नई देहली : पाकिस्तान के एक वरिष्ठ वकील पर आरोप लगाया गया है कि, उसने दो वर्ष पहले हुई सामूहिक हिंसा में दो मुस्लिमों की हत्या के मामले में सजा से बचने के लिए ईसाई समुदाय के दर्जनों लोगों को इस्लाम धर्म कबूल करने को कहा ।
दो चर्चों में रविवार की प्रार्थना सभा को निशाना बनाकर किए गए आत्मघाती विस्फोट के बाद १५ मार्च २०१५ को लाहौर के पास योहानाबाद ईसाई क्षेत्र में यह हिंसा भड़की थी । ईसाई समुदाय के लगभग ४२ लोगों पर विस्फोट में शामिल होने के संदेह में दो मुस्लिम व्यक्तियों की हत्या के आरोप लगाए गए थे ।
पाकिस्तानी समाचारपत्र द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, आरोपियों को कानूनी सहायता दे रहे मानवाधिकार कार्यकर्ता जोसफ फ्रांसी ने कहा कि, उपजिला सरकारी अभियोजक (डीडीपीपी) सैयद अनीस शाह ने आरोपियों से कहा कि, अगर वे ईसाई धर्म को छोड़ दें तो उन्हें बरी किया जा सकता है ।
जोसेफ ने कहा, ‘‘उन्होंने आरोपियों को बताया कि, अगर वे इस्लाम धर्म कबूल कर लेंगे तो वे उन्हें इस मामले में बरी होने का आश्वासन दे सकते हैं ।’’
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग मुस्लिम धर्म गुरूओं पर उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाते रहे हैं परंतु यह पहली बार है जब किसी सरकारी पदाधिकारी ने कानूनी प्रक्रिया से बचाने के लिए धर्मांतरण का उपयोग किया है ।
स्त्रोत : इंडिया