१. समय सारणी क्यों आवश्यक है ?
महत्व और लाभ
अ. हर एक कृत्य नियोजन कर के करने से ध्येय प्राप्त करना सरल होता है !
आ. ध्येय प्राप्त करने के प्रयत्नों में अनुशासन आने से प्रयत्न योग्य दिशा में होते हैं !
इ. विभिन्न विषयों के अभ्यास की समय मर्यादा डालने से मन से तनाव हलका हो जाता है और एक विषय का अभ्यास करते समय दूसरे विषय का विचार मन में नहीं आता !
ई. नियोजन करने से विचारों का कोलाहल नहीं होता !
उ. विचारो में स्पष्टता आने से मन शांत होकर समय एवं मन की उर्जा व्यय नहीं होती !
ऊ. आत्मविश्वास बढ जाता है !
ए. ध्येय प्राप्त होने का विश्वास बढता है !
२. समय सारणी बनाते समय ध्यान में रखने योग्य बातें
अ. सभी विषयों को उचित समय देना चाहिए !
उदा . हर एक विषय के अभ्यास के लिए आवश्यक समय देखकर विषयों का क्रम लगाना चाहिए !
आ. परीक्षा के समय अभ्यास का नियोजन न कर कुछ समय चिंतन के लिए देना चाहिए !
इ. नियोजन करते समय लगातार अधिक समय तक अभ्यास न कर बीच – बीच में व्यक्तिगत कार्य, भोजन, विश्रांति, व्यायाम, समाचारपत्र वाचन, नामजप आदि का नियोजन करना चाहिए !
ई. सामान्यतः २० वर्ष का विध्यार्थी लगातार दो घंटे अभ्यास कर सकता है । उसके पश्चात् एक घंटा स्वयं का कार्य करने के लिए रख सकता है । इस पद्धति से दिन में १० घंटे अभ्यास आसानी से हो सकता है ।
उ. सर्व दैनंदिन कार्यों के लिए उचित समय दे कर उनका नियोजन करें ।
ऊ. समय मर्यादा डालते समय हर एक कृति को उचित समय दें ।
ए. नियोजन में कुछ परिवर्तन करना पडा तो उसके लिए मन को तैयार रखें ।
ऐ. दूसरों के नियोजन का अभ्यास करें ।
ओ. दूसरों के नियोजन की तुलना न कर उसमें से स्वयं के लिए योग्य बातो को अपनाएं ।
औ. नियोजन अपने मां पिता को या घर में जो बडे व्यक्ती हैं उनको दिखाएं और उनकी सूचनाएं अपनाएं ।
अं. नियोजन केवल अपने लिए हैं यह ध्यान में रखें ।
क. कुछ समय नियोजन में परिवर्तन कर समझौता करना पडता है , यह स्वीकारना चाहिए ।