पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति घोटाला प्रकरण
देवस्थानों में घोटाले न हों; इसके लिए राज्य शासन के नियंत्रणवाले सभी देवस्थान भक्तों के नियंत्रण में देने चाहिएं !
पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति में किए गए घोटाले के संबंध में सूत्र को विधानसभा में उपस्थित करने के कारण शिवसेना विधायक सर्वश्री प्रकाश आबिटकर, चंद्रदीप नरके, भाजपा विधायक मंगलकुमार लोढा, भाजपा विधायक बाबुराव पाचरणे, विधशयक राज पुरोहित, विधायक आशीष शेलार इत्यादी विधायकों के प्रति हिन्दू जनजागृति समिति ने आभार व्यक्त किए हैं । राज्य की पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति में किए गए भ्रष्टाचार एवं घोटालों के विरुद्ध विधानसभा में आवाज उठाकर दोषियों को दंड एवं श्रद्धालुआें को न्याय दिलाया जाए, यह अनुरोध भी हिन्दु जनजागृति समिति द्वारा किया गया था ।
मुंबई : देवस्थान समिति के नियंत्रणवाली भूमि को सुरक्षित रखने की दृष्टि से तथा भविष्य में इस भूमि के विषय में योग्य नियोजन करने हेतु शिर्डी संस्थान, श्री सिद्धीविनायक मंदिर एवं पंढरपुर देवस्थान की भांति पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के लिए स्वतंत्र कानून बनाने हेतु आनेवाले १५ दिनों के अंदर उसका विवरण सिद्ध कर उसे सदस्यों को भेजा जाएगा । साथ ही पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति में किए गए घोटाले की राज्य आपराधिक अन्वेषण विभाग (सीआईडी) की ओर से २ मासों में जांच पूरी कर दोषियोंपर कठोर कार्यवाही की जाएगी । गृहराज्यमंत्री रणजीत पाटिल ने २३ मार्च को ध्यानाकर्षन प्रस्ताव का उत्तर देते हुए यह जानकारी दी । विधानसभा में शिवसेना विधायक सर्वश्री प्रकाश आबिटकर एवं सुनील शिंदे, साथ ही भाजपा विधायक अधिवक्ता भीमराव धोंडे ने विधानसभा नियम २०१ के अंतर्गत पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति में किए गए घोटाले के विषय में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा था । इस प्रस्तावपर चर्चा के समय शिवसेना विधायकोंसहित अन्य विधायक भी लक्षणीय रूप से सम्मिलित होकर उन्होंने देवस्थान समिति के विषय में प्रश्न उपस्थित किए ।
पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान घोटाला प्रकरण के विषय में समयसीमा निर्धारित कर जांच पूरी की जाए ! – विधायक प्रकाश आबिटकर
शिवसेना विधायक प्रकाश आबिटकर द्वारा शिर्डी संस्थान, श्री सिद्धीविनायक मंदिर एवं पंढरपुर देवस्थान के आधारपर विधानसभा के आगामी वर्षाकालीन अधिवेशन में पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति के लिए तत्काल स्वतंत्र कानून बनाने की जोरदार मांग की । इस समय आबिटकर ने कहा, ‘‘मार्च २०१५ में मुख्यमंत्री द्वारा पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति के घोटाले की राज्य आपराधिक अन्वेषण विभाग की ओर से जांच पूरी करने का आश्वासन दिया था; परंतु उसके पश्चात २ वर्ष का समय बीत जानेपर भी यह जांच अभी पूरी नहीं की गई है । अतः शासन को इस घोटाले की जांच करने हेतु समयसीमा निर्धारित करनी चाहिए । राज्य आपराधिक अन्वेषण विभाग की जांच में दोषी सिद्ध होनेवालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए ।’’
आपराधिक अन्वेषण विभाग (सीआईडी) के विषय मेें प्राप्त अनुभव अच्छे न होने से यह जांच किसी स्वतंत्र जांचतंत्र द्वारा की जानी चाहिए ! – विधायक चंद्रदीप नरके
शिवसेना विधायक चंद्रदीप नरके ने कहा, ‘‘देवस्थान समिति के नियंत्रणवाले सभी भूमियों के कार्यभार को एकत्रित किए जाने के विषय में कानून बनाया जाना चाहिए । पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति के वर्ष २००७ में किए गए लेखापरिक्षण में उल्लेखित घोटाले की व्यापकता बडी होनेपर भी २ मासों में ही उसकी जांच पूरी की जानी चाहिए । देवस्थान समिति की भूमि की कौडी के मूल्यपर बिक्री की जाने के कारण उसकी जांच होनी चाहिए । इस प्रकरण की जांच करनेवाले राज्य आपराधिक अन्वेषण से इसके पहले प्राप्त अनुभव अच्छे नहीं हैं; क्योंकि यह विभाग समयपर जांच पूरी कर अपना ब्यौरा नहीं देता । अतः इस घोटाले की जांच हेतु स्वतंत्र अन्वेषणतंत्र खडा किया जाना चाहिए । वर्ष २००७ से २०१७ की अवधि में कुछ शक्तिपिठों द्वारा देवस्थान के भूमि की बिक्री की गई है । उसकी भी जांच होनी चाहिए, यह मांग भी उन्होंने की ।
१. भाजपा विधायक श्री. बाबुराव पाचरणे ने कहा कि, रांजणगाव के अष्टविनायक देवस्थान में किए गए घोटाले के विषय में उच्च न्यायालय द्वारा निर्देश दिए जानेपर भी शासन की ओर से इसमें कोई भी सुधार नहीं किया गया है । देवस्थान समिति के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित करनेवाले सभी जनप्रतिनिधियों को एकत्रित कर शासन बैठक करें ।
२. विधायक श्री. राज पुरोहित ने कहा कि, सभागृह में यह ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा गया है । मुंबई में मुंबादेवी का मंदिर है । इस मंदिर में दर्शन हेतु आनेवालों को यातायात के घेराव का सामना करना पडता है । ८ कि.मी. दूरीवाले इस मार्गपर बिजली एवं पानी की सुविधा नहीं है, साथ ही सडकों की स्थिति भी दयनीय है ।
३. भाजपा विधायक श्री. आशीष शेलार ने कहा कि, किसी भी देवस्थान के भूमि की परस्पर बिक्री नहीं की जा सकती । देवस्थानों में आभूषणों की मात्रा भी अधिक है । अतः देवस्थान के अंतर्गत सभी प्रकरणों की जांच पूरी की जाए ।
४. भाजपा विधायक श्री. मंगलकुमार लोढा ने कहा कि जिस उद्देश्य के कारण देवस्थान समिति की स्थापना की जाती है, उसके अनुसार उसकी प्रविष्टि की की जानी चाहिए; परंतु धर्मादाय आयुक्त (चैरिटी कमिशनर) की भ्रष्ट कार्यपद्धति के कारण यह प्रविष्टि नहीं की जाती । धर्मादाय आयुक्त कार्यालय तो भ्रष्टाचार के अड्डे बन चुके हैं ।
गृहराज्यमंत्री श्री. रणजीत पाटिल ने कहा,
१. वर्ष १९६९ में पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति की स्थापना होने के पश्चात समिति की ओर से ३ सहस्र ६७ मंदिरों के व्यवस्थापन के कार्य का आरंभ किया गया। वर्ष १९६९ से लेकर आजतक ९ अध्यक्ष एवं ८ कोषाध्यक्षोंसहित विविध सदस्यों ने शासन के आदेश के अनुसार पदभार संभाला है । देवस्थान समिति की व्यापकता बडी होने से जांच में विलंब हो रहा है ।
२. देवस्थान समिति के नियंत्रणवाली भूमि में से १० सहस्र ४९२ हेक्टर क्षेत्र का मेल हो रहा है; किंतु शेष क्षेत्र की अंतिम संख्या अभी सुनिश्चित होनी शेष है । वर्ष १९६९ से लेकर वर्ष २००७ तक देवस्थान समिति का लेखापरिक्षण पूरा हुआ है । वर्ष २००७ से २०१२ तक के लेखापरिक्षण हेतु शासन की ओर से मे. कोचर एन्ड एसोसिएट्स, मुंबई की नियुक्ति की गई है । इस संस्था की ओर से लेखापरिक्षकों द्वारा लेखापरिक्षण चल रहा है ।
३. देवस्थान समिति का व्यवस्थापन अच्छा हो; इसके लिए विविध स्थानोंपर बैठकें की जाएंगी । देवस्थान समिति की नियंत्रणवाली भूमि २ प्रकार की है । उसमें नौकरी इनाम प्रकार की भूमि वंशपरंपरा से देवता की सेवा कर उसके द्वारा आय अर्जित करने हेतु है । इस भूमि से प्राप्त आय देवस्थान समिति को नहीं मिलती ।
४. दूसरे प्रकार की भूमि में देवस्थान की भूमि पुरस्कार के रूप में होती है तथा इसमें भूखंडों की नीलामी होती है तथा उससे देवस्थान समिति को लगान मिलता है । ऐसे भूखंड पहले जिनके पास थे, उनके पास ही रखे गए हैं । जिनके पास यह भूमि होती है, उनको नोटिस देकर उनसे लगान वसूलने की प्रक्रिया निरंतर चालू रहती है । कई बार ७/१२ का उपलब्ध न होना, फसल-पानी की प्रविष्टि, साथ ही देवस्थान समिति के पास उपलब्ध अपर्याप्त मनुष्यबल के कारण इस लगानवसूली में विलंब होता है ।
५. देवस्थान व्यवस्थापन समिति द्वारा वर्ष १९८१ से लेकर अबतक कुल ५४ सहस्र ३२ हेक्टैर भूमि की दूधसंस्थाएं, सेवा संस्थाएं, हाऊसिंग संस्थाएं, स्वास्थ्य सेवाएं, चीनी कारखाने, ग्रामपंचायतें, शिक्षा संस्थान, जलआपूर्ति संस्थाएं, दूरसंचार निगम, किसान संघ जैसे सार्वजनिक प्रयोजन हेतु बिक्री की गई है । इस बिक्री के पहले मुंबई सार्वजनिक न्यासव्यवस्था अधिनियम १९५० ३६ के अंतर्गत धर्मादाय आयुक्त की अनुमति ली गई है ।
६. देवस्थान व्यवस्थापन समिति का सुचारू रूप से व्यवस्थापन कर समिति का कार्य अच्छे प्रकार से चलाने हेतु देवस्थान समिति के नियंत्रणवाले देवस्थानों की परंपराएं, साथ ही अचल संपत्ति का विचार कर शिर्डी एवं पंढरपुर देवस्थानों की भांति स्वतंत्र अधिनियम बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है ।
७. रांजणगाव के अष्टविनायक मंदिर के न्यासियों की जांच कर उसका ब्यौरा सभागृह में रखा जाएगा, साथ ही मुंबापुरी मंदिर परिसर में सुविधाआें एवं उनकी दुर्गति के विषय में निवेदन सौंपनेपर उसकी ओर ध्यान दिया जाएगा । देवस्थान समिति के संपत्ति के हित का पोषण करने के विषय में पडताल की जाएगी ।
देवस्थान समिति के अंतर्गत आनेवाले प्रश्नोंपर उपाय हेतु लोकप्रतिनिधियों की बैठक होगी ! – रणजीत पाटिल, गृहराज्यमंत्री
पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति की २ मासों में जांच पूरी करने के विषय में मुख्यमंत्री के साथ कुछ दिन पहले ही बातचीत हुई है । विधानसभा में विधायकों द्वारा की गई मांग के अनुसार देवस्थान व्यवस्थापन समिति से संबंधित प्रश्नों को छुडाने हेतु संबंधित सभी विधायकों के साथ बैठक कर उपाय ढूंढे जाएंगे । गृहराज्यमंत्री श्री. रणजीत पाटिल द्वारा विधानसभा में यह आश्वासन दिया गया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात