श्रीरामनवमी उत्सव समितिद्वारा आयोजित श्रीराम जन्मोत्सव कार्यक्रम
राजनैतिक इच्छाशक्ती के अभाव से आजतक राममंदिर नहीं ! – डॉ. अखिलेश गुमास्ता
जबलपूर (मध्य प्रदेश) : मेरे पिताजी ने वर्ष १९९२ में राममंदिर निर्माण के लिए इकठ्ठे किए जा रहे चंदे में अपनी और मेरी जेब से सभी पैसा दान कर दिया। अयोध्या में अपवित्र ढांचा ढहाते समय दो कार सेवकों की मृत्यू हो गयी, तब मेरे पिताजी के शब्द थे, ‘मुझे दुःख है की वो मेरे पुत्र नहीं है !’ ऐसे अनेक पिताओं की राममंदिर की कामना आजतक पूरी नहीं हुई, इस लिए मैं हर क्षण स्वयं का धिक्कार करता हूं। राजनैतिक महत्त्वाकांक्षा और इच्छाशक्ती के अभाव में आजतक प्रभू श्रीरामजी का दिव्य मंदिर नहीं बना, ऐसे तुलसी सन्मान पुरस्कृत डॉ. अखिलेश गुमास्ताजी ने कहा। वे, यहां के बलदेवबाग में श्रीरामनवमी उत्सव समितिद्वारा आयोजित श्रीराम जन्मोत्सव कार्यक्रम एवं संकीर्तन यात्रा को संबोधित कर रहे थे।
विजयनगर स्थित स्टेट बँक कॉलनी डबल स्टोरी पार्क मे हुए इस कार्यक्रम में, १५० से भी अधिक धर्माभिमानी उपस्थित थे।
रामराज्य केवल कहने से नहीं, श्रीराम के गुणों के आचरण से आएगा ! – पू. डॉ. चारूदत्त पिंगळे
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इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारूदत्त पिंगळेजी ने कहा, ‘आज प्रभू श्रीरामचंद्र के चरित्र का आचरण करने की आवश्यकता है। जब हम आचरण करेंगे, तब ही हम रामराज्य ला पाऐंगे। इसलिए आज अपने अधिकार से अधिक पिता के वचन को महत्त्व देनेवाला पुत्र, संपत्ती के लिए अपने बंधू के विरोध में न्यायालय में न जानेवाला भाई, इनकी आज आवश्यकता है। रामराज्य केवल कहने से नहीं आएगा। उसके लिए प्रभू श्रीराम के गुणों का आचरण हमें करना होगा !’
गीता योगशास्त्र, रामचरितमान प्रयोगशास्त्र ! – श्री. शिवराम समदडिया
इस समय श्री. शिवरामजी समदडियाजी ने कहा, ‘गीता योगशास्त्र है, रामचरितमानस प्रयोगशास्त्र है। रामायण निजधर्म का निर्वाह सिखाती है। रामचरितमानस के आचरण से मनुष्य पूर्णत्व प्राप्त कर सकता है। विधर्मीयों के अत्याचार के कारण जिन्हे भी देश छोडना पडा, वह रामायण साथ में ले गए। आज कंबोडिया के देहाती भागों में भी लोगों के घरों में रामायण मिलते है !
अपने आचरण का अवलोकन करे हिन्दू !
आज विदेशी और विदेश में रहनेवाले हिन्दू रामायण पढकर उसपर जिज्ञासा से प्रश्न कर रहे है। भारत में कितने बच्चे रामायण पढते है ? कितने घरों में रामायण है ? आज अनेक जगहपर भागवतपाठ होते है, मंदिरों में भीड है, कावडिया यात्रा निकलती है, पर क्या सच में धार्मिकता बढ रही है ? आज उत्सवोंकी शुभकामनाएं देने के लिए जो होर्डिंग्ज लगते है, उसमें भगवान की तुलना में भक्त का छायाचित्र ही बडा होता है ! क्या आयोजन का उद्देश और पवित्रता हम संभाल रहे है ? क्या इसे हम धार्मिकता कह सकते है ? मलेशिया जैसे मुस्लीम राष्ट्र में श्रीराम की पादुका का स्मरण करके शपथ ली जाती है !
‘हिन्दू राष्ट्र’ के लिए समाज भी आगे आए ! – डॉ. आनंद राव, विभागप्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक डॉ. आनंद रावजी ने कहा, ‘विश्वमंगल की कामना केवल हिन्दू धर्म करता है। विश्व को शांती की ओर ले जाने का सामर्थ्य केवल भारत में है, ऐसे महर्षि अरविंदजी ने भी कहा था। आज ‘हिन्दू राष्ट्र’ निर्मिती के लिए नेता-राजनेता आगे आ रहे है, समाज भी आगे आये। हर घर में दशरथ और कौसल्या माता जैसे अभिभावक, वसिष्ठ जैसे युवा को हर विद्या में शिक्षित करनेवाले और विश्वामित्र जैसे क्षात्रतेज सिखानेवाले गुरू हो। युवाओंपर धन नही, संस्कार हावी हो, यह आवश्यक है ! आज इस्त्रो वैज्ञानिक क्षेत्र में जो भी अदभूत प्रगती कर रहा है, उसके पिछे निश्चित ही दैवी प्रभाव है !’
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क्षणचित्र
१. जनकल्याण दुर्गा उत्सव समिती की ओर से डॉ. अखिलेश गुमास्ताजी का अभिनंदन पत्र देकर सन्मान किया गया।
२. कार्यक्रम के पश्चात घोडों के रथपर सवार श्रीरामपंचायतन की सजीव झांकी के साथ संकीर्तन यात्रा प्रारंभ हुई।