कार्तिक कृष्ण पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
शंकराचार्य के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण फार्मूले को सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड और ब्राह्मण संसद ने खारिज कर दिया वहीं ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समर्थन किया है।
कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण फार्मूले पर लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद मामले में मस्जिद की ओर से पैरोकार हाशिम अंसारी इसको सिरे से खारिज कर दिया है।
सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने भी इसे खारिज करते हुए कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की बात कही है।
वहीं आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्षा शाइस्ता अम्बर ने इस फार्मूले का स्वागत किया है।
एक हिन्दू संगठन ब्राह्मण संसद ने कानून बनाकर मंदिर निर्माण कराने की बात कही है और उपरोक्त फार्मूले को नकार दिया है।
बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद मामले में मस्जिद की ओर से पैरोकार हाशिम अंसारी ने बताया कि किसी शंकराचार्य को इस मामले में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। वह इस मुकदमे में पार्टी भी नहीं हैं।
अंसारी ने कहा कि मंदिर-मस्जिद विवाद में हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया था, वह बंदरबांट जैसा था। इसी के विरोध में हम लोग सुप्रीम कोर्ट गये हैं। अब सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री के फामरूले को जबरन थोपने का प्रयास किया तो इससे देश में अशान्ति पैदा हो सकती है और माहौल खराब होगा।
सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने बताया कि इस तरह की कोशिश पहले भी की जा चुकी है। यह कोई नया फार्मूला नहीं है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है, लिहाजा इस मसले को कोर्ट में ही हल होने दिया जाए।
ब्राह्मण संसद के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र ने बताया कि चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी की ओर से कहा गया था कि केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण करवाएगी। अब भाजपा अपनी बात से मुकर रही है। उन्होंने कहा कि जयेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य नहीं हैं।
शंकराचार्य के फार्मूले।। हिन्दुओं के शंकराचार्य द्वारका के स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती, पुरी के निश्चलानन्द, श्रृंगेरी के भारतीय तीर्थ और बदरी के स्वामी स्वरूपानन्द हैं।
उन्होंने कहा कि अगर राम मंदिर निर्माण के लिए कोई वार्ता होती है तो निर्मोही अखाड़े और सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के बीच ही बातचीत होनी चाहिए।
जयेन्द्र सरस्वती, विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा वगैरह की हैसियत सिर्फ दर्शक के समान है।
आल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष श्रीमती शाइस्ता अम्बर ने राममंदिर निर्माण के लिए शंकराचार्य के फार्मूले का स्वागत करते हुए कहा कि शरीयत का जो कानून सऊदी अरब के लिए है, वही कानून भारत के लिए भी है।
जरूरत पड़ने पर सऊदी अरब में तमाम मस्जिदों को तोड़ा जाता है और उस स्थान का उपयोग दूसरे कामों के लिए किया जाता है। वहां कोई इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाता है।
उन्होंने कहा कि अगर अयोध्या मामले को सऊदी अरब से जोड़कर देखा जाए तो उस स्थान को छोड़ा जा सकता है।
शाइस्ता ने कहा कि भारत में बहुत सी ऐसी मस्जिदें हैं, जहां नमाज नहीं होती है। पंजाब में दर्जनों ऐसी मस्जिदें हैं जिन पर दूसरे धर्म के लोगों का कब्जा है। वहां पशु बांधे जाते हैं।
उन्होंने कहा कि अब तो मस्जिदों के भीतर मसलक का झगड़ा है। मस्जिद के लिए खून बहाना किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। दिलों को तोड़ता मंदिर-मस्जिद तोड़ने से भी बड़ा गुनाह है।
स्त्रोत : समय लाइव्ह