काठमांडू : नेपाल के चुनाव आयोग ने लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का हवाला देते हुए राजशाही और हिंदू समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के विधान से ‘हिंदू राज्य और राजशाही’ जैसे अनुच्छेदों को हटाने का निर्णय लिया है।
चुनाव आयोग को इस निर्णय के कारण से पार्टी के विरोध का सामना करना पड़ा है। उप प्रधानमंत्री और आरपीपी के अध्यक्ष कमल थापा ने विरोध दर्ज कराते हुए आयोग से अपने निर्णय को सही करने की अपील की है। उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग ने पार्टी के विधान से हिंदू राज्य और राजशाही से संबंधित धारा को हटाकर पार्टी से उसकी आत्मा ही छीन ली है।’
आरपीपी ने इस निर्णय को असंवैधानिक बताते हुए इसको न्यायलय में चुनौती देने का निर्णय लिया है। पार्टी ने कहा ‘हमारा संविधान हमें विचारधारा की स्वतंत्रता रखने की अनुमति देता है। ऐसे में आयोग द्वारा पार्टी के विधान से कुछ धाराओं को हटाना असंवैधानिक है।’
२००८ में जन आंदोलन के द्वारा राजशाही के समाप्ति के बाद नेपाली संसद ने देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित कर दिया था। इसके बाद से ही आरपीपी ने नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए अभियान छेड़ रखा है।
आरपीपी के प्रवक्ता रोशन कार्की ने कहा, ‘आरपीपी ऐसे किसी भी निर्णय को स्वीकार नहीं करेगी जो इसके प्रमुख आदर्श को माने से रोकता हो। हम आयोग से दोबारा निर्णय पर विचार करने का निवेदन करते हैं।’ पार्टी ने साथ ही हिंदू राष्ट्र की बहाली के लिए देशव्यापी आंदोलन चलाने का निर्णय किया है।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स