Menu Close

यदि हिन्दू; धर्म के पक्ष में लडेंगे, तो ही ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना होंगी ! – डॉ. के.व्ही. सीतारामय्या

डॉ. के.व्ही. सीतारामय्या के ‘द व्हेरी एक्झिस्टन्स ऑफ अवर हिंदु नेशन इज इन डेंजर’ इस अंग्रेजी पत्रों के पुस्तक का विमोचन समारोह

पुस्तक विमोचन करते समय बाईं ओर से श्री. जयचंद्र राजू, डॉ. सीतारामय्या, श्री श्री श्री त्रिदंडी रामानुज जियार स्वामी एवं समिति के श्री. चेतन जनार्दन

भाग्यनगर (आंध्रप्रदेश) : यहां के चिकाडपल्ली के ‘सिटी सेंट्रल लायब्ररी’ में ९ अप्रैल के दिन नेताजी स्फूर्ति केंद्र के संस्थापक डॉ. के.व्ही. सीतारामय्या के ‘द व्हेरी एक्झिस्टन्स ऑफ अवर हिन्दू नेशन इज इन डेंजर’ (हमारे हिन्दू राष्ट्र का अस्तित्व धोखें में)’ इस अंग्रेजी पत्रों के पुस्तक का विमोचन समारोह संपन्न हुआ, उस समय डॉ. के.व्ही. सीतारामय्या बोल रहे थे। अपने मार्ग में उन्होंने ऐसा प्रतिपादित किया कि, ‘कोई भी राजनीतिक नेता भारत में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना नहीं कर सका है। भारत का अस्तित्व धोखे में आया है। मुसलमान, ईसाई, साम्यवादी, प्रसारमाध्यमें तथा कुछ राजनीतिक नेताएं स्वयंभू रहे ‘हिन्दू राष्ट्र’ को नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं !

यदि हिन्दू स्वयं सैनिक बनकर धर्म की ओर से लडें, तो ही ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना होंगी। मैं भी एक सैनिक हूं। सैनिक बनकर मैं इस में सम्मिलित रहूंगा। मेरा यह विश्वास है कि, ‘निश्चित ही इसी जन्म में भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ होते हुए मैं देखूंगा !’

अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री श्री श्री त्रिदंडी रामानुज जियार स्वामी के हाथों इस पुस्तक का विमोचन किया गया। उस समय भूतपूर्व मंडल निरीक्षक श्री. जयचंद्र राजू तथा हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. चेतन जनार्दन उपस्थित थे।

डॉ. के.व्ही. सीतारामय्याद्वारा किया गया कार्य . . .

नरेंद्र मोदीजी ने भारत के प्रधानमंत्री पद का स्वीकार किया, उस दिन अर्थात् २६ मई २०१४ के दिन डॉ. के.व्ही. सीतारामय्या ने मोदी को पहली बार पत्र लिखा। उसके साथ ‘श्रीराम कृष्ण : अवर हिरोज् ऑफ धर्मा अ‍ॅण्ड कर्मा’ तथा ‘भारतीय धर्म संस्थापना’ ये दो ग्रंथ भी भेजे। तत्पश्चात २८ अगस्त २०१४ को ‘द ट्रु हिस्ट्री ऑफ एम.के. गांधी’ यह ग्रंथ भेजा, साथ ही २ जून २०१५ को वही ग्रंथ ६४ केंद्रीय मंत्रियों को भी भेजा। ११ अक्तूबर २०१६ को पुनः ‘द व्हेरी एक्झिस्टन्स ऑफ अवर हिन्दू नेशन इज इन डेंजर’ यह ग्रंथ भेजा।

इससे, डॉ. सीतारामय्या की भारत के भवितव्य के प्रति तथा हिन्दुओं के प्रति कितनी लगन है ? यह बात ध्यान में आती है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *