विद्यार्थियो, हमारी प्राचीन देवभाषा ‘संस्कृत’का माहात्म्य जानिए
‘संस्कृत ईश्वरकी ही निर्माण की हुई भाषा है । यह संसार की सर्व भाषाओं की जननी है । संस्कृत का महत्त्व आज पश्चिमी लोगोंने भी जाना है । पश्चिमी संगणकशास्त्रज्ञ ऐसी भाषा के शोध में थे, जिसका संगणकीय प्रणाली में उपयोग कर, उसका संसार की किसीभी आठ भाषाओं मे उसी क्षण रूपांतर हो जाए । उन्हें संस्कृत’ ही ऐसी भाषा नजर आई । संस्कृत ही संसार की सर्वोत्तम भाषा है, जो संगणकीय प्रणाली के लिए उपयुक्त है । वेद, उपनिषद, गीता आदि मूल धर्मग्रंथ संस्कृत में हैं ।
कालीदास, भवभूति इत्यादि महाकवियों की प्रतिभा संस्कृत में फलीफूली । संस्कृत में चैतन्य है । संस्कृत में लिखे हुए शब्दों का अर्थ न समझे, तो भी उसके चैतन्य एवं सात्विकता का लाभ होता है । संस्कृत की वाणी, मन एवं बुद्ध को शुद्ध करनेवाली भाषा है । अपनी प्राचीन संस्कृत भाषा की महत्ता जानिए ! विद्यार्थियो, हिंदु संस्कृति की ‘संस्कृत भाषा’ रूपीय चैतन्यमय विरासत टिकाए रखने के लिए संस्कृत सीखिए, उसी प्रकार पाठशालाओं में ‘संस्कृत’ विषय सिखाने का आग्रह कीजिए !’
(पढिए : सनातनका ग्रंथ ‘देववाणी संस्कृत की विशेषताएं एवं संस्कृत को बचाने के उपाय’)