‘अच्छे संस्कार’ अर्थात् ईश्वर के निकट जाने के लिए अंत:करण में अंकित किए गए सात्त्विक संस्कार । व्यक्ति की सात्त्विकता बढ़ने पर उसका मन शीघ्र ही एकाग्र होता है । नियोजनपूर्वक एवं एकाग्र मन से की गई कोई भी कृति अधिकाधिक परिपूर्ण होती है और `परिपूर्णता’ का ईश्वरीय गुण व्यक्ति में निर्माण होता है । पढ़ाई करते समय, चित्रकला या संगीत जैसी कला सीखते समय अथवा अन्य कोई कृति करते समय मन को एकाग्रताकी आवश्यकता होती है । एकाग्रता बढ़ाने के लिए सात्त्विकता बढ़ानी चाहिए । उसे बढ़ाने के लिए प्रस्तुत मुद्दें को आचरण में लाएं ।
१. पढ़ाई के लिए नियोजित स्थानपर देवता के चित्र लगाना
देवता के चित्र सामने लगाने से देवता के चरणों की ओर देखकर प्रार्थना एवं नामजप करने से मन शीघ्र ही एकाग्र होता है । देवता के चित्र से सात्त्विकता मिलती है ।
२. देवता के चित्र के सामने उदबत्ती लगाना
वातावरण रज-तम से आवेशित होता है, इस कारण मन चंचल एवं अस्थिर होता है । मन में अनावश्यक विचार आते हैं । सात्त्विक उदबत्ती लगाने से वातावरण में रज-तम की मात्रा घटती है और सात्त्विकता बढ़ती है । सात्त्विकता के कण स्थिर होते हैं । उदबत्ती की सुगंध से वातावरण की एवं व्यक्ति के मन की शुद्धि होती है । वातावरण में चैतन्य फैलता है और प्रसन्नता का अनुभव होता है । इस कारण मन में दीर्घ काल तक उत्साह और एकाग्रता बनी रहती है ।
३. प्रत्येक विषय का अभ्यास मन:पूर्वक करना
जिस विषय का अभ्यास करना हो अथवा जो कला सीखनी हो उसके महत्त्व, लाभ एवं विशेषताओं को समझ लेने से मन में उसके प्रति रुचि निर्माण होती है । तदुपरांत अभ्यास करने से मन शीघ्र एकाग्र होता है और विषय का आकलन होता है । पढ़ा हुआ विषय समझकर अपने शब्दों में लिखसे विषय परिपूर्णता से प्रस्तुत करने की कला आत्मसात होती है ।
४. विषयों को कैसे पढ़ें ?
बहुत बार विद्यार्थियों के मन में प्रश्न निर्माण होता है, कि विषयों को वैसे पढ़ना चाहिए । प्रत्येक नए विषय की पढ़ाई आरंभ करने से पूर्व २ मिनट नामजप, ध्यान व प्रार्थना करें । सुबह का समय शांत होता है, रात की नींद के कारण हमारा शरीर व मन तरोता़जा होता है, इसलिए सुबह कठिन विषयों का अभ्यास करें । जिस समय नींद आ रही हो अथवा बोरियत हो रही हो, उस समय अपनी पसंद के विषय का अभ्यास करें । किसी भी विषय पर निरंतर ४५ मिनट से अधिक समय मन एकाग्र करना कठिन होता है, इसलिए बीच-बीच में थोड़ी देर विश्राम करें या विषय बदलकर पढ़ाई करें । पढ़ाई के दौरान नींद आने लगे, तो निद्रा देवी से प्रार्थना कर सकते हैं ।
५. नामजप एवं प्रार्थना
सभी को सभी समयपर ध्यान लगाना संभव होगा ऐसा नही है । अतः एकाग्रता बढाने हेतु नामजप एवं प्रार्थना अतिउत्तम है ।
अ. अनावश्यक विचारों को नष्ट करने हेतु श्रीगणपति, श्री सरस्वतीदेवी से प्रार्थना करें
प्रार्थना के फलस्वरूप देवता की कृपा प्राप्त होती है और विषय के योग्य आकलन में सहायक होती है तथा स्मरणशक्ति भी बढ़ती है ।
प्रार्थना :
अ. हे कुलदेवता, आपकी कृपादृष्टी सदैव मुझपर बनी रहे ।’
आ.हे बुद्धिदाता श्रीगणेशजी , मेरी पढाई अच्छी होने के लिए मुझे शक्ति एवं सदबुद्धि प्रदान कीजिए ।
इ. ‘हे गणेशजी, हे श्री सरस्वतीदेवी, मैं जो विषय पढ़ रहा हूं, उसका आकलन मुझे पुरी तरह हो । पढ़ाई करते समय मेरा मन पढ़ाईपर एकाग्र हो अन्य कोई विचार मेरे मन में न आएं, आप ही मुझ से पढ़ाई करवा लीजिए ।’ साथ ही पढ़ाई आरंभ करने से पूर्व ५ मिनट श्री ‘गणेशाय नमः’ का नामजप करें । नामजप से वाणी शुद्ध होती है ।
आ. नामजप कौनसा करना चाहिए ?
हमें अपनी कुलदेवी अथवा कुलदेवता का नामजप प्रतिदिन न्यूनतम २० मिनट करना चाहिए एवं पूर्वजों के कष्टों से स्वयं का रक्षण हेतु ‘श्री गुरुदेव दत्त ।’ यह नामजप प्रतिदिन ३० मिनट करना चाहिए ।
६. ध्यान
किसीभी बाह्य अथवा शरीर के अंदर के भागपर व क्रियापर मन एकाग्र करने को ध्यान लगाना कहते हैं । इसमें शरीर में होनेवाली अलग-अलग संवेदनाओं की ओर तथा मन में आए विचारों की ओर साक्षीभाव से देखना चाहिए । ध्यान की आगे की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को भी भूलकर निर्विचार अवस्था में आत्मानंद का अनुभव करता है । बुद्धि एवं मन की एकाग्रता बढाने के लिए गायत्रीमंत्र, त्रिबंध, प्राणायाम एवं ध्यान, निश्चित उपयोगी सिद्ध होते हैं ।