‘होली’के त्यौहारके माध्यमसे अन्योंको आनंद हो, ऐसा आचरण आवश्यक !
‘विद्यार्थी मित्रों, हिंदू संस्कृतीनुसार हम अपने देशमें अनेक त्यौहारमनाते हैं । त्यौहारके दिन हमें आनंदी होकर अन्योंको भी आनंद देना चाहिए ।तो मित्रों, मुझे बताएं, हम ‘होली’के त्यौहारके माध्यमसे वास्तवमें अन्योंकोआनंद होगा, ऐसा आचरण करते हैं क्या ? नहीं ना ? लोगोंको ऐसा लगता हैकि यह त्यौहार नहीं चाहिए । क्या यह त्यौहार इतना बुरा है ? निश्चित ही नहीं।
धर्मशिक्षालेकर त्यौहारोंमें होनेवाले सभी अनाचार दूर करें !
धर्मशिक्षा न मिलनेसे प्रत्येक त्यौहार क्यों एवं कैसे मनाना चाहिए,उसके पीछे क्या शास्त्र है, यह हमें ज्ञात नहीं है; इसलिए हमारे त्यौहारोंमेंअनेक अनाचार होते हैं । यह अनाचार रोकनेके लिए प्रत्येक हिंदू बच्चेकोधर्मशिक्षा लेना आवश्यक है । मित्रों, हम सभी धर्मशिक्षा लें तथा त्यौहारोंमेंहोनेवाले सभी अनाचार दूर करें । हमारे लिए यही खरी होली होगी ।
होलीके त्यौहारपर निम्न कृत्य टालकर धर्मकर्तव्य निभाएं !
अ. बलपूर्वक (जबरदस्तीसे) चंदा एकत्रित न करें !
आ. गंदे पानीके गुब्बारे न मारें !
इ. पानीका अनावश्यक प्रयोग न करें !
ई. बलपूर्वक (जबरदस्तीसे) रंग न लगाएं !
उ. तैलीय रंगोंका प्रयोग टालें !
ऊ. ऊंचे स्वरमें ‘डी.जे.’ लगाकर ध्वनिप्रदूषण टालें !
ए. अन्योंको दुःख हो, ऐसी कृति न करें !
ऐ. टायर जलाकर प्रदूषण न करें !
होलीके दिन निम्न कृति कर धर्महानि रोकें !
अ. अपने मित्रोंको होलीकी शुभकामनाएं मराठीमें/हिंदीमें ही दें ।
आ. प्राकृतिक रंगोंका प्रयोग कर पर्यावरणकी रक्षा करें ।
इ. अन्योंको आनंद हो, ऐसी ही कृती करें ।
ई. होलीके अनाचार रोकनेके लिए बच्चोंका प्रबोधन करें ।
उ. ‘होलीके साथ ही मेरे दोष नष्ट होकर सदगुनोमे वृद्धि होने के लिए प्रार्थनाकरें ।
हम होलीके त्यौहारपर उपरोक्त सर्व बातें आचरणमें लाकर ईश्वरकी कृपासंपादन करें । चलिए मित्रों, ‘उपरोक्त प्रत्येक कृति हमारे आचरणमें आनेकेलिए ईश्वरके चरणोंमें प्रार्थना करें ।’
– श्री. राजेंद्र पावसकर (गुरूजी), पनवेल