Menu Close

मस्जिदों एवं दर्गाहों पर लगाए गए प्रदूषण करनेवाले भोंपुओं को तुरंत हटाएं ! – हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों की मांग

सातारा में हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों की ओर से पुलिस एवं प्रशासन से ज्ञापनद्वारा मांग

सातारा (महाराष्ट्र) : उच्च न्यायालय के आदेशानुसार पुलिस एवं प्रशासन मस्जिदोंपर लगाए गए अवैध भोंपुओं को तुरंत हटाएं, अपने अधिकारक्षेत्र में व्याप्त मस्जिदों एवं दर्गाहोंपर लगाए गए भोंपुओं के कारण होनेवाले प्रदूषण को तत्परता से रोका जाए तथा इस प्रकार से अपराध करनेवाले संबंधित अपराधियोंपर अभियोग प्रविष्ट कर उनपर कार्रवाई की जाए, इन मांगों का ज्ञापन शहर के हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों की ओर से जिला पुलिस अधीक्षक श्री. संदीप पाटिल एवं जिलाधिकारी श्री. अश्‍विन मुदगल को प्रस्तुत किये गए।

सातारा जिला पुलिस अधीक्षक श्री. संदीप पाटिल को ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए धर्माभिमानी हिंदू

इस अवसरपर श्रीशिवप्रतिष्ठान के सर्वश्री ओंकार डोंगरे, अमोल सपकाळ, राहुल इंगवले, शिवराज तलवार, हिन्दू महासभा के महाराष्ट्र प्रदेश उपाध्यक्ष अधिवक्ता गोविंद गांधी, उमेश गांधी, दत्ता सणस, हिन्दू जनजागृति समिति की श्रीमती रूपा महाडिक, श्री. सुनील दळवी, रणरागिणी शाखा की श्रीमती विद्या कदम, शिवसेना के खेड विभागप्रमुख श्री. रमेश बोराटे आदि मान्यवर तथा विविध गणेशोत्सव मंडलों के २० से भी अधिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।

ज्ञापन में कहा गया है कि ….

१. सर्वोच्च न्यायालयद्वारा वर्ष २००० में ध्वनिप्रदूषण के संदर्भ में दिए गए निर्णय में ध्वनिक्षेपकोंद्वारा निकलनेवाली ध्वनिपर सीमाएं डाल दी गई थी; किंतु मस्जिदोंपर लगाए गए भोंपुओंद्वारा होनेवाले प्रदूषण के संदर्भ में न्यायालयीन आदेश की कार्रवाई हो रही है, ऐसा नहीं दिखाई दे रहा था। अतः इस संदर्भ में मुंबई उच्च न्यायालय में विविध याचिकाएं प्रविष्ट की गई।

२. उसपर २६ अगस्त २०१६ को न्यायालय ने यह आदेश दिया कि, प्रार्थनास्थल तो शांतिक्षेत्र में ही अंतर्भूत होते हैं; इसलिए उनको ध्वनिप्रदूषण के नियमों का पालन करना ही पडेगा ! मस्जिदोंपर अवैध रूप से भोंपु लगाना मुलभूत अधिकार नहीं हो सकता। अतः इन भोंपुओं को तुरंत हटाएं। इस आदेश की प्रति मिलने की प्रतिक्षा न करते हुए कार्रवाई करें, अन्यथा हमारी ओर से की जानेवाली कार्रवाई का सामना करने हेतु सिद्ध हों !

३. भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने से एक धर्मियों की उपासना के कारण दूसरों की स्वतंत्रता को बाधा न पहुंचे; इसके लिए प्रयास करने चाहिए। अजान देने का अर्थ अन्य धर्मियों की धर्मस्वतंत्रता पर आक्रमण करने जैसा है !

४. मस्जिदोंपर लगाए गए भोंपुओं से प्रातःकाल में पहली अजान दी जाती है। उससे कानून का उल्लंघन होता है। इन भोंपुओं की ध्वनि के कारण रुग्ण, छोटे बच्चे, छात्र एवं वयस्कों को शारीरिक एवं मानसिक कष्ट होते हैं; किंतु पुलिस प्रशासन इसमें केवल दर्शक की भूमिका निभाती आ रही है !

५. अनेक स्थानोंपर पुलिस प्रशासनद्वारा गणेशोत्सव मंडल, गोपालकाला एवं दुर्गापूजक मंडलों को ध्वनिप्रदूषण करना अपराध होने का कारण देकर ध्वनिक्षेपक यंत्रणा बंद करवाई जाती है; किंतु मस्जिदोंपर लगाए गए भोंपुओंपर कभी भी कार्रवाई नहीं की जाती। भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में यह भेदभाव, क्यों ?

६. मनुष्य जीवन में नींद लेना मुलभूत अधिकार होने के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालयद्वारा कहा गया है; किंतु कानूनबाह्य अजान के कारण नींद का अधिकार छिन लिया जा रहा है !

७. कुछ मास पहले यहां के हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों ने आंदोलन चलाएं, साथ ही पुलिस एवं प्रशासन को ज्ञापन प्रस्तुत किये; किंतु उसपर क्या कार्रवाई की गई, यह अभी तक ज्ञात नहीं हुआ !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *