इंदौर (मध्य प्रदेश) में ‘हिन्दू राष्ट्र एवं समस्याएं’ इस संदर्भपर राष्ट्रीय चर्चासत्र
सनातन के अॅण्ड्रॉइड एवं आयओएस (iOS (iPhone)) ‘अॅप’ का विमोचन
सनातन के संकेतस्थल Sanatan.org को मिलनेवाले बढते प्रतिसाद को देखते हुए इस संकेतस्थल के अॅण्ड्रॉइड एवं आयओएस (iOS (iPhone)) ‘अॅप’ का हाल ही में यहां विमोचन किया गया। यह अॅप अंग्रेजी, हिंदी एवं मराठी इन ३ भाषाओं में है। पाठक इस अॅप को निःशुल्क डाऊनलोड कर सनातन के संकेतस्थल पर निहित जानकारी को अब पढ सकते हैं। इसमें ‘विविध त्यौहारों की जानकारी’, ‘आचारधर्म का पालन’ एवं ‘साधना के संदर्भ में जानकारी’, साथ ही नए नए लेख भी पढे जा सकते हैं। इसके साथ ही ‘आध्यात्मिक समस्याओं पर विविध उपाय’ एवं ‘आपातकाल हेतु उपायपद्धति’ इन प्रमुख स्तंभों का लाभ भी लिया जा सकता है !
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इंदौर (मध्य प्रदेश) : यदि एक संन्यासी किसी राज्य का मुख्यमंत्री बन सकता है, तो देश को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने में क्या समस्या है ? अबतक केवल जम्मू-कश्मीर में ही विभाजनवादी आंदोलनें सर उठा रहीं थी; किंतु अब देहली, ओडिशा, भाग्यनगर (हैद्राबाद), मुंबई एवं केरल में भी भारत के टुकडे करने की भाषा बोली जा रही हैं ! अतः भारत सरकार के संकेतस्थल पर भी अब ‘द लॅण्ड ऑफ हिन्दू’ का होना आवश्यक हो गया है। पुरे विश्व में १५७ देश ईसाई तथा ५२ इस्लामी देश हैं; किंतु १०० कोटि जनसंख्यावाला भारत ‘हिन्दू राष्ट्र’ क्यों नहीं हो सकता ? इसके लिए हिन्दुओं का संघटन अत्त्यावश्यक है ! सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक ने ऐसा प्रतिपादित किया।
स्टेट प्रेस क्लब की ओर से यहां के दुआ सभागार में ‘हिन्दू राष्ट्र एवं समस्याएं’ इस विषय पर एक राष्ट्रीय चर्चासत्र का आयोजन किया गया था। इस चर्चासत्र में श्री. वर्तक प्रमुख वक्ता के रूप में बोल रहे थे। प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष श्री. कृष्णकुमार अष्ठाना भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
श्री. वर्तक ने आगे कहा, ‘वर्ष २०१३ में भारत निश्चित रूप से ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनेगा और उसके लिए संविधान में संशोधन करना आवश्यक है। देश की तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में संविधान में ४२वां संशोधन कर भारत को ‘धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र’ घोषित किया गया।
धर्मनिरपेक्षता का अर्थ सर्वधर्मसमभाव है; किंतु इसका कहींपर भी पालन होता हुआ, नहीं दिखाई देता ! यहां हिन्दू-मुसलमानों में भेद किया जाता है। एक ही विद्यालय में सिखनेवाले निर्धन लडकों को छात्रवृत्ति मिलती है; किंतु मुसलमान बच्चों को सच्चर समिति के अनुसार छात्रवृत्ति दी जाती है, तो यहां कहांपर धर्मनिरपेक्षता का पालन हो रहा है ?; क्योंकि संविधान में ‘धर्मनिरपेक्षता’ की व्याख्या ही नहीं दी गई है। अतः भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने के लिए हमें संघटित होकर लडना चाहिए। लोकमान्य तिलक, कांग्रेस के १२ वर्ष अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा था कि, यदि भारत को प्रगति करनी है, यदि बडा राष्ट्र बनना है, तो उसको पहले ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित किया जाना चाहिए। तो अब, जब कहीं ‘हिन्दू राष्ट्र’ के संदर्भ में चर्चा होती है, तब कांग्रेस उसका क्यों विरोध करती है ?
समुचे विश्व को बचाने हेतु हमें धर्माचरण करना चाहिए ! – श्री. रमेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार तथा उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय एकता समिति
ऋग्वेद के पहले खंड में ही ‘हिन्दू’ शब्द का उल्लेख है। ‘हिन्दू’ एवं ‘संस्कृत’ ये दोनों शब्द पूरे विश्व में फैल गए हैं। हमारे लिए भाषा, संस्कृति एवं धरती ये तीनों मातृस्थान पर है। उनकी रक्षा होने से ही राष्ट्र का निर्माण होगा। ‘कोई एक व्यक्ति भी यदि राष्ट्रनिर्माण की बात करती हो अथवा मनुष्य को मनुष्य बनाने का प्रयास करती हो, तो वह हिन्दू है’, ऐसा समझ लेना चाहिए। प्राचीन काल में पूरा विश्व भारत से प्रमाणपत्र लेता था; किंतु अब हम दूसरों से प्रमाणपत्र की मांग करते हैं। यदि हमें पूरे विश्व को बचाना है, तो हमें ‘हिन्दू’ बनना होगा और हमें हमारे धर्म के अनुसार आचरण करना होगा। विश्व में ऐसा कोई देश नहीं, जहां ‘राम’ एवं ‘संस्कृत’ ये शब्द नहीं हैं !
‘हिन्दू राष्ट्र’ हेतु माता के गर्भ से ‘मैं हिन्दू हूं’ ऐसा कहने की आवश्यकता ! – श्री. राहुल कोठारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा
कांग्रेसी एवं वामपंथी बहुत पहले से ही प्रसारमाध्यमों को अपने वश में लेकर निरंतर जहर उगलते आए हैं तथा ‘हिन्दुत्व एक धोखा है’, ऐसा कहते आए हैं ! सौभाग्यवश जनताद्वारा आज इन बातों को अस्वीकार किया गया है और वो अखंड भारत हेतु कदम बढा रही है, जिसका परिणाम हमें लोकसभा चुनाव एवं उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में देखने को मिला है। ऐसे राष्ट्रविरोधी घटकोंद्वारा किया जानेवाला दुष्प्रचार ही ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना में प्रमुख बाधा है ! भारत की जनता ही एकता एवं अखंडता के माध्यम से इस दुष्प्रचार का योग्य उत्तर देनेवाली है। जब हम लोक-कल्याण हेतु रामराज्य स्थापना की बात करते हैं, तब हमारे विरोध का प्रारंभ हो जाता है। जब हम कहते हैं कि, ‘वन्दे मातरम्’ कहना चाहिए, तो हमारा विरोध होता है। जब हम कहते हैं कि, विदेश से आनेवाली आर्थिक सहायता बंद होनी चाहिए, तो हमारा विरोध होता है। दाऊद इब्राहिम और अबू सालेम जितने देशद्रोही हैं, उतने ही राष्ट्रविचारों का विरोध करनेवाले मार्कंडेय काटजू और सच्चर भी देशद्रोही हैं ! यदि हमें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पूरे भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाना है, तो उसके लिए हमें बडा संघर्ष करना होगा। हम कहते हैं कि, गर्व से कहो, हम हिन्दू हैं; किंतु आज बच्चे को अपनी माता के गर्भ से ही गर्व के साथ ‘मैं हिन्दू हूं’, ऐसा कहने की आवश्यकता आ पड़ी है !
‘हिन्दू राष्ट्र’ हेतु संस्कार, संस्कृति एवं संस्कृत को बलशाली बनाना चाहिए ! – सुश्री मालासिंह ठाकुर, क्षेत्रीय संयोजक, दुर्गावाहिनी
हम इस देश को माता मानते हैं, पर्वत, वृक्ष एवं नदियों में देवताओं को देखते हैं। यही भारत की संस्कृति है। देवी अहल्या होळकर ने अपने राज्य के बाहर भी पूरे भारत में मंदिर, धर्मशाला, मठ एवं नदियोंपर घाटों का निर्माण कार्य किया। यही हमारी राष्ट्रीय संस्कृति है। हमें ‘हिन्दू राष्ट्र’ को परमोच्च स्थान तक पहुंचाने हेतु जागना चाहिए साथ ही हमारे संस्कार, संस्कृति एवं संस्कृत को बलशाली बनाना चाहिए !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात