‘एक समय लंदन में गुप्तचरों ने स्वा. सावरकरजी को जांच-पडताल के लिए रोका और कहा, ‘‘महाशय, क्षमा कीजिए, हमें आपपर शंका है । आपके पास भयानक शस्त्र है ,ऐसी निश्चित सूचना होने से आपकी जांच-पडताल करनी है ।’’ सावरकरजी रुक गये, गुप्तचरों ने जांच-पडताल की । कुछ भी नहीं मिला । गुप्तचरों का प्रमुख अधिकारी सावरकरजी से बोला, ‘‘क्षमा कीजिए, अयोग्य सूचना के कारण आपको कष्ट हुआ ।’’ सावरकरजी ने कहा, ‘‘आपको मिली सूचना अयोग्य नहीं है । मेरे पास भयानक शस्त्र है ।’’ जेब में रखी लेखनी (पेन) निकालकर सावरकरजी बोले, ‘‘ देखिए यह शस्त्र । इससे निकलनेवाला प्रत्येक शब्द युवाओं को अन्याय के विरुद्ध लडने की प्रेरणा देता है । इन शब्दों से देशभक्तों का रक्त खौलता है तथा वे राष्ट्र के लिए प्राणों को संकट में डालकर लडने हेतु तत्पर रहते हैं ।’’