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धर्म में विकृती नहीं होती, धर्मशिक्षा के अभाव से समाज में विकृती आती है – पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी की नेपाल यात्रा

राष्ट्रीय धर्मसभा नेपाल की ओर से दुर्गा मंदिर के लिए पू. डॉ. पिंगळेजी (बाईं ओर) के शुभहाथों ॐ चिह्नवाला भगवा ध्वज, पशुपतिनाथ तथा बुद्ध के जन्मस्थल होनेवाला लुंबानी का छायाचित्र स्वीकारते हुए दुर्गा मंदिर के अध्यक्ष प. लालनिधी पौडेल

चितवन (नेपाल) : राष्ट्रीय धर्मसभा नेपाल, जिला समिति, चितवन की ओर से यहां के दुर्गा मंदिर में हिन्दू धर्माभिमानियों के लिए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का मार्गदर्शन आयोजित किया गया था। उस समय अपने मार्गदर्शन में उन्होंने ऐसा प्रतिपादित किया कि, ‘धर्म में विकृती नहीं होती, धर्मशिक्षा के अभाव से ही समाज में विकृती आती है। यह विकृती दूर करने के लिए केवल बौद्धिक स्तर पर धर्म शिक्षा देने से कुछ लाभ नहीं होता; क्योंकि, यदि मन एवं बुद्धि अशुद्ध रहेगी तो विकृती दूर नहीं होगी, इसलिए केवल ‘साधना’ से मन एवं बुद्धि की शुद्धता करनी चाहिए !’ मार्गदर्शन के पश्चात ‘आवास टीव्ही’ के पत्रकार श्री. आनंद पोखरेलद्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देते समय पू. डॉ. पिंगळे वक्तव्य कर रहे थे।

पू. डॉ. पिंगळेजी ने अपने मार्गदर्शन में कहा कि, ‘‘धर्म कर्म प्रधान तथा आचरण प्रधान है। ‘मूंह में राम, बगल में छुरी’ अर्थात ‘केवल वक्तव्य में धर्म तथा कर्म में अधर्म’ ऐसा नहीं चलता। धर्म हरएक व्यक्ति को कर्तव्य बताता है। यदि समाज धर्मनिरपेक्ष हुआ, तो समाज एवं राष्ट्र नीच स्तर तक जा पहुंचता है। यदि पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ, कैलास को जागृत रखना है, तो हमें धर्मपालन एवं अधर्म का विरोध करना ही चाहिए !’’

मेरुतंत्र के अनुसार हिन्दू धर्म की परिभाषा कहते हुए उन्होंने बताया कि, ‘‘यदि हमने कितनी भी उपासना की, जबतक हमारे आसुरी दोष अर्थात काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर तथा अहंकार हममें स्थित हैं, तबतक हम असुर के असुर ही रहेंगे। साथ ही केवल धर्मकर्तव्य पूरा करने से कुछ नहीं होता, तो अधर्म के विरोध में भी कार्यरत रहना चाहिए। द्रौपदी के वस्त्रहरण के समय विदुर ने अधर्म का विरोध किया; इसलिए तो भगवान श्रीकृष्ण उनके घर गये !’’

इस कार्यक्रम का सूत्रसंचालन राष्ट्रीय धर्मसभा नेपाल के केंद्रीय समिति सदस्य श्री. प्रकाश ढकाल ने किया। राष्ट्रीय धर्मसभा नेपाल के न्यासी श्री. रामचंद्र पिया, चितवन जनपद अध्यक्षा श्रीमती मुना गुरुंग, सदस्या श्रीमती सरिता श्रेष्ठ, शब्द चिंतन संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री. भगिरथ न्योपाने, वैदिक सनातन हिन्दू धर्म के श्री. माधव प्रसाद लामिछाने, साथ ही यहां के अन्य हिन्दू संगठनों के कुछ कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।

नेपाल को पुनः ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने के लिए प्रयास करनेवाले राजनीतिक दल पर दबाव डालने का षडयंत्र !

नेपाल के राजनीतिक दल ‘राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी’ की घटना में से ‘हिन्दू राज्य’ यह शब्द हटाने का, चुनाव आयोग का आदेश

काठमांडु – उन्होंने यह बताया कि, ‘नेपाल के चुनाव आयोग ने यहां के राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की घटना में से ‘राजेशाही’ तथा ‘हिन्दू राज्य’ यह शब्द हटाने के आदेश दिए हैं। पार्टी के अध्यक्ष कमल थापा ने आयोग के इस आदेश का विरोध किया है। ‘आयोग ने ऐसा आदेश देकर पार्टी का आत्मा ही बाहर खिंचकर निकाला है। पार्टी की ओर से आयोग के इस आदेश के विरोध में न्यायालय में चेतावनी दी जाएगी। वर्ष २००८ में नेपाल की राजेशाही समाप्त होने के पश्चात राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने नेपाल को पुनः ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने के लिए प्रयास आरंभ किए हैं !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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