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ऑस्ट्रेलिया के अँग्लिकन चर्च के विरोध में अल्पायु बच्चों का लैंगिक शोषण करने के विरोध में ११०० परिवाद

  • भारत में लालच देकर हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन करनेवाले ईसाई मिशनरियों को; इन वासनांधों के संदर्भ में, सभी हिन्दुओं ने फटकारना चाहिए !
  • अबतक की घटनाओं से ऐसा ही उजागर हुआ है कि, पूरे विश्व के अधिकांश चर्च में पादरी वासनांध होते हैं; परंतु भारत का एक भी प्रसारमाध्यम ऐसी घटनाओं के समाचार कभी नहीं दर्शाता, यही उनकी ‘धर्मनिरपेक्षता’ है !

सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) : पिछले ३५ वर्षों में यहां के अँग्लिकन चर्च के विरोध में अल्पायु बच्चों का लैंगिक शोषण करने के संदर्भ में १ सहस्त्र १०० परिवाद प्रविष्ट होने के कारण अँग्लिकन चर्च के प्रमुखों ने बड़ा दु:ख व्यक्त किया। चर्च में शोषित बच्चे साधारण ११ वर्ष आयु के थे। इन प्रकरणों में चर्च ने अब तक करोडो रुपयों की हानिपूर्ति भी की है !

१. रॉयल कमिशनद्वारा प्रकाशित ब्यौरे के अनुसार अल्पायु बच्चों के लैंगिक शोषण के प्रकरणों में चर्च के ५६९ पादरी, शिक्षक एवं कर्मचारी अपराधी थे !

२. मेलबर्न के आर्चबिशप फिलीप फ्रेइर ने इस संदर्भ में व्यक्तिगत रूप से दु:ख व्यक्त किया। अल्पायु बच्चों पर किए गए अत्याचार की घटनाओं से हमें धक्का लगा है एवं इसे रोकने में चर्च असफल हुआ है, उन्होंने चर्च के संकेतस्थल पर ऐसी प्रतिक्रिया प्रसारित की है !

३. चर्च की अ‍ॅनी हेवूड ने कहा कि, बच्चों को संभालनेवाले चर्च में पादरी, शिक्षक एवं अन्य कर्मचारी विश्वासपात्र होते हुए भी हम बच्चों का शोषण करनेवालों को नहीं रोक सके, इससे हमें बहुत लज्जाजनक प्रतीत हो रहा है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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