सारणी
- १. जन्म से र्इसार्इ स्री (साधिका) को हुर्इ अनुभूती : श्रीकृष्णजन्माष्टमीके कार्यक्रममें जानेपर देवताओंके दर्शन होना
- २. श्रीकृष्णजन्माष्टमीके दूसरे दिनके आचार संबंधी विधि
- ३. दहीकाला अर्थात कलेवा
- ४. दहीकाला अर्थात कलेवाके प्रमुख घटक एवं उनके भावार्थ
- ६. दहीहांडी फाेडने का सुक्ष्म स्तरीय प्रभाव
१. जन्म से र्इसार्इ स्त्री (साधिका) को हुर्इ अनुभूती : श्रीकृष्णजन्माष्टमी के कार्यक्रममें जानेपर देवताओंके दर्शन होना
आइए अब देखते हैं इस संदर्भमें यूरोपकी एक साधिकाको हुई अनुभूति ।
वर्ष २००७ के सितंबर माहमें स्वामी विश्वानंदजीका वास्तव्य यूरोपमें था । उनके दर्शन करनेका श्रीमती ड्रागाना एवं अन्य साधकोंको आमंत्रण मिला था । उसके अनुसार ४ सितंबर २००७ को अर्थात श्रीकृष्णजन्माष्टमीके दिन श्रीमती ड्रागाना अन्य साधकोंके साथ स्वामीजीके दर्शन करने गईं । वहांपर श्रीकृष्णका चित्र रखा था । उस चित्रको देखकर श्रीमती ड्रागानाको आनंद अनुभव होने लगा तथा उनके नेत्रोंसे भावाश्रू बहने लगे ।
२. श्रीकृष्णजन्माष्टमी के दूसरे दिनके आचार संबंधी विधि
श्रावण कृष्ण नवमीके दिन सुबह भगवान श्रीकृष्णजीका पंचोपचार पूजन कर महानैवेद्य निवेदित किया जाता है । दहीकाला अर्थात कलेवाके प्रसादका सेवन कर उपवास समाप्त किया जाता है । भगवान श्रीकृष्णकी मूर्ति यदि मृत्तिका अर्थात मिट्टीकी हो, तो वह जलमें विसर्जित की जाती है । यदि धातुकी मूर्ति हो, तो उसे घरके पूजाघरमें रखते हैं अथवा पुरोहितको दानमें देते हैं ।
३. दहीकाला अर्थात कलेवा
भगवान श्रीकृष्ण ब्रजमें गाय चराने ले जाते थे । तब वे अपने सर्व साथी गोपगोपियोंके खाद्यपदार्थोंका कलेवा बनाकर ग्रहण करते थे । साथही वे गोपियोंके घर जाकर उनके घरमें ऊंची टंगी दहीहंडी फोडकर उसमें से दही, मक्खन खाते थे । इसके प्रतीकस्वरूप जन्माष्टमीके दूसरे दिन दहीकाला करने तथा दहीहंडी फोडनेकी प्रथा आरंभ हो गई है ।
४. दहीकाला अर्थात कलेवाके प्रमुख घटक एवं उनका भावार्थ
४ अ. पोहा अर्थात चुडा
यह वस्तुनिष्ठ गोपभक्ति का प्रतीक है ।
४ आ. दही
यह वात्सल्यभावसे प्रसंगानुसार दंड देनेवाली मातृभक्ति का प्रतीक है ।
४ इ. छाछ
यह गोपियोंकी विरोधभक्ति का प्रतीक है । विरोधभक्ति अर्थात वह भक्ति जिसमें श्रीकृष्णसे प्रेमकी अपेक्षाके कारण उनसे रूठ जाना, असंतुष्टि व्यक्त करना इत्यादि आचरण होते हैं ।
४ ई. मक्खन
यह श्रीकृष्णके प्रति निर्गुण भक्ति का प्रतीक है । गोपालकला ग्रहण करनेसे श्रीकृष्णभक्तको कृष्णतत्त्वका लाभ होता है ।
भावपूर्ण पद्धति से दही की हांडी फाेडते समय हाेनेवाली सूक्ष्म स्तरीय प्रक्रिया
६. दहीहांडी फाेडने का सुक्ष्म स्तरीय प्रभाव
(संदर्भ : सनातनका ग्रंथ – त्यौहार, धार्मिक उत्सव एवं व्रत)