आझाद मैदान आंदोलन का वृत्तांत, विस्तार से . . .
मुंबई : समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनोंद्वारा १२ मार्च के दिन मुंबई के आझाद मैदान में किए गए आंदोलन में यह मांग की है कि, ‘महाराष्ट्र के पास ही रहे एक छोटे से गोवा राज्य ने भी छत्रपति शिवराय के संदर्भ में आदर प्रदर्शित करते हुए मुगलों का इतिहास अल्प कर छत्रपति शिवाजी महाराज का विस्तृत अभ्यासक्रम ‘एनसीईआरटी’ के पाठ्यपुस्तक में समाविष्ट किया है। अब महाराष्ट्र शासन ने भी अरबी समुद्र में भव्य शिवस्मारक का निर्माणकार्य करने से पूर्व छत्रपति शिवाजी महाराज का विस्तृत अभ्यासक्रम ‘एनसीईआरटी’ के पाठ्यपुस्तक में समाविष्ट कर शिवराय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए !’
‘एनसीईआरटी’ ७ वी कक्षा के इतिहास पुस्तक के १५४ पन्नों में से अधिकांश पन्ने हिन्दुस्थान पर आक्रमण करनेवाले क्रूर मुगलों का इतिहास प्रकाशित करने हेतु व्यय किए हैं, तो छत्रपति शिवराय के इतिहास को केवल ६ पंक्तियों की जगह दी है; किंतु उसे भी गलत पद्धति से प्रकाशित कर समाप्त किया है। पुस्तक में जगह होते हुए भी शिवराय का एक छायाचित्र भी प्रकाशित नहीं किया गया है। इसलिए लक्षावधी छात्रं गलत इतिहास सीख रहे हैं। ‘एनसीईआरटी’ के अभ्यासक्रम में २५ प्रतिशत परिवर्तन करने का अधिकार राज्य सरकार को रहता है। हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा किए गए आंदोलन के पश्चात गोवा के तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पूरा पाठ्यपुस्तक ही परिवर्तित किया है; किंतु केंद्र तथा राज्य शासन की ओर गत ८ वर्षों से अथक प्रयास करने के पश्चात भी कुछ भी निश्चित ऐसी कृती नहीं की गई। छत्रपति शिवराय का जन्म तथा कर्म भूमि में ही उनकी उपेक्षा की जा रही है, यह महाराष्ट्र का बड़ा दुर्दैव है !
अतः समस्त हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा यह मांग की गई है कि ‘चुनाव के समय सभाओं में छत्रपति का आदर्श बतानेवाले भाजपा-सेना युती शासन ने छत्रपति शिवराय का पराक्रमी चरित्र पाठ्यपुस्तकों में समाविष्ट करना चाहिए !’
हिन्दुओं के मंदिरों को हाथ लगाने से पूर्व, प्रशासन मस्जिदों पर दिन में पाच पाच बार बजनेवाले भोंपूओं को हटाएं !
इस समय हिन्दुत्वनिष्ठों ने ऐसी भी चेतावनी दी कि, ‘न्यायालय के आदेशानुसार अनेक हिन्दू मंदिर अवैध निश्चित कर उन्हें तोड़ने में प्रशासन अग्रेसर रहता है; किंतु उसी मुंबई उच्च न्यायालयद्वारा प्राप्त आदेशानुसार ध्वनिप्रदूषण करनेवाले मस्जिदों पर दिन में पाच पाच बार बजनेवाले भोंपूओं को नहीं हटा सकता। यह प्रशासन का धार्मिक आपपरभाव या दोगलापन कहे, यह न्यायालय का अनादर है। अतः गृह विभाग ने किसी के भी दबाव का शिकार होने की अपेक्षा मस्जिद पर बजनेवाले भोंपूओं को प्रथम हटा देना चाहिए, तदनंतर मंदिरों की ओर देखें !’
रुग्णों की होनेवाली लूटमारी रोकने हेतु ‘वैद्यकीय आस्थापना अधिनियम २०१०’ लागू करें !
वैद्यकीय क्षेत्र में अलग अलग शस्त्रक्रियाएं तथा आरोग्यिक जांच करने हेतु मनचाही फ़ीज लेकर रुग्णों की प्रचंड मात्रा में लूटमार की जा रही है, यह रोकने हेतु केंद्रशासन ने ‘वैद्यकीय आस्थापन अधिनियम २०१०’ संम्मत किया तथा उसकी कार्यवाही के अधिकार राज्यशासन को दिए। तदनुसार कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्कीम इन राज्यों ने भी इस अधिनियम की कार्यवाही की; किंतु स्वयं को पुरोगामी कहनेवाला महाराष्ट्र शासन इस अधिनियम की ओर अनदेखा कर रहा है। अतः इस आंदोलन में यह मांग भी की गई कि, ‘यह अधिनियम त्वरित लागू कर रुग्णों की होनेवाली लूटमार रोकें !’
आंदोलन में सम्मिलित संघटन
श्रीशिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान, श्रीशिवकार्य प्रतिष्ठान, शिवशंभो प्रतिष्ठान, स्वराज्य युवा प्रतिष्ठान, श्री रायगड संवर्धन प्रतिष्ठान, भारतीय युवा शक्ति, हिन्दू राष्ट्र सेना, श्री योग वेदांत सेवा समिति, श्री बजरंग सेवादल, हिन्दू महामंङलम्, हिन्दू गोवंश रक्षा समिति, हिन्दू राष्ट्र जनजागर समिति, बजरंग दल, शिवसेना, भाजपा, सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात