कल्याण में १ सहस्र से भी अधिक धर्मांधों द्वारा मस्जिद गिराने के लिए विरोध
ऐसे पुलिसकर्मी जनता की क्या रक्षा करेंगे ?
कल्याण (महाराष्ट्र) – यहां से ३ कि.मी. दूरीपर स्थित खाडी के तटपर स्थित कोन गांव की मस्जिदपर कार्यवाही हेतु वहां गए एम्एम्आरडीए एवं पुलिसकर्मियों के दल को लगभग १ सहस्र से भी अधिक धर्मांधों द्वारा विरोध किए जाने से अवैध मस्जिद को गिराना संभव नहीं हुआ । यहांपर वर्ष २००३ को तकवा नामक मस्जिद का अवैधरूप से निर्माण किया गया था । एम्एम्आरडीए द्वारा ७ अप्रैल को यह मस्जिद अवैध होने से नोटिस दिया गया था । उसके अनुसार एम्एम्आरडीए के मंडल अधिकारी के अपने दल के साथ वहां पहुंचनेपर वहां के १ सहस्र से भी अधिक धर्मांधों ने इस कार्यवाही का तीव्र विरोध किया । (हिन्दुआें, इस एकजूट और धर्मप्रेम को देखिए ! इस प्रकार से मंदिर की रक्षा हेतु कितने हिन्दू संगठित होते हैं ? – संपादक) इस समय सैकडों धर्मांधों ने पोकलैन एवं जेसीबी यंत्रपर चढकर ‘हम कार्यवाही करने नहीं देंगे’ की नीति अपनाई । आपने कार्यवाही के ४८ घंटे पहले नोटिस क्यों नहीं दिया ?, ऐसा पूछते हुए धर्मांधों ने इस पूरे तंत्र को ही घेर लिया । इसमें कल्याण के पार्षद काशीब तनकी, मस्जिद के प्रमुख रईसखान मोकाशी, साथ ही सरपंच एवं उपसरपंच आगे थे ।
भिवंडी तहसील की ५१ ग्रामपंचायओें में स्थित अवैध मंदिर एवं मस्जिदोंपर कार्यवाही करने की एम्एम्आरडीए की योजना है । कल्याण-भिवंडी महामार्गपर एकत्रित भीड के कारण बडी मात्रा में यातायात ठप्प हुआ और उससे सामान्य नागरिकों को कष्ट उठाना पडा । इस समय कुछ जन्महिन्दुआें द्वारा ‘यदि आपने इस मस्जिद को गिराया, तो हम गांव में स्थित मंदिर को गिरा देंगे और उसका आरोप आपपर रखेंगे‘, यह नीति अपनाए जाने से पुलिसकर्मी एवं अधिकारी संभ्रमित हो गए । (मंदिरों का महत्त्व ध्यान में न आनेवाले ऐसे हिन्दुआें को धर्मशिक्षा की कितनी आवश्यकता है, यह इससे ध्यान में आता है ! – संपादक)
कल्याण में स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी मंदिर ध्वस्त !
कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका के अंतर्गत कोंकण बस्ती में स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्था के ११ कक्षोंवाले आश्रम के अवैध निर्माण को निष्कासित किया गया । म्हाडा द्वारा इस भूखंड को महापालिका को हस्तांतरित किया गया है; किंतु महापालिका के तत्कालिन आयुक्त शिंदे द्वारा यह भूखंड प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्था को प्रदान किया गया था । महापालिका द्वारा इस भूमि को विद्यालय एवं सांस्कृतिक-कला केंद्र के लिए आरक्षित किए जाने की घोषणा की गई थी, ऐसा ज्ञात हुआ । इस निर्माण को गिराते समय हिन्दुआें ने किसी भी प्रकार का विरोध नहीं किया । निर्माण को गिराने के पश्चात कर्मचारी शिवजी की पिंडी को वहांपर ही रखकर चले गए, साथ ही इस निर्माण को गिराते समय कर्मचारियों द्वारा बडी संख्या में वृक्षों की कटाई भी की गई ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात