बालमनपर जिस प्रकार के संस्कार किए जाते है, उसी के अनुसार आगे के काल में बच्चों का वैसा ही स्वभाव हो जाता है । बालआयु में होनेवाले संस्कारों के कारण ही बच्चों का व्यक्तित्व निर्भर करता है । अपने बच्चोंपर क्या संस्कार करें, यह प्रश्न सर्वसामन्य जनों के मन में उत्पन्न हो सकता है । उसके लिए बच्चों को कौनसी बातों का अभ्यास बालपन से ही करवाना चाहिए । इसके संदर्भ में निम्नलिखत जानकारी दे रहे हैं।
इस आयु के बच्चों को निम्न बातों का अभ्यास करवाकर उनमें अच्छे संस्कार भी करें ।
१. भोजन के पूर्व हाथ-पाव एवं मुह को स्वच्छ करवाएं ।
२. उनके स्वयं के हाथ से ही भोजन करना सिखाएं ।
३. भोजन के अथवा कुछ भी खाने के उपरांत कुल्ला करना एवं दात स्वच्छ करना सिखाएं ।
४. मल त्याग करने के उपरांत उनसे स्वयं गुदद्वार का भाग एवं हाथ-पैर पानी से स्वच्छ करना सिखाएं ।
५. स्वतंत्रतरूप से अलग बिछानेपर सुलाएं तथा आवश्यकतानुसार रात्रि में अल्प प्रकाश के दिया का (बल्ब का) उपयोग करें ।
६. खासी अथवा छींक आनेपर नाक-मुहपर हाथ रुमाल रखना सिखाएं ।
७. ‘धन्यवाद’, ‘नमस्कार’ ऐसे शब्दों का उपयोग कर लोगों का स्वागत करना सिखाएं ।
८. खेल समाप्त होनेपर अपने खिलोनों को पेटिक में(खन में) व्यवस्थित रखना सिखाएं ।
९. शूरवीरों की कथाएं सुनाएं ।
१०. सुभाषित, श्लोक, सूक्त, कंठस्थ कर उसका उपयोग मंगल अवसरोंपर करवाएं ।
११. रात्रि शयन से पूर्व एवं सुबह उठने के उपरांत ईश्वर का स्मरण करना सिखाएं ।
१२. प्रतिदिनी बडे जनों को झुककर नमस्कार करना सिखाएं ।