भाजपा, यह कभी न भूलें कि वह रामभक्तों के खून से रंगा हुआ है ! वह गाय, गंगा एवं राम इन नामों से फलाफूला है !
चितोडगढ (राजस्थान) : यदि गोधराकांड नहीं हुआ होता, तो मोदी इतने वर्ष तक गुजरात के मुख्यमंत्री एवं अब देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते थे, लालकृष्ण अडवाणी ने श्रीराम की रथयात्रा नहीं निकाली होती, तो उस समय केवल २ सांसद रहनेवाली भाजपा आज इस स्थान पर नहीं पहुंच पाती; इसलिए भाजपा, यह कभी न भूलें कि वह रामभक्तों के खून से रंगा हुआ है ! वह गाय, गंगा एवं राम इन नामों से फलाफूला है। यदि उसने अभी भी कुछ नहीं किया, तो वह मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेगा ! पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी ने पत्रकारों से वार्तालाप करते हुए ऐसा प्रतिपादित किया।
अयोध्या के राममंदिर की सहमति के संदर्भ में बोलते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी ने कहा कि, यदि राममंदिर के लिए हिन्दू -मुसलमान सहमति अपेक्षित है, तो वह असंभव बात है। वहां राममंदिर ही होने के ऐतिहासिक प्रमाण हैं। कांग्रेस शासन की कालावधि में ही प्रथम वहां नमाज पठन बंद किया गया, ताला खोल कर वह वास्तू तोडी गई। बाजपेयी सरकार की कालावधि में खुदाई होकर पुरातत्व सर्वेक्षण किया गया। यही इस प्रश्न पर कांग्रेस एवं भाजपा के रूप में दो बडे राजनितिक दलों की सहमति होने का प्रमाण है !
राममंदिर के लिए एक पक्ष को प्रस्ताव लाना एवं अन्य पक्षद्वारा उसका समर्थन करना यही एकमात्र इस पर उपाय है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात