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अतिक्रमणविरोधी पथकद्वारा अवैध प्रार्थनास्थलों पर कार्रवाई
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पुलिसकर्मियों पर आक्रमण करनेवाले धर्मांध को केवल समझ दे कर छोड दिया गया !
कल्याण : कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका ने उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार अवैध प्रार्थनास्थलो पर कार्रवाई करना आरंभ कर दिया है। इस कार्रवाई का एक भाग के रूप में कल्याण स्थानक परिसर के कल्याणेश्वर मंदिर एवं सहजनांद चौक का एक दरगाह तोडने की कार्रवाई ८ अप्रैल को सुबह आरंभ की गई। महापालिका के प्रभाग अधिकारी अरुण वानखेडे ने सुबह लगभग २ घंटों में मंदिर तोडने की कार्रवाई पूरी की। ४५ वर्ष पुराने मंदिर के पास दस्तावेज उपलब्ध न होने के कारण हिन्दुओं ने मंदिर तोडने का विरोध नहीं किया।
१. सहजनांद चौक के हजरत निगराणी शहाबाब दरगाह में सैंकड़ो धर्मांध एकत्रित हुए एवं उन्होंने ‘हमारी दरगाह तोडने से पूर्व सभी मंदिरों को तोडें,’ ऐसी चिल्लाहट करते हुए कार्रवाई को विरोध करना आरंभ किया। (क्या, हिन्दू कभी मंदिरों पर की जानेवाली कार्रवाई के विरोध में संगठित होते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. धर्मांधों ने कहा कि दरगाह तोडने से पूर्व हम धार्मिक विधि पूरी करेंगे, तत्पश्चात ही आप कार्रवाई करें। उपस्थित अधिकारियों ने यह स्वीकार भी किया। चार घंटे तक विधि चलती रही थी।
३. इस कार्रवाई के समय एक धर्मांध ने वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक दिलीप सूर्यवंशी की कॉलर पकड कर उन पर आक्रमण करने का प्रयास किया। उसे नियंत्रण में लिया गया एवं रात्रि छोड दिया गया। (ऐसे ही उद्दंड धर्मांध पुलिसकर्मियों पर आक्रमण करने का साहस करते हैं, फिर भी पुलिसकर्मी उन्हें ऐसी घटनाओं में अपराध की भी प्रविष्ट न करते हुए छोड दे रहे हैं, यह आश्चर्य ही है ! कानून हाथ में लेने का धर्मांधों का साहस दिनोंदिन बढता ही जा रहा है। ऐसी स्थिति में पुलिस इस संदर्भ में कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती ? पुलिस के ध्यान में यह कैसे नहीं आता कि, धर्मांधोंद्वारा ऐसे आक्रमण सहन करने से ही वे आगे के आक्रमण के लिए सिद्ध होते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस संदर्भ में एक पुलिस ने बताया कि, हमारा मुख्य कार्य था, दरगाह हटाना। अभी इस पर अपराध प्रविष्ट किया, तो पुनः समूह एकत्रित होगा, जिससे पुलिस यंत्रणा पर दबाव आएगा !
दरगाह पर की गई एवं मंदिर पर की गई कार्रवाई के समय ध्यान में आया हुआ ‘विशेष’ अंतर . . .
१. दरगाह की कार्रवाई के समय विविध पुलिस पथक एवं पालिका के कर्मचारी मिल कर २०० कर्मचारी उपस्थित थे जबकि मंदिर की कार्रवाई करते समय केवल ४० कर्मचारी उपस्थित थे !
२. दरगाह को आच्छादित कर यह कार्रवाई की गई। मंदिर पर इस प्रकार से कोई आच्छादन नहीं डाला गया था !
३. दरगाह पर कार्रवाई होते समय मुसलमानों ने स्वयं आगे आकर दरगाह के पत्रे उतारना तथा अन्य निर्माणकार्य तोडने का कार्य किया। अन्य किसी को वहां हाथ लगाने की अनुमति नहीं दी। सभी मुसलमान ‘हमारे बाबा है’ ऐसा कहते हुए स्वयं होकर सब कार्य कर रहे थे। केवल कब्र को गैस कटर से काटने की उन्होंने अनुमति दी। मंदिर तोडने का पूरा कार्य पालिका कर्मचारियों ने किया।
४. दरगाह तोडने पर उसकी मिट्टी को ले जाकर मुसलमानों ने त्वरित अपनी भूमि में दरगाह का निर्माण कार्य किया; परंतु मंदिर के लिए महापालिका ने अभी तक भूमि नहीं दी है !
क्षणिकाएं
१. दरगाह तोडते समय कर्मचारी धूप में अनेक घंटों तक बिना भोजन एवं पानी के कार्य कर रहे थे।
२. ऐसा पता चला है कि, इस अवसर पर कुछ लोकप्रतिनिधियों ने पुलिसकर्मियों की ही डांट-डपट की।
३. सहजनांद चौक परिसर में कुछ दुकानें बंद रखी गई थी। (इसे ध्यान में लें कि दरगाह तोडते समय लोगों को दंगे का भय प्रतीत होता है ! कितने दिन तक हिन्दुओं को यह भय सहन करना है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
४. इस अवसर पर एक धर्मांध ने अधिकारी वर्ग को धमकी देते हुए कहा कि, ये बहुत जागृत दरगाह है, आपको इसकी बददूवा मिलेगी !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात