विशेषकर मंगलवार एवं शुक्रवारके दिन देवीपूजनसे पूर्व तथा नवरात्रिकी कालावधिमें घर अथवा देवालयोंमें देवीतत्त्व आकृष्ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां बनाएं । आगे श्री दुर्गादेवीतत्त्व आकृष्ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली कुछ रंगोलियां दी हैं । सभी देवियां आदिशक्ति श्री दुर्गादेवीका रूप हैं । इसलिए विशिष्ट देवीकी उपासना करते समय श्री दुर्गादेवीतत्त्वसे संबंधित रंगोलियां बना सकते हैं । ऐसी रंगोलियां बनानेसे वहांका वातावरण देवीतत्त्वसे आवेशित होकर उसका लाभ होता है । इन रंगोलियोंमें पीला, नीला, गुलाबी जैसा सात्त्विक रंग भरें ।
१. आकार अनुसार रंगोलीमें देवताके तत्त्व आकर्षित होना
अध्यात्मशास्त्रकी दृष्टिसे त्येक देवता अर्थात विशिष्ट तत्त्व होते हैं । शक्तितत्त्व आकर्षित करनेके लिए देवीको गुलदाउदी, रजनीगंधा, कमल इत्यादि फूल चढाते हैं, उसी कार कुछ आकारोंके कारण भी शक्तितत्त्व आकर्षित होनेमें सहायता मिलती है; इसलिए ऐसे आकारोंसे युक्त रंगोली बनाते हैं । (ऐसे कुछ आकार आगे सारणीमें दिए हैं ।)
२. रंगोंके अनुसार रंगोलीमें देवताका तत्त्व आकर्षित होना
रंगोलीमें अधिकतम १० तिशत देवतातत्त्व आकर्षित हो सकता है । रंगोली बनाते समय देवतासे संबंधित आकारमें उस देवतातत्त्वसे संबंधित रंग भरनेपर ७ तिशत देवतातत्त्व उस रंगोलीमें आ सकता है ।
३. भावानुसार रंगोलीमें देवतातत्त्व आकर्षित होना
जिसमें भाव है, ऐसे व्यक्तिद्वारा बनाई रंगोलीमें २० तिशत देवतातत्त्व आ सकता है । रंगोलीमें रंग भरनेपर ईश्वरको आनेमें अल्प शक्ति व्यय करनी पडती है । इससे, भाव न होनेवाले व्यक्तिको भी उसका लाभ होता है ।
अ. जीवका भाव ६० तिशतसे अधिक हो, तो जीवके भावकी मात्राके अनुसार संबंधित तत्त्व उन रंगोलियोंमें आते हैं ।
आ. जीवका भाव ८० तिशतसे अधिक हो, तो जीवके भावके अनुसार कोई भी तत्त्व किसी भी रंगोलीमें आकर्षित हो सकता है ।
४. देवीतत्त्व आकर्षित एवं प्रक्षेपित करनेवाला आकृतिबंध
कुछ विशिष्ट आकृतिबंधोंके कारण भी देवीतत्त्व आकर्षित एवं प्रक्षेपित होता है । जिसका प्रयोग रंगोलीमें तथा देवीके सर्व ओर सजावट, बंदनवार आदिमें करनेपर देवीतत्त्वका अधिकाधिक लाभ होता है । ऐसा आकृतिबंध यहां दिखाए है,
देवीका तत्त्व | तत्त्वसे संबंधित आकार | रंगकी मात्रा (प्रतिशत) |
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१. श्री दुर्गादेवी | लाल | |
२. श्री महालक्ष्मी | लाल + केसरी (६० + ४०) | |
३. श्री लक्ष्मी | लाल + पीला (४० + ६०) | |
४. श्री सरस्वती | श्वेत | |
५. श्री महासरस्वती | श्वेत + लाल (६० + ४०) | |
६. श्री काली | जामुनी | |
७. श्री महाकाली | जामुनी + लाल (८० + २०) |
५. श्री दुर्गादेवीतत्त्व आकर्षित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां
प्रकट – अप्रकट शक्ति
१४ बिंदु : १४ रेखएं
नवरात्रिके प्रथम तीन दिन बनाने याेग्य महाकालीसे संबंधित रंगाेली
अप्रकट – प्रकट शक्ति
१४ बिंदु : १४ रेखएं
नवरात्रिके मध्य तीन दिन बनाने याेग्य महालक्ष्मीसे संबंधित रंगाेली
अप्रकट शक्ति
१२ बिंदु : १२ रेखएं
नवरात्रिके अंतिम तीन दिन बनाने याेग्य महासरस्वतीसे संबंधित रंगाेली
प्रकट – अप्रकट शक्तिी
१७ बिंदु : ३ रेखएं
पूजाघर, पीढे आदिके चारों ओर बनाने योग्य रंगोलियां
संदर्भ – सनातनका ग्रंथ, ‘ देवीपूजनसे संबंधित कृत्योंका शास्त्र ’ एवं ‘ देवताओंके तत्त्व आकृष्ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां ’ एवं ‘ शक्तिकी उपासना – खंड २ ’