावंत, श्री रायगड संवर्धन प्रतिष्ठान : हम हिन्दुओं के मंदिरों पर लागू किए गए निर्बंध निंदनीय हैं। शासन की ओर से हमारी धर्मश्रद्धा पूरी तरह से पैरोतलें कुचली जा रही है। हिन्दुओं को ही निरंतर कानून का डंडा दिखाया जाता है। उसकी अपेक्षा अन्य धर्मियों को अधिक मात्रा में सुविधा दी जाती है; किंतु, अब हम यह बात सहन नहीं करेंगे !
श्री. संघटन शर्मा, युवा नेता, बहुजन विकास अघाडी, मुंबई : हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का आदर करना चाहिए। श्रद्धालुओं की श्रद्धा के बारें में विचार कर श्री सिद्धीविनायक मंदिर में अंगारकी के दिन श्रीफल अर्पण करने पर की गई बंदी त्वरित हटानी चाहिए !
आंदोलन के समय महाराष्ट्र सरकार के इस ‘तुघलकी’ फतवे का विरोध करने हेतु एक श्रीगणेशभक्त महिला ने आगे आकर अपनी संतप्त प्रतिक्रिया व्यक्त की, वह इस प्रकार है….
‘अंगारकी चतुर्थी के दिन हम पांच नारियल का तोरण लेकर गए थे। सुरक्षा रक्षकों ने हमें तोरण मंदिर में ले जाने से रोक दिया। तोरण, मंदिर के बाहर ही रखने के लिए हमें बताया गया। उस समय हमें अत्यंत अशुभ प्रतीत हुआ। वे हमें बता रहे थे कि, ‘नारियल के तोरण की अपेक्षा अर्पणपेटी में धन अर्पण करें; किंतु, उनकी यह बात हमें बिलकुल अच्छी नहीं लगी !’ – श्रीमती मनीषा कदम, खार (पूर्व)
क्षणिका : शिवसेना नगर(जिला) के दर्शन हेतु आये एक शाखाप्रमुख श्री. मयुर चव्हाण तथा उनके दो मित्र आंदोलन देखकर, आंदोलन में सहभागी हुए !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात