कार्तिक कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११६
लंदन – आतंकी संगठन आईएसआईएस इराक और सीरिया में अपनी दशहत फैलाने के बाद अब पश्चिमी देशों को निशाना बनाने की नई जुगत भिड़ा रहा है। गोलीबारी और तमाम हमलों के बाद अब आईएस जैविक हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। ब्रिटेन की वेबसाइट डेलीमेल ने सैन्य विशेषज्ञों के हवाले से ये खुलासा किया है।
क्या इबोला और ISIS से साथ जूझना पड़ेगा
गौरतलब है कि एक ओर जहां इराक और सीरिया समेत कई देश आईएसआईएस के दहशत के गुजर रहे हैं। वहीं, इबोला भी पश्चिमी अफ्रिका के देशों से निकलकर अब लंदन और अमेरिका में अपना जाल फैला रहा है। लिहाजा अगर आईएसआईएस अपने हमलों के लिए इबोला वायरस का सहारा लेता है तो यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है। सैन्य विशेषज्ञों ने चेताया है कि आईएस आतंकी आत्मघाती हमलों में इबोला वायरस को बतौर हथियार इस्तेमाल कर सकते हैं। उनके अनुसार, आतंकी आसानी से इबोला पीड़ितों के संपर्क में आकर पश्चिमी देशों में ये वायरस फैला सकते हैं।
इबोला को इस्तेमाल कर सकते हैं आतंकी
यहां तक की अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज में राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के प्रोफेसर रिटायर्ड कैप्टन अल शिमकुस ने कहा है कि इबोला वायरस को बतौर हथियार प्रयोग करना बिल्कुल मुमकिन है। आपको बता दें, इबोला वायरस किसी इबोला पीड़ित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। वहीं, इससे अब तक ४००० लोगों की मौत हो चुकी है।
पश्चिमी देशों के लिए गंभीर समस्या- विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का कहना है कि आईएसआईएस आतंकी क्रूर और बर्बर वारदातों को अंजाम देने से पहले हिचकते भी नहीं हैं। ऐसे में यह तरीका उनके लिए काफी आसान होगा, जिससे वह पश्चिमी देशों के आम नागरिकों को बिना बंदूक और गोलियों के नुकसान पहुंचा सकते हैं। बता दें कि इबोला वायरस से निपटने के लिए अब तक कोई प्रामाणिक दवा का इजाद नहीं हो पाया है।
गौरतलब है कि इबोला और आईएस ने दुनिया भर के देशों को अलग अलग काफी दशहत में डाल रखा है। ऐसे में यदि आईएस और इबोला एक हो जाते हैं तो पश्चिमी देशों के लिए काफी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।
स्त्रोत : वन इण्डिया