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गोरक्षक दलों पर क्यों न लगाया जाए प्रतिबन्ध ? – सर्वोच्च न्यायालय की ६ राज्यों को नोटिस

गोरक्षा के लिए कडे कानून न होने से गोरक्षकों को यह कार्य करना पड रहा है ! संपूर्ण भारत में यदि गोहत्या कानून कठोरता से लागू हों, एेसी हिन्दुआें की अपेक्षा है – सम्पादक, हिन्दूजागृति

नई देहली – राजस्थान के अलवर में गोरक्षकों ने गोकशी करनेवाले संदिग्धों की पिटार्इ की थी । उसमें एक ५५ वर्षीय शख्स पहलू खान की मौत हुर्इ थी । इस घटना के एक सप्ताह बाद सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और छह राज्य सरकारों से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है। न्यायालय ने पूछा है कि, गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी करने वाले ऐसे संगठनों पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। जिन राज्यों को नोटिस जारी किया गया है उनमें राजस्थान, झारखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र शामिल हैं। मामले की अगली सुनवाई ३ मई को होगी। कांग्रेस नेता शहजाद पूनावाला की याचिका पर न्यायालय ने ये नोटिस जारी किए हैं।

पूनावाला की याचिका में कथित तौर पर गोहत्या और गोतस्करी के दस मामलों में हुई हिंसा का उल्लेख किया गया है। इनमें हाल में राजस्थान के अलवर में हुई घटना के अलावा २०१५ में उत्तरप्रदेश में हुए दादरी कांड और गुजरात के ऊना में पिछले साल दलितों पर हुए आक्रमण का मामला भी शामिल है। याचिका में गोरक्षक दलों की तुलना आतंकी संगठन सिमी से करते हुए कहा गया है कि, अल्पसंख्यकों और दलितों के बीच ऐसे गोरक्षक दलों का बहुत खौफ है इसलिए उन पर उसी तरह प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए जैसे सिमी पर लगाया गया था।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

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