‘शंकराचार्य विद्यारण्य स्वामीजी’के मार्गदर्शन के अनुसार साम्राज्य की स्थापना करनेवाले राजा हरिहर और बुक्कराय !
स्वतंत्र विजयनगर के साम्राज्य की स्थापना करनेवाले राजा
दक्षिण भारत में धूम मचानेवाले मुगल आक्रमकों को निस्तेज करके ‘शंकराचार्य विद्यारण्य स्वामीजी’के मार्गदर्शन के अनुसार स्वतंत्र विजयनगर के साम्राज्य की स्थापना करनेवाले हरिहर और बुक्कराय ये भारत के इतिहास के प्रसिद्ध राजा हैं । उन्होंने ईसवी सन् १३३६ से १३७६ कुल ४१ वर्ष विजयनगरपर राज्य किया और वैभवशाली हिन्दुसाम्राज्य की नींव डाली । दक्षिण भारत के इतिहास में अजर-अमर विजयनगर तुंगभद्रा नदी के तटपर बसा है ।
पारिवारिक पार्श्वभूमि
यादव कुल में संगमा ये ‘होसला’ राजवंश के राज्यसभा में राज्यभूपति (जहागिरदार) थे । उनके हरिहर, बुक्का, कांपण्णा, मारप्पा, मुदप्पा पांच पुत्र थे विजयनगर के साम्राज्य की स्थापना करने का श्रेय संगमाजी के इन पांच पुत्रों को ही जाता है । हरिहर और बुक्कराय इन दोनो के विशेष कार्य करने के कारण इतिहास में इन दोंनों के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं । विजयनगर के साम्राज्य पर राज करनेवाले चार राजघरानों में ‘संगमा’ पहला राजघराना था ।
हिन्दु साम्राज्य के लिए किया गया योगदान
१४ वें शतक में दक्षिण में मुगल राज्यकर्ता विशेष आक्रमक बन गए थे । होसला, सिना, ककटीय उस समय के शक्तिशाली साम्राज्यों को मुगलों ने अपने अधिकार में करलिया था । ऐसी कठिन परिस्थिति में शंकराचार्य विद्यारण्य स्वामीजी और संत सयना जी की प्रेरणा से हरिहर और बुक्करायजी ने मुगल आक्रमकों को रोकने के लिए विशेष प्रयत्न किए ।
हरिहर और बुक्कराय को मुहम्मद बिन तुगलक ने मुसलमान बनाया था; परंतु संतों की कृपा से उन्होंने फिर से हिन्दु धर्म को स्वीकार कर लिया तथा सुसज्जित लष्करी सेना की स्थापना कर दक्षिण भारत में धूम मचानेवाले मुगल आक्रमकों को निस्तेज कर हिन्दु साम्राज्य की स्थापना की । हरिहर नए साम्राज्य का पहला राजा था ।
हरिहरजी के निधन के बाद ईसवी सन् १३५६ से १३७७ तक सम्राट बुक्करायजी ने राज किया । सम्राट बुक्करायजी के सुपुत्र कंपण्णा ने मदुरा के सुलतान के साथ किए घमासान युद्ध में सुलतान मारा गया और दक्षिण भारत बुक्करायजी के साम्राज्य में आ गया । बुक्करायजी एक समर्थ राजा थे । सम्राट बुक्करायजी ने बहमनी सुलतान से दो बार युद्ध किया । मुहम्मद-१ के कार्यकाल में पहला एवं मुजाहिद के कार्यकाल में दूसरा युद्ध किया । उन्होंने गोवा प्रांत को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया था । उस समय के मलवार और श्रीलंका के राजाओं ने उनकी सार्वभौमिकता को स्वीकार कर उनसे मित्रवत संबंध रखे ।
सम्राट बुक्करायजी ने वैदिक धर्म की पुनः स्थापना के लिए संपूर्ण देश के विद्वानों को एकत्रित कर वेद ग्रंथों पर नया भाष्य लिखकर तैयार करवाया और हिन्दु धर्म में निर्मित हुई दुष्ट प्रवृत्तियों को नियंत्रण में रखा । बुक्करायजी के निधन के बाद हरिहरजी के पुत्र ने आगे राज्य चलाया ।