१. गरबा उत्सवमें होनेवाले अनुचित कृत्योंको रोककर उत्सवकी पवित्रता बनाए रखें !
नवरात्रिमें विभिन्न प्रांतोंमें किए जानेवाले धार्मिक कार्यक्रमों का एक महत्त्वपूर्ण विधि है, गरबा । पूर्वकालमें ‘गरबा’ नृत्यके समय देवी, कृष्णलीला एवं संतरचित गीत ही गाए जाते थे । वर्तमान कालमें भगवानके इस सामूहिक नृत्यकी उपसनामें विकृतियां आ गई हैं । ‘रिमिक्स’, पश्चिमी संगीत अथवा चलचित्रोंके गीतोंकी तालपर अश्लील हावभावमें मनोरंजनके लिए गरबेके स्थानपर ‘डिस्को-डांडिया’ खेला जाता है । गरबेको निमित्त बनाकर व्याभिचार आदि भी किया जाता है । पूजास्थलपर तंबाकूसेवन, मद्यपान, ध्वनिप्रदूषण आदि अनुचित कृत्य भी किए जाते हैं । मूलत: एक धार्मिक उत्सवके रूपमें मनाए जानेवाले इस कार्यक्रमको व्यायसायिक रूप प्राप्त हुआ है । ये अपप्रकार अर्थात धर्म एवं संस्कृतिकी हानि करना है । इन अपप्रकारोंको रोकने हेतु उचित कृत्य करना अर्थात कालानुसार आवश्यक धर्मपालन करना ही है ।
क्या धार्मिक विधिमें इस प्रकार गरबा खेलनेसे देवीमांकी कृपा हमपर हो सकती है ?
१ अ. गरबा खेलते समय होनेवाले अनाचारोंके सूक्ष्म स्तरीय परिणाम
अनुचित रूपसे गरबा खेलते समय बढे रज-तमके कारण उस स्थानपर कष्टदायक तरंगें अधिक मात्रामें आकृष्ट होती हैं । अनिष्ट शक्तियां काली शक्ति प्रक्षेपित करती हैं । इस काली शक्तिका वहां उपस्थित व्यक्तियोंपर न्यूनाधिक मात्रामें परिणाम होता है । परिणामस्वरूप व्यक्ति बहिर्मुख और विषयोंके आधीन होता है ।
१ आ. देवीकी उपासनास्वरूप परंपरागत गरबा
जब हम उत्कट भावसे देवताका आदर-सम्मान करेंगे, तभी उनकी कृपा प्राप्त कर पाएंगे । गरबा नृत्यमें होनेवाले अनाचारों जैसे कृत्योंसे नहीं, भावपूर्ण पूजनसे भक्तपर देवीमांकी पूर्ण कृपा होती है । इसीलिए गरबा खेलनेको हिंदु धर्ममें देवीकी उपासना मानते हैं । इसमें देवीका भक्तिरसपूर्ण गुणगान करते हैं ।
इस समय देवीके समक्ष पारंपरिक भावपूर्ण नृत्यके साथ तालियों एवं छोटे-छोटे डंडोंसे लयबद्ध ध्वनि भी करते हैं । मूल पारंपरिक गरबा नृत्यमें तीन तालियां बजाई जाती हैं । पहली ताली नीचे झुककर, दूसरी ताली खडे होकर और तीसरी ताली हाथ ऊपर उठाकर बजाई जाती है ।
इस समय देवीके समक्ष पारंपरिक भावपूर्ण नृत्य किया जाता हैं । नृत्यमे प्रत्येक स्तरपर तीन तालियां बजायी जाती है । एवं छोटे छोटे डंडोसे लयबद्ध ध्वनि भी करते हैं । गरबा खेलते समय गोल घेरा बनाते हैं । साथही देवीके गीत अथवा भजन गाते हैं ।
इस प्रकार तालियां बजाकर भजन एवं नृत्य करना एक प्रकारसे सगुण उपासना ही है । इस उपासना पद्धतिमें तालियोंके नादसे श्री दुर्गादेवीको जागृत करते हैं । और ब्रह्मांडमें कार्य करनेके लिए मारक रूप धारण करनेके लिए आवाहन करते हैं ।
२. देवीका अनादर रोकना
आजकल चित्र, नाटक, विज्ञापन इत्यादिद्वारा देवी-देवताओंका अनादर किया जा रहा है । इससे धर्महानि होती है ।
देवीके संदर्भमें अवमाननाका उदाहरण
हिन्दूद्वेषी चित्रकार म.फि. हुसेनने हिन्दुओंके देवताके नग्न चित्र बनाकर उनकी सार्वजनिक बिक्रीके लिए रखा; व्याख्यान, पुस्तक आदिके माध्यमसे देवताओंकी आलोचना की जाती है; व्यापारीवर्ग अपने उत्पादोंके विज्ञापनोंमें देवताओंका मॉडेलके रूपमें योग करते हैं; देवताओंकी वेशभूषा कर भीख मांगी जाती है ।
ग्रीस अर्थात यूनानकी ‘सदर्न कम्फर्ट विस्की’ नामक कंपनीने एक विज्ञापनमें श्रीदुर्गादेवीके आठों हाथोंमें विस्कीकी बोतल दर्शायी । हिंदू जनजागृति समितिने भारतमें ग्रीसके राजदूतको निषेध पत्र भेजा । इस विरोधके कारण यह चित्र कंपनीद्वारा हटाया गया ।
‘बायर’ नामक कंपनीके ‘सॅन्क्य् श्यूर् सॅन्क्य्’ नामक मच्छर भगानेकी औषधिके विज्ञापनमें पहले चित्रमें कालीमांको दस हाथोंमें शस्त्र दिखाया । दूसरे चित्रमें देवीके दो हाथ ही शस्त्ररहित दिखाए गए हैं, क्योंकि उनके पास बायर कंपनीकी मच्छर मारनेवाली दवाई है ! इस अपमानकी जानकारी मिलते ही हिंदू जनजागृति समितिने कंपनीको निषेध पत्र भेजकर रोष व्यक्त किया । निषेधकी ओर तत्काल ध्यान देकर कंपनीने क्षमायाचना की । कंपनीने समितिको भेजे अपने पत्रमें कहा, हमारे कारण आपको हुई असुविधा एवं कष्टके लिए हम आपकी क्षमा मांगते है । हम हिंदू धर्मका आदर करते है । आपका विश्वसनीय – मार्क क्लाफेन ।
मुर्ति शास्त्रानुसार बनाई जाए, तो ही देवताका तत्त्व आकृष्ट होता है
ध्यान रहे, जहां देवताका शब्द अर्थात नाम है, वहां उनकी शक्ति भी होती है, इसलिए ऐसा करना अनुचित है । श्रद्धा देवताओंकी उपासनाकी नींव है । देवताओंका अनादर श्रद्धाको क्षति पहुंचाता है । इसलिए देवताओंके इस प्रकारके अनादरसे धर्महानि होती है । यह धर्महानि रोकना कालानुसार आवश्यक धर्मपालन ही है । यह देवताकी समष्टि स्तरकी अर्थात सामाजिक स्तरकी उपासना है । ऐसी घटनाओंको रोकना एवं इस संदर्भमें अन्योंको मार्गदर्शन करना ईश्वरकी सेवा है । यह साधनाका ही एक अंग है । इस विडंबनाको रोकनेके लिए सनातन संस्था एवं हिंदू जनजागृति समिति सन २ सहस्त्रसे विभिन्न माध्यमोंद्वारा जनजागृति अभियान चला रही है । आप इस इस संदर्भमें जागृत रहिए तथा इस दिशामें प्रयास कीजिए । यह धर्महानि रोकनेके लिए देवीमां हमें बल, बुद्धि एवं क्षात्रवृत्ति अर्थात अन्यायके विरुद्ध प्रतिकार करनेकी क्षमता प्रदान कर साधनामें आनेवाले विघ्नोंका अवश्य हरण करेंगी ।