कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६
भारत और पाकिस्तान को साझा तौर पर शांति का नोबेल मिलना हफ्ते की एक बडी खबर रही, लेकिन दोनों देशों के उर्दू मीडिया में सरहद पर जारी तनाव छाया है।
पाकिस्तानी अखबार इंसाफ का संपादकीय है-दुश्मनों के खिलाफ एकता और सहमति की जरूरत। अखबार ने एक तरफ भारत-पाक सीमा पर गोलाबारी में १३ पाकिस्तानियों के मारे जाने की बात की है तो कबायली इलाकों में ईद की छुट्टियों के दौरान अमरीकी ड्रोन हमलों में १८ लोगों की मौत का मुद्दा भी उठाया है।
अखबार कहता है कि अमरीका और भारत पाकिस्तान की जंगी क्षमताओं को परखना चाहते हैं। ऐसे में अगर उसके खिलाफ युद्ध शुरू किया गया तो परमाणु शक्ति के इस्तेमाल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
नवाए वक्त ने लिखा है कि मोदी और उनके रक्षा मंत्री पाकिस्तान पर दहाड रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पूरी तरह खामोश हैं।
ललकारते हैं पाकिस्तान के अखबार
अखबार ने जहां भारत को ‘मुंह तोड जवाब देने’ के लिए पाकिस्तानी फौज की तारीफ की है वहीं सरकार को भारत से हर तरह के संपर्क तोडने की नसीहत दी है।
‘रोजनामा वक्त’ ने पाकिस्तान पर संघर्षविराम के उल्लंघन के भारत के आरोपों पर लिखा है- उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।
अखबार कहता है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की जिम्मेदारी बनती है कि वो भारत को रोके, वरना भारत को ही इसके प्रत्याशित नतीजे भुगतने पड सकते हैं।
औसाफ ने अपने संपादकीय में खुले तौर पर भारत को युद्ध की चेतावनी दी गई है और शीर्षक दिया है –‘‘मोदी जिस स्तर पर चाहे जंग करके देख लें’’ ! वहीं दैनिक उम्मत का संपादकीय भारत भारी तबाही को दावत न दे।
स्त्रोत : अमर उजाला