श्री शिवप्रतापभूमि मुक्ति आंदोलन इस संघटन के साथ आयोजित बैठक में वनमंत्री श्री. सुधीर मुनगंटीवार का आदेश
शासन को स्वयं आगे आकर ऐसे अवैध निर्माणकार्य तोडने चाहिए। हिन्दुओं के मंदिरों को अवैध सिद्ध कर उन्हें तोडनेवाला शासन धर्मांधों के अवैध निर्माणकार्य क्यों, नहीं तोडता ? इसके लिए शिवप्रेमी एवं हिन्दुत्वनिष्ठों को आवाज उठानी पडती है, जो अपेक्षित नहीं है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
श्री. सचिन कौलकर, विशेष प्रतिनिधि
मुंबई : ३० मार्च को वनमंत्री श्री. सुधीर मुनगंटीवार ने वनविभाग एवं सातारा जिला पुलिस प्रशासन को सातारा जिले के ‘किले प्रतापगढ’ के निचे स्थित अफजलखान कब्र के चारों ओर वनविभाग की भूमि पर अवैध रूप से किया गया १९ कक्षों का निर्माण कार्य तोडने का आदेश दिया। विधानभवन में श्री. सुधीर मुनगंटीवार के कक्ष में दोपहर ३ बजे श्री. सुधीर मुनगंटीवार के साथ श्री शिवप्रतापभूमि मुक्ति आंदोलन इस संघटन की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में उन्होंने वनविभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को यह आदेश दिया। इस बैठक में वन विभाग के सचिव सर्वश्री खारगे, मुख्य वनसंरक्षक पाटिल, विभागीय वनअधिकारी अंजनकर, श्री शिवप्रतापभूमि मुक्ति आंदोलन के निमंत्रक एवं सांगली के भूतपूर्व विधायक तथा मनसे के नेता श्री. नितीन शिंदे, मनसे की महिला राज्य उपाध्यक्षा अधिवक्ता श्रीमती स्वाती शिंदे, हिन्दू एकता आंदोलन के संस्थापक श्री. नारायणराव कदम, हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. रामभाऊ हजारे, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. ओंकार कानडे, हिन्दुत्वनिष्ठ सर्वश्री रोहित पाटिल, आदित्य पटवर्धन, चेतन भोसले आदि भारी संख्या में उपस्थित थे। वनमंत्री श्री. मुनगंटीवार ने यह साहसी निर्णय लेने के संदर्भ में श्री. नितीन शिंदे ने समस्त शिवप्रेमी एवं श्री शिवप्रतापभूमि मुक्ति आंदोलन इस संघटन की ओर से उनका अभिनंदन किया।
बैठक में विचार-विमर्श करते हुए श्री. नितीन शिंदे ने कहा कि, ‘मुंबई उच्च न्यायालयद्वारा दो बार शासन को अफजलखान कब्र परिसर के वनविभाग की भूमि पर किया गया अवैध निर्माण कार्य त्वरित हटाए जाने के आदेश दिए गए हैं। फिर भी शासन ने अवैध निर्माण कार्य नहीं हटाया। इससे पूर्व के शासन ने भी इस संदर्भ में कोई कार्रवाई नहीं की। (न्यायालय के आदेश के पश्चात भी कृति न करनेवाले अभीतक के शासन में रहनेवाले उत्तरदायी लोगों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस पर ध्यान देकर श्री. मुनगंटीवार ने यह अवैध निर्माण कार्य त्वरित हटाना चाहिए !’
श्री. शिंदे ने श्री. सुधीर मुनगंटीवार को अवैध निर्माणकार्य के छायाचित्र भी दर्शाए। तदुपरांत श्री. सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि, वनविभाग की भूमि पर अवैध रूप से १९ कक्षों का निर्माणकार्य हटाना संभव होगा; परंतु वनविभाग की भूमि के अतिरिक्त अन्यत्र का निर्माणकार्य तोडना असंभव है !’
‘अफजलखान वध’ का इतिहास; शासन, मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में प्रतापगढ की तलहटी में फलक पर लिखें ! – भूतपूर्व विधायक श्री. नितीन शिंदे
पत्रकारों से बात करते हुए श्री. नितीन शिंदे ने कहा कि, पिछले २० से २५ वर्षों की कालावधि में कुछ लोगों ने अफजलखान के नाम पर ट्रस्ट स्थापित कर अफजलखान की कब्र के आसपास दर्गा का अवैधानिक निर्माणकार्य किया था। इन्हीं लोगों ने जानबूझकर अफजलखान का उदात्तीकरण करने का प्रयास किया। इन सभी घटनाओं के विरोध में वर्ष २००१ से श्री शिवप्रतापभूमि मुक्ति आंदोलन के माध्यम से आंदोलन खडा किया गया है। इसी वर्ष में विधान परिषद में भी आवाज उठा कर इस ओर शासन का ध्यान आकर्षित किया गया था। फिर भी इससे पूर्व के शासन ने यह निर्माणकार्य नहीं तोडा था !
मुंबई उच्च न्यायालयद्वारा प्रतापगढ के अवैध १९ कक्षों का निर्माणकार्य तोडने का आदेश दिया गया था। उसका पृष्ठपोषण करते हुए आज वनमंत्री श्री. सुधीर मुनगंटीवार से भेंट की गई। विशेषतः यह कबर तोडने के लिए मुसलमानों का विरोध नहीं है। यहां अकारण ही १४ पुलिसकर्मियों की फौज खड़ी कर दी गई है। व्यवस्था देखते समय सांप के काटने से १४ में से २ पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। फिर भी शासन पुलिस को नहीं हटाता ! शासन ने, ‘प्रतापगढ के निचे छत्रपति शिवाजी महाराजद्वारा किए गए ‘अफजलखान वध’ का विशाल शिल्प खडा करना चाहिए एवं उस परिसर का नामकरण ‘शिवप्रताप भूमि’ ऐसा रख कर यह भूमि जनता को देखने के लिए खुली करनी चाहिए साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराजद्वारा किए गए ‘अफजलखान वध’ का इतिहास मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में वहां फलक पर लिखना चाहिए !’
वनमंत्री श्री. सुधीर मुनगंटीवार को विविध मांगों का ज्ञापन प्रस्तुत
भूतपूर्व विधायक श्री. नितीन शिंदे ने सांगली के भाजपा के विधायक श्री. सुधीर गाडगीळ से भेंट कर विचार-विमर्श किया। तत्पश्चात श्री. गाडगीळ की उपस्थिति में श्री शिवप्रतापभूमि मुक्ति आंदोलन इस संघटन की ओर से वनमंत्री श्री. सुधीर मुनगंटीवार को विविध मांगों का ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात