आयुर्वेद अर्थात प्राचीन ऋषिमुनियों की अनमोल देन !

अपने शरीर तथा मन को स्वस्थ रखना प्रत्येक मनुष्य का धर्म है । इस हेतु आयुर्वेद प्राचीन काल से उपयोग में लाया हुआ परिणामकारी माध्यम है ।

‘आयुर्वेद यह जीवन का वेद है । व्याधीयों से मुक्त होने के लिए एवं स्वास्थ्य संपन्न जीवन व्यतीत करने हेतु जिन जिन द्रव्यों का उपयोग होता है, ऐसे सभी द्रव्य आयुर्वेदीय औषधियों में समाविष्ट हैं । आयुर्वेद ने, मीङ्गे, खट्टे, नमकीन, तीखे, कडवे तथा कसैला स्वादवाले अन्न एवं द्रव्यों का दोष, धातु तथा मल आदिपर किस प्रकार से परिणाम होता है, इसका यथा योग्य वर्णन किया है ।

‘‘न अनौषधं जगति किंचित द्रव्यं उपलभ्यते’’

चरक सू २६-१

विश्व में एक भी द्रव्य ऐसा नहीं है, जिसका औषधि के रूप में उपयोग नहीं किया जाएगा, ऐसा आयुर्वेद ने कहा है ।’

संदर्भ :‘आयुर्वेदीय औषधि’, वैद्याचार्य डॉ. वसंत बाळाजी आठवले तथा डॉ. कमलेश वसंत आठवले

आयुर्वेद में धन्वंतरी देवता तथा प्रार्थना का स्थान

रोगों का नाश कर स्वास्थ्य प्रदान करनेवाले धन्वंतरी देवता को आयुर्वेद में विशेष स्थान प्राप्त है । औषधि वनस्पति को निकालते समय, उसपर प्रक्रिया करते समय तथा उसका सेवन करते समय इस प्रकार से प्रत्येक चरण पर प्रार्थना को महत्त्व दिया गया है ।

आयुर्वेद के महत्त्व को जान लीजिए

वर्तमान में स्वास्थ्य की अल्प शिकायत होनेपर भी अधिकाधिक लोग तुरंत ‘एलोपैथिक’ औषधि सेवन करना प्रारंभ करते हैं । प्राचीन ऋषिमुनियोंद्वारा बताए हुए ‘आयुर्वेद’ के महत्त्व का विस्मरण किया जाता है । ‘एलोपैथिक’ औषधियों के दुष्प्रभाव हो सकते हैं अथवा उन औषधियों की चिकित्सा से अन्य कई विकार भी हो सकते हैं । आयुर्वेदिक औषधियों से ऐसा नहीं होता । आयुर्वेदिक औषधियों से निरोगी तथा दीर्घायु होना संभव होता है । आयुर्वेद के महत्त्व को जानकर अब पश्चिमी देश आयुर्वेदिक औषधियों का ‘पेटंट’ लेने का प्रयत्न कर रहे हैं ।

आयुर्वेदिक औषधियों का आधुनिकीकरण

आयुर्वेदिक औषधियों का कार्य विलंब से प्रारंभ होता है; इस कारण ‘तीव्र रोगोंपर उसका विशेषरूप से उपयोग नहीं होता’, ऐसा माना जाता है । इस कारण इन औषधियों में होनेवाले कार्यशील तत्त्वों को (अल्कलॉइड्स, ग्लायकोसाइड्स) अलग कर उनकी गोलियां तथा इंजेक्शन्स बनाई जाएं ।’

संदर्भ :‘आयुर्वेदीय औषधि’, वैद्याचार्य डॉ. वसंत बाळाजी आठवले तथा डॉ. कमलेश वसंत आठवले

बच्चो, आयुर्वेद ऋषिमुनियोंद्वारा हमें दी हुई अनमोल देन है । हिंदु संस्कृति की इस धरोहर को सुरक्षित रखने का दायित्व तुम पर ही है, इसे ध्यान में रखिए ।