Menu Close

संगमनेर (जिला नगर) स्थित अवैध पशुवधगृह एवं गोवंशहत्या रोकने में पुलिस यंत्रणा असफल

महाराष्ट्र में, गोवंश हत्याबंदी कानून होते हुए भी पुलिस यंत्रणा किस कारण से असहाय हुई, इसका गंभीरता से चिंतन करना आवश्यक है !

संगमनेर (जिल्हा नगर) : महाराष्ट्र में गोवंशहत्या बंदी कानून लागू होकर भी उसका कठोरता से कार्यान्वयन करने के संदर्भ में सर्वत्र प्रश्नचिन्ह ही है ! संगमनेर में तो इस संदर्भ में स्थिति और भी बिकट है। नगर में हर सप्ताह अथवा सप्ताह में एक बार अवैध पशुवधगृहों पर पुलिस कार्रवाई करती हैं; परंतु उसके पश्चात भी पुनः अवैध पशुवधगृह कुछ दिनों बाद शुरु हो जाते हैं। (यदि अपराधियों पर धाक जमाने में पुलिस असफल सिद्ध होते हैं, तो वरिष्ठ अधिकारियों को इस ओर ध्यान दे कर आवश्यक उपाय करने चाहिए। यदि पुलिस की अपेक्षा अपराधी बढे सिद्ध होते हैं, तो कानून-सुरक्षा क्या, ख़ाक रखी जाएगी ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

१. नगर पुलिसद्वारा की गई कार्रवाई में अब तक हजारों किलो मांस नियंत्रण में लिया गया है। उसीप्रकार सैकडों पशुधन भी नियंत्रण मे लिए गए हैं।

२. इस संदर्भ में अनेक लोगों पर अपराध प्रविष्ट किए गए हैं एवं कुछ लोगों को तड़ीपार भी किया गया है।

३. किसानों से कौडीदामों में जानवर खरेदी कर रात्रि के अंधेरे में उनकी हत्या कर उनका मांस राज्य में अन्यत्र भेजा जाता है।

४. आश्वी, साकुर, बोटा तथा घारगाव जैसे गांवों में बाजार के दिन तथा रविवार को जानवरों की दिनदहाड़े हत्या कर उनका मांस विक्रय किया जाता है।

५. ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि, पुलिस नाममात्र कार्रवाई कर अपराधियों को मुक्त करते हैं तथा अपना स्वार्थ साध लेते हैं। इसलिए अवैध पशूवधगृह स्थायी रूप से बंद नहीं हो सकें हैं। (हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों के वैधानिक मार्ग से होनेवाले आंदोलनों में अकारण अपनी शक्ति का व्यय करनेवाली पुलिस ने यदि पूरी शक्ति के साथ अवैध पशुवधगृहों पर आरंभ में ही कार्रवाई की होती, तो पुनः पुनः कार्रवाई करने में पुलिस को अपनी शक्ति व्यय नहीं करनी पडती ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *