१. नियोजन
‘नियोजन का महत्त्व समझ ने हेतु उदाहरण के रूपमें हम श्याम एवं राम के अनुक्रम से नियोजन का अभाव तथा सुयोग्य नियोजन के कारण उसका परिणाम क्या हुआ, यह देखेंगे ।
१ अ. श्याम की नियोजन के अभाव के कारण हुई स्थिति : श्याम सदैव जो उसके मन में आता है, वह उसी अनुसार करता है, अर्थात सबकुछ बिना नियोजन के करता है । इसलिए उसे प्रत्येक काम पूर्ण करने के लिए अधिक समय लगता है । इसके परिणामस्वरूप उसका समय व्यर्थ जाता है । ‘दिनभर में मैं और क्या कर सकता हूं’, इसका उससे चिंतन नहीं होता है । वह यह पहचान नहीं पाता कि कितने समय में कितने काम पूर्ण करने की उसकी क्षमता है । इसलिए उसकी क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं होता और वह असफल होता है ।
१ आ. नियोजन के कारण राम की हुई स्थिति : राम पिछली रात अगले दिन किए जानेवाले कामों की सूची बनाकर उस अनुसार नियोजन करता है । इस कारण प्रत्येक काम के लिए उसे न्यूनतम समय लगता है । उसके समय का उपयोग सुयोग्य होकर समय की बचत होती है । प्रत्येक कृत्य अधिक अच्छी होने की दृष्टि से उसका चिंतन होता है । उसे अपनी क्षमता का अभ्यास होता है कि वह कितने समय में कितने काम पूर्ण कर सकता है । अपनी कार्यक्षमता बढाने के लिए उससे और अधिक प्रयत्न होते हैं और इससे उसे सफलता मिलती है । सभी उससे प्रेम करते हैं और वह सभी का प्रिय बनता है ।
इन दोनों में से यदि आपको लगता है कि ‘मैं भी राम जैसा बनूं’ तो आपको भी प्रत्येक बात का पूर्वनियोजन करना होगा ।
२. नियोजन की आवश्यकता
समय अमूल्य है । एक बार बीता हुआ समय पुन: नहीं आता । ईश्वर ने हमें ऐसा अमूल्य मनुष्य जन्म दिया है । वर्तमानकाल में मनुष्य की आयु भी लगभग ६०-७० वर्ष की होती है । हमें यदि इन वर्षों का सदुपयोग करना है, तो समय का नियोजन करना होगा । जीवन मर्यादित है, इसलिए प्रत्येक कृति समयपर करनी आवश्यक है ।
३. समय का नियोजन न करने से दिन भर बहुत समय व्यर्थ होना
सामान्यरूप से समय का नियोजन न करने से हमेआधे घंटे के काम के लिए यदि एक से डेढ घंटे लगता है, इसका अर्थ है हमने उस काम को अल्प समय में करने का नियोजन नहीं किया है । इस प्रकार दिनभर के बहुमूल्य ३ से ५ घंटे तथा छुट्टी के दिन तो उससे भी अधिक समय हम व्यर्थ करते हैं ।
४. समय का नियोजन कैसे करें ?
समय का नियोजन करते समय हमें सुबह से रात्रि सोने तक क्या-क्या करना है, उसकी सूची बनाएं । उस अनुसार प्रत्येक काम कितने समय में पूर्ण करेंगे, यह निश्चित करें । इसे ‘नियोजन’ कहते हैं ।
५. नियोजनानुसार कृति करना
स्वयं ही निश्चित किए गए समय के अनुसार ही सर्व करना, अर्थात नियोजनानुसार कृति करना । प्रत्येक बात ही नियोजनानुसार करने का प्रयत्न करनेपर समय की बहुत बचत होती है । इससे अल्प समय में अधिक काम होते हैं । इस प्रकार समय का उपयोग हम अच्छी बातों के लिए कर सकते हैं ।
बच्चो, नियोजन यह ईश्वरीय गुण हमारे जीवन में सदैव उपयोगी रहेगा । वह अपने बहुमूल्य समय तथा श्रम की बचत करता है । इसलिए नियोजन कौशल्य सीखें और अपना जीवन आनंदमय बनाएं !